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मुनरो को नोबेल पुरस्कार

१० अक्टूबर २०१३

कनाडा की लेखिका एलिस मुनरो ने इस साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीता. नोबेल विजेताओं को चुनने वाली स्वीडिश अकादमी ने गुरुवार को उन्हें "समकालीन छोटी कहानियों का मास्टर" बताते हुए दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कार का हकदार बनाया.

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तस्वीर: picture alliance/AP Photo

साउल बेलो के बाद मुनरो कनाडा की पहली साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 1976 में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले साउल बेलो कनाडा में पैदा जरूर हुए लेकिन बचपन में ही अमेरिका चले गए थे. चरित्र के बारे में बिना कोई राय बनाए अलग अलग तरह की जिंदगियों को छूने में मुनरो ने जो गर्माहट, अंतरदृष्टि और सहानुभूति दिखाई है उसके कारण उन्हें आधुनिक चेखोव भी कहा जाता है. मुनरो के लेखन ने इससे पहले भी उन्हें बहुत से पुरस्कार दिलाए हैं. कनाडा के साहित्य जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार भी तीन बार उनके हिस्से आया है.
नोबेल विजेता बनने की खबर मिलने के बाद मुनरो ने कहा, "मैं जानती थी कि दौड़ में हूं लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं जीत जाउंगी." उनके लेखन में अकसर टोरंटो के पश्चिम में मौजूद रुढ़िवादी शहर विंघम में बीती उनकी जवानी और 1960 के दशक में हुई सामाजिक क्रांति के बाद की जिंदगी का संघर्ष नजर आता है. कई साल पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने 1960 के दशक को "शानदार" कहा था. उन्होंने कहा था, "क्योंकि 1931 में जन्म लेने के कारण मैं थोड़ी बड़ी थी लेकिन बहुत बूढ़ी नहीं और मेरी जैसी लड़कियों ने वर्षों बाद मिनीस्कर्ट पहना और चारों ओर उछल कूद की."
किसान और टीचर की बेटी मुनरो एलिस एन लेडलॉ के रूप ऐसे शहर में पैदा हुईं जो साहित्य के लिहाज से बहुत माकूल नहीं था और उन्हें अपने जीवन के लक्ष्य को दिल की किसी ऐसी इच्छा की तरह पालना पड़ा जिस पर बंदिशें हों. यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओन्टारियो से पत्रकारिता की पढ़ाई करते हुए उन्हें स्कॉलरशिप मिली और जब उन्होंने कनाडा की सीबीसी रेडियो को अपनी पहली कहानी बेची तो उनकी बैचलर की पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई थी.
कॉलेज के साथी जेम्स मुनरो से शादी करने के लिए उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया, उनके तीन बच्चे हुए और वह पूरी तरह गृहिणी बन गईं. उम्र के तीसरे दशक के शुरुआती सालों में ही वो इतनी डरी सहमी और निराश हो गईं थीं कि एक पूरा वाक्य भी नहीं लिख पातीं थी. उनकी किस्मत वापस लौटी जब उनके पति ने 1963 में किताबों की दुकान खोली. इसके साथ ही वयस्कों से संवाद का मौका मिला और फिर उनमें अपनी आवाज भर कर उन्होंने नैरेटिव अंदाज को उभारना शुरू किया और लेखनी की तस्वीर बुनने लगी, लेकिन शादी बिखर गई. उनका पहला संग्रह डांस ऑफ द हैप्पी शेड्स 1968 में छपा और कनाडा के सबसे बड़े साहित्यिक पुरस्कार से सम्मानित हुआ. बाद में उन्होंने गेराल्ड फ्रेमलिन से दूसरी शादी की.
नोबेल पुरस्कारों के 112 साल के इतिहास में मुनरो 13वीं महिला हैं जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला है. पिछले साल चीन के मो यान को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था. नोबेल पुरस्कारों के एलान का यह सिलसिला कल शांति पुरस्कारों की घोषणा कराएगा. सबसे आखिर में अर्थशास्त्र का पुरस्कार सोमवार को घोषित होगा.
एनआर/एमजे(एपी,एएफपी)

Autorin Alice Munro
एलिस मुनरोतस्वीर: AP
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