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समाज

मेला जहां सजता है 'सपनों' का घर

श्रेया बहुगुणा
२० जनवरी २०२०

जर्मनी के कोलोन शहर में लगे फर्नीचर फेयर में दुनिया भर से आए 1200 से ज्यादा ट्रेडरों ने घर सजाने के सामानों की प्रदर्शनी लगाई. फर्नीचर फेयर में यूरोप के डिजाइनों की धूम रही. छोटे से कमरे को भी सजाने के कई आइडिया दिखे.

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Köln Impressionen Internationale Möbelmesse 2020
तस्वीर: DW/S. Bahuguna

जर्मनी के कोलोन शहर में होने वाले सालाना फर्नीचर फेयर में 145 देशों से आए कारोबारियों ने अपने इंटीरियर डिजाइन की प्रदर्शनी लगाई. मेले में आलीशान घरों और फ्लैटों को सजाने के लिए फर्नीचर और होम डेकोर का सामान तो था ही, लोगों के छोटे से आशियाने को भी नए जमाने के मुताबिक कैसे सजाया जा सकता है उसके लिए भी कई प्रोडक्ट और आइडिया की भरमार थी. राइन नदी पर बसे कोलोन शहर में पिछले 17 साल से जनवरी के महीने में यह फर्नीचर फेयर लगता है. यहां सिर्फ फर्नीचर ही नहीं बल्कि किचन, बेडरूम, डाइनिंग रूम, ड्राइंग रूम से लेकर घर के आंगन तक को सजाने वाली हर चीज उपलब्ध होती है. इस बार के फर्नीचर फेयर की सबसे खास बात थी आम जिंदगी को खास बनाने वाले नए विचारों की भरमार.

Köln Impressionen Internationale Möbelmesse 2020
तस्वीर: DW/S. Bahuguna

हर स्टॉल की अलग थीम

फर्नीचर फेयर में 145 देशों से आए ट्रेडर इस बार ग्राहकों के लिए एकदम नए विचारों के साथ आए. हर स्टॉल का अलग मिजाज देखने को मिला. फर्नीचर फेयर की खास बात ये है कि यहां सिर्फ फर्नीचर ही नहीं मिलता बल्कि घर को सजाने वाली छोटी से बड़ी चीज उपलब्ध होती है. दिल्ली और बीजिंग जैसे शहरों में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए घर को कैसे प्राकृतिक रूप से हरा भरा किया जा सकता है और कमरों के अंदर तक में कैसे हरियाली लाई की जा सकती है, यहां उसका भी आईडिया लिया जा सकता था. घर के अंदर प्रदूषण को दूर करने के लिए पौधे लगाने के अलग और बेहतरीन आईडिया भी देखने को मिले.

नौकरी और बेहतर भविष्य के लिए दुनिया के लगभग हर देश में लोग बड़े बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं जिससे शहरों में जगह छोटी पड़ने लगी है. बहुत से लोगों के पास बड़े घर ना होकर छोटे छोटे फ्लैट हैं. लेकिन इस मेले में छोटे फ्लैटों की सजावट के भी नमूने थे.

Köln Impressionen Internationale Möbelmesse 2020
तस्वीर: DW/S. Bahuguna

इस मेले में 1200 से ज्यादा स्टॉल थे, जिनमें कई भारतीय ट्रेडरों के स्टॉल भी नजर आए. कई इंटीरियर डेकोरेटर यहां पहली बार हिस्सा ले रहे थे तो कई कारोबारी यहां कई सालों से अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे हैं. सनराइज डेकॉर के वरुण कपूर दिल्ली से आए. उनके स्टॉल की खास बात थी लकड़ी और लेदर से बना सामान. वह कोलोन के फर्नीचर फेयर में पहली बार शिरकत कर रहे हैं. उनका कहना है कि यहां सिर्फ अपना बनाया सामान लोगों के सामने रखने का मौका ही नहीं मिलता बल्कि यूरोप के कई बड़े और नए डिजाइनरों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. वरुण कपूर कहते हैं "इस फर्नीचर फेयर में आकर पता चलता है कि आप कहां चूके हैं और अगली बार आपको किस तरह की तैयारियों के साथ आना है."

कारोबार और प्रेरणा

दिल्ली के ही नवनीत बताते हैं कि वह पिछले पांच साल से इस फर्नीचर फेयर में आ रहे हैं. नवनीत कहते हैं, "होम डेकॉर के ट्रेडरों के लिए प्रेरणा लेने के लिए फर्नीचर फेयर से बेहतर कोई जगह नहीं है." नवनीत के मुताबिक यूरोप के डिजाइनर सबसे अलग और उम्दा डिजाइनरों में से हैं जिनसे हर साल कुछ ना कुछ नया सीख कर कुछ नया बनाने की कोशिश करते रहे हैं. इस साल भी वह इसी मकसद के साथ आए हैं. ताइवान से आए कारोबारी बताते हैं कि वह आज के वक्त की जरूरत के मुताबिक लोगों के लिए ऐसी आराम देने वाली कुर्सियां लेकर आए हैं, जो लोगों को भागती दौड़ती जिदंगी में पैदा हुए अवसाद को दूर करने में मदद देगी. ऐसी कुर्सियों का इस्तेमाल ऑफिस से घर वापस लौट कर या अपने ऑफिस में ही किया जा सकता है. इंडोनेशिया के एक ट्रेडर ने बताया कि वे यहां पर इंडोनेशिया की ऐसी लकड़ी का सामान लेकर आए हैं जो बार बार प्रयोग में लाई जा सकती है. उनका मकसद है पर्यावरण को बचाना.

Köln Impressionen Internationale Möbelmesse 2020
तस्वीर: DW/S. Bahuguna

कोलोन का फर्नीचर फेयर न सिर्फ दुनिया के प्रमुख फर्नीचर और डेकॉर उत्पादकों को अपना सामान दिखाने का मौका देता है, यह खुदरा और थोक खरीदारों के लिए भी फैशन ट्रेंड को जानने का मौका देता है. फर्नीचर फेयर को देखने के लिए कारोबार से जुड़े लोगों के अलावा हजारों की संख्या में आम लोग भी आए. यह मेला घर की सजावट को अलग आयाम देता है. हॉलैंड से आए जेम्स कहते हैं, "छोटे से घर को भी अलग अंदाज से कैसे सजाया जा सकता है, उसके लिए मैं फर्नीचर फेयर में आया हूं. यहां पर मुझे कई तरह के आईडिया मिले हैं." जर्मनी को व्यापार मेलों का देश कहा जाता है. यहां पूरे साल किसी न किसी शहर में कोई ना कोई व्यापार मेला लगा ही रहता है.

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