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मुसलमानों को शर्मिंदा करते आतंकवादी

४ सितम्बर २०१४

गला रेत कर लोगों की बर्बर हत्या और उसका वीडियो जारी करना, आईएस की इन हरकतों से दुनिया भर के मुसलमान खुद को असहज महसूस करने लगे हैं. उन्हें एक बार फिर लग रहा है कि आतंकवादी इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं.

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दुनिया भर में कई जगहों पर मुस्लिम समुदाय के लोग इराक और सीरिया में सक्रिय इस्लामिक स्टेट (आईएस) की क्रूर हरकतों की खुलकर आलोचना कर रहे हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर 'ए लीबिया लिबर्टी' नाम की यूजर ने लिखा, "अगर आप यह सोच रहे हैं कि मुसलमान आईसिस (आईएस) की निंदा नहीं कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप मुसलमानों को नहीं सुन रहे हैं."

मिस्र की सम्मानित धार्मिक संस्था अल-अजहर ने आईएस की हरकतों को गैर इस्लामी करार दिया है, "इन आपराधिक हरकतों का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है. इनके पीछे इस्लामिक कानून का कोई आधार नहीं है." अल अजहर के अधिकारी अब्बास शोमान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा, "ये लोग इस्लाम से ताल्लुक नहीं रखते."

अमेरिकी की पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी में इस्लामिक कानून के विशेषज्ञ प्रोफेसर हैदर अला हामोदी मानते है कि बर्बर हत्याओं के जरिए आईएस मनोवैज्ञानिक भय फैलाना चाहता है, "पुराने समय में लोगों को लगता था कि सिर काटकर किसी को कम से कम दर्द देकर मारा जा सकता है." लेकिन इससे पहले सुनवाई होती थी और माफी न मिलने पर यह सजा दी जाती थी. आईएस ऐसा कुछ नहीं कर रहा है, बल्कि वो तो तड़पाने और डराने के लिए सिर कलम कर रहा है.

Irak Jesiden Flüchtlinge
इराक और सीरिया में लाखों लोग विस्थापिततस्वीर: DW/R. Erlich

आईएस अब तक कई लोगों का सिर कलम कर चुका है. मृतकों में दो अमेरिकी पत्रकार भी हैं. आतंकवादियों के लिए किसी बंधक को सिर कलम कर मारना नया नहीं. 2002 में पाकिस्तान से अगवा किये गए अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल के साथ भी तालिबान ने यही सलूक किया. विशेषज्ञों को लगता है कि आतंकवादी संगठन सिर कलम करने वाले वीडियो से कट्टरपंथी और हिंसक सोच रखने वाले युवाओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं.

लेबनान की सुप्रीम इस्लामिक काउंसिल के महासचिव शेख खालदून अरायमित कहते हैं, "सिर कलम करने या अल्पसंख्यकों का अपमान करने वाली आईएस की हरकतें इस्लाम और मुस्लिम मान्यताओं को बिल्कुल उलट हैं. इस्लाम दूसरों के साथ दया, प्रेम और संवाद का संदेश देता है."

अमेरिका पर 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका और यूरोप में मुसलमानों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. उन्हें शक की नजर से देखा जाने लगा. अमेरिका में तो लम्बी दाढ़ी रखने वालों पर हमले भी हुए. आईएस की बढ़ती बर्बरता से एक बार फिर मुसलमान खुद को असहज महसूस करने लगे हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुशीलो बामबांग युडोयोनो ने दुनिया भर के मुसलमान नेताओं से चरमपंथ के खिलाफ साथ आने की अपील की है. वहीं भारतीय राज्य केरल के एक इमाम ने तो आईएस के खिलाफ फतवा भी जारी कर दिया है. ब्रिटेन में भी आईएस के लिए लड़ रहे युवाओं के खिलाफ फतवे जारी किये जा रहे हैं.

ओएसजे/एएम (एएफपी)