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बहुत से लोग बने पैसों की 'ऑन-लाइन' ठगी के शिकार

१३ अगस्त २०१९

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी ही ऐसी अकेली शख्सियत नहीं जिनसे साइबर ठगों ने एक ही झटके में 23 लाख रुपये की रकम ऐंठ ली.

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तस्वीर: Reuters/J. Dey

भारत में हाल ही में सामने आई इस तरह की ठगी के शिकार लोग असल में बहुतायत में है. इसका भंडाफोड़ सोमवार को दिल्ली में राजस्थान पुलिस ने किया. राजस्थान पुलिस ने दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर छापा मारकर एक गिरोह के छह ठगों को पकड़ा. ठगों के इस बड़े गिरोह का भंडाफोड़ तब हुआ जब इसके सदस्य दिल्ली से फ्लाइट पकड़ कर गोवा भागने की सोच रहे थे.

इतने बड़े साइबर ठगी के गैंग के दिल्ली हवाई अड्डे पर पकड़े जाने की जानकारी होने से, आईएएनएस से देर रात हुई बातचीत के दौरान इंदिरा गांधी हवाई अड्डे के पुलिस उपायुक्त संजय भाटिया ने इनकार किया है. दूसरी ओर इसकी पुष्टि आईएएनएस के पास मौजूद राजस्थान (बीकानेर) पुलिस द्वारा 12 अगस्त को जारी 'प्रेस-नोट' से होती है.

बीकानेर पुलिस के मुताबिक 8 अगस्त को देवांश अग्रवाल नाम के स्थानीय युवक ने एक शिकायत दी थी, जिसके आधार पर बीकानेर जिले के थाना कोटगेट में धारा 420 के अंतर्गत एफआईआर नंबर 267 पर आपराधिक मामला दर्ज कर लिया गया था. मामले की जांच एसएचओ इंस्पेक्टर धरम पूनिया के हवाले की गई.

जांच करने वाली टीम में शामिल साइबर क्राइम के मामलों के विशेषज्ञ सब-इंस्पेक्टर कन्हैया लाल ने किसी तरह उस नंबर का पता लगा लिया जिससे ठगी के शिकार बनाये गये देवांश को फोन किया गया था. फोन करने वाले ने खुद को स्टेट बैंक की हेल्प लाइन का मेंबर बताया. मोबाइल पर कॉल आने के समय बाकायदा नंबर 'ट्रू कॉलर' पर भी शो कर रहा था.

देवांश ने स्टेट बैंक हेल्पलाइन से फोन कॉल आई समझकर पूछे गये हर सवाल का जवाब दे दिया. इसी के साथ उनके खाते से 80 हजार और 60 हजार के दो भुगतान क्रेडिट कार्ड के जरिए हो चुके थे.

ठगी का हैरतंगेज तरीका

दिल्ली हवाई अड्डे से गिरफ्तार ठगों का नाम मोहम्मद राजा, मोहम्मद आलम, धीरज सोनी, समीर, मोहम्मद मोजिम, प्रिंस चौहान हैं. इनके पास से कई मोबाइल फोन, पांच सिमकार्ड, कस्टमर केयर से हासिल डाटा भी मिला है. ठगों ने बताया कि ठगी के इस काले कारोबार में कुछ प्राइवेट बैंकों से जुड़े लोग भी मददगार रहे हैं. जिनकी अब पुलिस तलाश में जुट गई है.

यह गिरोह स्टेट बैंक जैसी राष्ट्रीयकृत बैंकों की हेल्पलाइन का मेंम्बर या कर्मचारी खुद को इसलिए बताते थे ताकि जाल में फंसने आ रहे शिकार को इन पर जल्दी शक न हो. साइबर ठगी के इस गोरखधंधे में कुछ सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां भी संलिप्ततता भी जांची जा रही है.

पूछताछ में पता चला है कि यह गिरोह फर्जी पते ही इस्तेमाल करता था. यह लोग बाकायदा एक चलता फिरता कॉल-सेंटर भी हर वक्त तैयार रखते थे. कुछ समय के अंतराल पर लोकेशन बदलते रहते थे ताकि पुलिस इन तक न पहुंच पाये. बीकानेर पुलिस के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि, "इस गिरोह के भंडाफोड़ में दिल्ली पुलिस और हवाई अड्डे पर मौजूद केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने भी मदद की."

रिपोर्ट: संजीव कुमार सिंह चौहान/आरपी (आईएएनएस)

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