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मेडल ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया ने दिल भी जीता

१४ अक्टूबर २०१०

दिल्ली में गोल्ड मेडल जीतने वाली ऑस्ट्रेलिया की महिला और पुरुष हॉकी टीम ने अपनी किट भारतीय बच्चों के नाम की. चैंपियनों ने किट एक गैर सरकारी संगठन को दी हैं. इन्हें हॉकी खेलने वाले बच्चों को दिया जाएगा.

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तस्वीर: AP

ऑस्ट्रेलिया की महिला टीम ने न्यूजीलैंड को 4-2 से हराकर स्वर्ण पदक जीता, जबकि पुरुषों ने भारत को हराकर जीत का सेहरा अपने नाम किया. इन स्वर्णिम सफलताओं के बाद हॉकी ऑस्ट्रेलिया ने चैंपियन टीमों की किट दान करने का एलान किया. किट सलाम बॉम्बे फाउंडेशन को दी जाएंगी.

हॉकी ऑस्ट्रेलिया के सीईओ मार्क एंडरसन ने कहा, ''हमें लगा कि बच्चों में हॉकी के प्रति प्रेम बढ़ाने के लिए सलाम बॉम्बे की पहल का सहयोग करना चाहिए. हॉकी ऑस्ट्रेलिया ने स्वंयसेवी ढंग से अपनी हॉकी किट भी दान करने का फैसला किया है. इन किटों से बच्चे हॉकी खेल सकेंगे.''

एंडरसन ने कहा कि हॉकी एक खूबसूरत खेल है और इसे रोमाचंक बनाए रखने के लिए ही उनकी टीमों ने यह फैसला किया है. एंडरसन ने कहा, '' हमें उम्मीद है कि हमारी पहल से बच्चों को इस रोमांचक खेल से लंबे समय तक जुड़े रहने का मौका मिलेगा.''

कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान यह पहला मौका है जब किसी टीम ने अपना साजो सामान दान किया है. ऐसा ही मौका तीन दशक पहले क्रिकेट में भी आया था, जब मैदान पर खेलते एक बच्चे को सुनील गावस्कर ने अपने पैड दिए. उस बच्चे को आज दुनिया मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर कहती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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