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मेरे पास और कोई विकल्प नहीं: मैर्केल

२९ फ़रवरी २०१६

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा है कि शरणार्थी संकट को ले कर उनके पास कोई प्लान बी नहीं है. वहीं ग्रीस और मेसेडोनिया की सीमा पर शरणार्थियों पर आंसू गैस का इस्तेमाल हुआ.

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Angela Merkel bei Anne Will
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Jensen

अंगेला मैर्केल का कहना है कि शरणार्थियों के लिए खुले दरवाजे की नीति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि उनके पास कोई दूसरी योजना नहीं है और उन्हें पूरा यकीन है कि उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए सही रास्ता चुना है. मैर्केल ने कहा कि वे देशवासियों को यकीन दिलाना चाहती हैं कि सरकार का फैसला एकमात्र तर्कसम्मत फैसला है और उन्हें इस पर कोई शक नहीं होना चाहिए. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा, "यह सोचना बकवास है कि मैं इस समस्या का हल सीमाओं को बंद कर के निकाल पाऊंगी."

हालांकि उन्होंने शरणार्थी मुद्दे पर यूरोप में उठ रहे मतभेद पर चिंता भी जताई और कहा कि किसी भी हाल में यूरोप को टूटने से रोकना जरूरी है. साथ ही उन्होंने इसे जर्मनी की प्रतिष्ठा के लिए भी अहम बताया. मैर्केल ने कहा, "यह हमारे इतिहास का एक बेहद जरूरी हिस्सा है. हमारे दरवाजे पर लोग हिंसा और कठिनाइयों से जूझ रहे हैं. ऐसे में जर्मनी को क्या करना चाहिए? मुझे लगता है कि यूरोप को एक साथ ले कर चलना और मानवता दिखाना हमारा मकसद होना चाहिए."

नए साल की शाम जर्मनी के कोलोन शहर में महिलाओं के साथ हुए यौन दुर्व्यवहार की खबरों पर मैर्केल ने कहा, "शुरू से ही शरणार्थियों को नियम स्पष्ट होने चाहिए. समेकन केवल आपकी मर्जी का सवाल नहीं है." पिछले पांच महीनों में यह मैर्केल का तीसरा बड़ा इंटरव्यू है. शरणार्थी मुद्दे पर मैर्केल केवल यूरोपीय संघ में ही नहीं, अपने देश में भी कड़े विरोध का सामना कर रही हैं. जल्द ही जर्मनी में चुनावी मौसम शुरू होने वाला है. 13 मार्च को देश के 16 में से तीन राज्यों में चुनाव है. मैर्केल सरकार के लिए शरणार्थी संकट शुरू होने के बाद यह पहला लिटमस टेस्ट होगा.

शरणार्थियों पर आंसू गैस

वहीं ग्रीस और मेसेडोनिया की सीमा पर बड़ी संख्या में शरणार्थियों ने बाड़ को जबरन लांघ कर मेसेडोनिया में घुसने की कोशिश की. ग्रीस के गांव इडोमेनी में बने रिफ्यूजी सेंटर में 2,000 लोगों के लिए जगह है लेकिन यहां फिलहाल 7,000 लोग मौजूद हैं. ऐसे में लोग सीमा पार करने की मांग कर रहे हैं.

20 फरवरी को मेसेडोनिया ने घोषणा की थी कि वह बेहद कम संख्या में ही शरणार्थियों को देश में प्रवेश करने की अनुमति देगा. 26 फरवरी को मात्र 22 लोगों को ही अनुमति दी गयी. ऐसे में लोगों ने ग्रीस और मेसेडोनिया के बीच मौजूद रेल पटरियों पर धरना दिया. उन्होंने नारे लगाए, "सीमा खोलो, खाना दो. हम इंसान हैं, जानवर नहीं."

यहां मौजूद बहुत से परिवार छोटे बच्चों के साथ हैं और सर्द मौसम और खाने की किल्लत से परेशान हैं. ग्रीस की समाचार एजेंसी एएनए से बात करते हुए एक व्यक्ति ने कहा, "मैं 17 दिन से अपने परिवार और दो बच्चों के साथ सड़क पर हूं. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं."

शरणार्थियों की शिकायत है कि मेसेडोनिया ने प्रति दिन 580 लोगों को लेने का वादा किया था, जिसे अब वह पूरा नहीं कर रहा है. शरणार्थियों के इस प्रदर्शन के चलते एक माल गाड़ी को वापस लौटाना पड़ा. भीड़ पर काबू पाने के लिए सीमा पुलिस को आंसू गैस का भी इस्तेमाल करना पड़ा.

आईबी/एमजे (डीपीए, एएफपी)