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'मुस्लिम देशों में कट्टरपंथ सबसे बड़ा खतरा'

३ जुलाई २०१४

अमेरिका के एक प्रमुख थिंक टैंक ने अपने सर्वेक्षण में पाया है कि बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देशों में लोग इस्लामी कट्टरपंथ को सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं. मध्यपूर्व से लेकर दक्षिण एशियाई देशों तक ऐसे संगठनों का जनाधार घटा है.

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तस्वीर: Reuters

सीरिया में आतंकवादी संगठन के साथ चल रहे संघर्ष और नाइजीरिया में बोको हराम के कारण बने खतरनाक माहौल के कारण बीते एक साल में लोगों के बीच कट्टरपंथी रवैये के प्रति डर काफी बढ़ा है. वॉशिंगटन के पीऊ रिसर्च सेंटर ने इस नतीजे पर पहुंचने के लिए 14 देशों में 14,000 से ज्यादा लोगों के साथ सर्वेक्षण किए. बातचीत के जरिए इस सर्वे में पाया गया कि अल कायदा, हिजबुल्लाह, बोको हराम और चुनाव जीत कर गाजा पट्टी में सत्ता में आने वाला हमास जैसा संगठन भी आम लोगों के बीच समर्थन खो रहा है. इसके अलावा लोग इस बात पर भी एकमत हो रहे हैं कि आम नागरिकों के खिलाफ कहीं भी आत्मघाती बम हमले करना सही नहीं है.

यह सर्वेक्षण इसी साल 10 अप्रैल से 25 मई के बीच कराए गए. इसमें हिस्सा लेने वाले लेबनान के करीब 92 फीसदी लोग इस्लामी कट्टरपंथ को लेकर सबसे ज्यादा परेशान और डरे हुए हैं. पिछले साल के मुकाबले इस साल ऐसा सोचने वालों की संख्या करीब 11 फीसदी बढ़ी है. लेबनान के अलावा सीरिया की सीमा से लगे जॉर्डन और तुर्की जैसे देशों में बीते तीन सालों में शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को पद से हटाने के संघर्ष के दौरान की कट्टरपंथियों ने इन देशों में अपने पैर काफी पसार लिए. जून में ही आतंकवादी संगठन आइसिस ने सीरिया और इराक के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में ले लिया है. जॉर्डन के करीब 62 फीसदी और तुर्की के 50 फीसदी से ज्यादा लोगों ने कट्टरपंथ को ही सबसे बड़ा खतरा बताया.

बोको हराम के डर के साए में जी रहे करीब 80 फीसदी नाइजीरियाई इस इस्लामी संगठन के खिलाफ हैं. बोको हराम ने इसी साल 200 से ज्यादा स्कूली छात्राओं का अपहरण कर लिया था जिनका अब तक पता नहीं चल पाया है. पाकिस्तान में भी करीब 60 फीसदी लोगों ने बताया कि वे तालिबान लड़ाकों के लिए किसी तरह की सहानुभूति नहीं रखते हैं. रिपोर्ट में लिखा गया है, "एशिया में बांग्लादेश, पाकिस्तान और मलेशिया जैसे देशों में अधिकतर लोग इस्लामी कट्टरपंथ को लेकर चिंतित हैं." वहीं दुनिया में मुसलमानों की आबादी के लिहाज से सबसे घनी आबादी वाले देश इंडोनेशिया में कट्टरपंथ को बहुत बड़ा खतरा नहीं माना जा रहा है. काफी समय तक इस्लामी उग्रपंथियों से अछूते माने जाने वाले कई यूरोपीय देशों में भी अब कट्टरपंथी की मौजूदगी के प्रमाण मिलने लगे हैं. बताया जाता है कि सीरिया के ट्रेनिंग कैंपों से ट्रेनिंग लेकर लौटे उग्रपंथी इन देशों में भी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने की तरफ काम कर रहे हैं.

आरआर/एजेए (एएफपी)