मुंबई हमले की याद
मुंबई को युद्ध के मैदान में बदल देने वाले उन दिनों को कई साल भी गुजर जाएं तो भी उसे भुलाया नहीं जा सकेगा. तीन दिनों और रातों तक चले इस संघर्ष के बाद बीते सालों में आतंक का चेहरा तेजी से बदला है और विद्रूप हो गया है.
छह साल गुजर जाने पर दिखने वाले गोलियों के निशान तो अब मिटा दिए गए हैं. बस कुछ जगहों पर पर्यटकों के लिए इन्हें रखा गया है.
26/11 के हमले में करीब 166 लोग मारे गए. तब से अब तक मुंबई की जीवंतता तो जारी है लेकिन एक असुरक्षा कहीं दिल में घर किए बैठी है.
हमले में जीवित पकड़े गए इकलौते दोषी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को नवंबर 2012 में फांसी दे दी गई. भारत और पाकिस्तान के बीच हालांकि संबंध अभी तक सामान्य नहीं हो सके हैं.
हमले के बाद मुंबई पुलिस के हथियारों को बेहतर किया गया, उन्हें विशेष ट्रेनिंग देनी शुरू की गई. आतंकियों या आतंकी हमलों से लड़ने का प्रशिक्षण इसमें शामिल है.
मुंबई की तरह के हमलों की खबरें और उनके षडयंत्रों के बारे में लंदन से लेकर अमेरिका तक में खुलासे हो रहे हैं. 2013 में लंदन में चार लोगों को मुंबई स्टाइल के हमलों का षडयंत्र बनाने के मामले में पकड़ा गया था.
नैरोबी के मशहूर और बड़े शॉपिंग मॉल में अल शबाब के आतंकियों ने 2013 में कहर मचाया. सितंबर में हुए इस हमले में 61 लोगों की जान गई थी.