मोदी की विदेश यात्राओं पर नजर
७ जून २०१४भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि मोदी अगले महीने ही जापान की यात्रा पर जा सकते हैं. जापान ने इससे पहले उम्मीद जताई थी कि मोदी इसी महीने जापान आ सकते हैं लेकिन मोदी ने अपनी विदेश यात्राओं की शुरुआत पड़ोसी देश भूटान से करने का फैसला किया.
विदेश मंत्री के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया, "प्रधानमंत्री को जापान से जल्द से जल्द आने की दावत आई है और हो सकता है कि वह जुलाई में वहां जाएं. लेकिन पड़ोसी देश भारत की प्राथमिकता होंगे."
शपथ ग्रहण के बाद
मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के अलावा भूटान और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों के सरकार प्रमुखों को न्योता दिया था. जानकारों का कहना है कि एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने और चीन से प्रतिस्पर्धा करने के उद्देश्य से जापान भारत के साथ गठबंधन करना चाहता है.
जापान सरकार के प्रवक्ता योशीहीदे सूगा का कहना है, "प्रधानमंत्री शिन्जो आबे ने भारत के नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जापान बुलाया है और अब दोनों देश इसके लिए योजना बना रहे हैं." भारत में मोदी की जीत के बाद दोनों नेताओं ने ट्विटर पर एक दूसरे को संदेश भेजा था.
पहली विदेश यात्रा
जापान के जीजी प्रेस ने रिपोर्ट दी थी कि मोदी सबसे पहले जापान की यात्रा करेंगे. इसके बाद ही भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में सफाई दी है. इस बीच रिपोर्ट है कि सितंबर में मोदी संयुक्त राष्ट्र के सालाना अधिवेशन में जाएंगे और इस दौरान उनकी मुलाकात अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से होगी.
जापान में ढांचागत संरचना का बड़ा उद्योग है और भारत अपने खस्ताहाल सड़कों और जर्जर इमारतों की वजह से उसका बड़ा बाजार बन सकता है. लेकिन जानकारों का कहना है कि भारत और जापान सिर्फ आर्थिक वजहों से एक साथ नहीं हैं. उन्हें जोड़ने वाला चीन है. दोनों ही देशों का चीन के साथ सीमाई विवाद है. चीन लगातार अपनी सैनिक क्षमता बढ़ा रहा है, जिससे भारत और जापान दोनों चिंतित हैं.
पूर्वी चीनी सागर में कई द्वीपों के मालिकाना हक को लेकर भी जापान का चीन के साथ विवाद चल रहा है. जबकि भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध हुआ, जिसके बाद से दोनों के बीच सरहदी विवाद जारी है.
अमेरिका का सवाल
इसके अलावा भूटान को भारत का "सदा सहयोगी" का रुतबा प्राप्त है. चीन के साथ उसकी अनबन होती रहती है. जहां तक अमेरिका का सवाल है, वह जापान का अच्छा सामरिक साथी है. अमेरिका भी चीन के बढ़ते आर्थिक और सैनिक ताकत से चिंतित है और जापान और भारत की नजदीकी उसे पसंद आएगी.
हालांकि खुद अमेरिका का मोदी के साथ अच्छा रिश्ता नहीं है. गुजरात के 2002 के दंगों की वजह से अमेरिका ने मोदी को 2005 से वीजा नहीं दिया है. दंगों के वक्त मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उनपर आरोप हैं कि उन्होंने इसे नियंत्रण करने में पूरी शक्ति नहीं लगाई. हालांकि किसी अदालत ने उन्हें कभी दोषी करार नहीं दिया है.
एजेए/एमजे (एएफपी)