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मैर्केल की यूरोपीय नीति पर जम कर बरसे शुल्त्स

१७ जुलाई २०१७

शरणार्थी नीति पर अपना अलग ही रुख रखने और बजट नियमों पर चांसलर अंगेला मैर्केल के बेहद सख्त रवैये के कारण जर्मनी की स्थिति कमजोर हुई है, ये कहना है एसपीडी से चांसलर पद के उम्मीदवार मार्टिन शुल्त्स का.

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Berlin SPD-Kanzlerkandidat Schulz präsentiert Zukunftsplan
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Gambarini

चांसलर अंगेला मैर्केल पर निशाना साधते हुए बुंडेसटाग चुनाव में उनको चुनौती देने जा रहे विपक्षी उम्मीदवार मार्टिन शुल्त्स ने जम कर बयानबाजी की. बर्लिन में एसपीडी की एक पार्टी कॉन्फ्रेंस में उन्होंने वे प्रस्ताव पेश किये, जिसे चांसलर चुने जाने पर वे अमल में लाना चाहेंगे.

इस दौरान उन्होंने 2015 में जर्मन सीमा में प्रवेश करने वाले शरणार्थियों की बाढ़ लाने के लिए मैर्केल को जिम्मेदार बताया. कई यूरोपीय देशों ने उस समय अपनी राष्ट्रीय सीमाएं बंद कर दी थीं और शरणार्थियों को आने से रोका था.

इस साल की शुरुआत तक यूरोपीय संसद के अध्यक्ष रहे शुल्त्स ने कहा कि अगर वे चांसलर बनते हैं तो एक नई एकीकृत ईयू शरणार्थी नीति बनाएंगे. इस नीति में उन देशों को ईयू से मिलने वाली धनराशि कम कर दी जाएगी, जिन्होंने शरणार्थियों को स्वीकार करने से मना किया. इस समय ईयू के बजट में जर्मनी कुल 15 अरब यूरो का योगदान करता है.

शुल्त्स ने कहा कि जर्मनी पर इस बात की वैधानिक बाध्यता होनी चाहिए कि वह इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करे. उन्होंने कहा, बर्लिन को "सार्वजनिक मूलभूत ढांचों पर धन खर्च करने के लिए बाध्य होना चाहिए."

हालांकि शुल्त्स ने उस "डेट ब्रेक" को हटवाने की मांग नहीं की, जिसे 2009 में चांसलर मैर्केल की सरकार ने जर्मनी के संविधान में डाला था. इसके अंतर्गत केंद्रीय और क्षेत्रीय बजट में घाटे की कानूनी सीमा तय की गयी थी. हाल के सालों में बर्लिन में बजट सरप्लस रहा है और कर्ज घटा है.

जर्मनी के सरकारी खर्च का मुद्दा केवल देश ही नहीं विदेश में भी बहस के केंद्र में रहा है. जर्मनी के साथ व्यापार करने वाले देश चाहते हैं कि ट्रेड सरप्लस को कम करने के लिए जर्मनी निवेश पर ज्यादा से ज्यादा खर्च करे. फिलहाल जर्मनी से निर्यात उसके आयात के मुकाबले काफी ज्यादा है.

फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों का तर्क है कि जर्मनी अपने उत्पादों को बाहर बेच कर भारी मुनाफा कमा रहा है, जबकि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए घरेलू स्तर पर खर्च नहीं कर रहा. फ्रेंच राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा है कि जर्मनी को निवेश बढ़ाना ही होगा. जर्मनी के ट्रेड सरप्लस को 'इकोनॉमिस्ट' पत्रिका ने "द जर्मन प्रॉब्लम" शीर्षक के साथ अपने कवर पेज पर छापा है. पत्रिका में भारी बचत करने और बहुत कम खर्च करने को लेकर जर्मनी की आलोचना की गयी है.

इसी पक्ष को रखते हुए एसपीडी के शुल्त्स ने निवेश बढ़ाने के लिए एक 10 सूत्री कार्यक्रम बनाने की बात कही, जिससे सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिले और एक सुदृढ़ यूरोपीय संघ बनाया जा सके.

उनका प्रस्ताव है कि सरकार को हाई-स्पीड इंटरनेट, ट्रांसपोर्ट लिंक, अक्षय ऊर्जा और गरीब इलाकों में शिक्षा पर खासतौर पर खर्च करने के लिए बाध्य किया जाये. इसके अलावा एसपीडी के प्रस्तावों में न्यूनतम मजदूरी बढ़ाना, असुरक्षित नौकरियों की संख्या घटाना, मास्टर्स डिग्री तक मुफ्त शिक्षा देना और परिवारों के लिए टैक्स घटाना शामिल है. 

आरपी/एनआर (डीपीए, एएफपी)