1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मोदी के बर्लिन दौरे पर मुक्त व्यापार की वकालत

२९ मई २०१७

सबसे तेज विकास वाले देशों में एक होने के कारण भारत यूरोपीय उद्यमों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. लेकिन करीबी संबंधों में सीमाशुल्क बाधा हैं. और अब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बर्लिन आ रहे हैं.

https://p.dw.com/p/2djIv
Indien Eröffnung der längsten Brücke des Landes in Assam | Modi
तस्वीर: Handout Office Prime Minister of India

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जर्मनी दौरे के ठीक पहले जारी एक स्टडी के अनुसार यूरोप और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते से जर्मनी को बहुत ज्यादा लाभ होगा. बैर्टेल्समन फाउंडेशन के लिए की गयी इस स्टडी में इफो इंस्टीच्यूट का कहना है कि जर्मनी का सकल राष्ट्रीय उत्पाद सालाना 4.6 अरब यूरो बढ़ जायेगा. यह यूरोपीय संघ के अंदर ब्रिटेन के 4.8 अरब यूरो के बाद सबसे ज्यादा संभव विकास है. ब्रिटेन के औपनिवेशिक अतीत के कारण भारत के साथ विशेष संबंध हैं.

लेकिन यूरोपीय संघ और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता अभी ठंडे बस्ते में पड़ा है. यह समझौता कारों की बिक्री और श्रम बाजार पर मतभेदों के कारण कामयाब नहीं हो पाया है. यूरोप ने पिछले सालों में अपना सारा ध्यान अमेरिका और कनाडा के साथ मुक्त व्यापार की बातचीत पर लगा दिया था. अमेरिका के साथ विभिन्न मुद्दों पर उभरते मतभेदों की रोशनी में अब भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते की फिर से पहल करने का मौका है.

भारतयी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी आ रहे हैं और मंगलवार को चांसलर मैर्केल के साथ वे मंत्रिस्तरीय परामर्शी बैठक के लिए मिलेंगे. यह शिखर भेंट 2011 से हर दो साल पर होती है. बैर्टेल्समन की एशिया विशेषज्ञ कोरा युंगब्लूथ का कहना है कि मुक्त व्यापार समझौते का दोनों पक्षों के लिए सिर्फ आर्थिक फायदा ही नहीं होगा, बल्कि यह वैश्विक मुक्त व्यापार के लिए महत्वपूर्ण संकेत भी होगा. राष्ट्रपति ट्रंप के "अमेरिका फर्स्ट" नारे के बाद वैश्विक मुक्त व्यापार को बचाना यूरोप की प्राथमिकता हो गया है. युंगब्लूथ का कहना है कि समझौता होने से भारत के विकासमान बाजार को यूरोपीय उद्यमों के साथ बेहतर तरीके से जोड़ा जा सकेगा.

जर्मनी में खास फायदा ऑटोमोबाइल और मशीनरी उद्योग को होगा. वे अपना उत्पादन 1.5 अरब यूरो तक बढ़ा पायेंगे. उद्योग की कुछ शाखाओं को नुकसान भी पहुंचेगा. टेक्सटाइल्स और कपड़ा उद्योग को करोड़ों यूरो का नुकसान होगा. इस क्षेत्र में भारत की कंपनियां खासकर कम वेतन के कारण बेहतर स्थिति में हैं. स्टडी के लेखकों का कहना है कि दूरगामी तौर पर यूरोप के साथ मुक्त व्यापार का समझौता होने से भारत में विकासदर को 1.3 प्रतिशत का अतिरिक्त फायदा हो सकता है. ईयू को वार्षिक 0.14 और जर्मनी को 0.15 प्रतिशत का लाभ मिलेगा.

भारत और यूरोपीय संघ के बीच 2007 में शुरू हुई मुक्त व्यापार बातचीत 2013 से औपचारिक रूप से ठंडे बस्ते में है. जर्मनी के नजरिये से सबसे बड़ी बाधा ऑटो और फार्मेसी क्षेत्र हैं. बनी बनाई कारों को भारत ले जाने पर 60 से 100 प्रतिशत सीमाशुल्क देना पड़ता है. ईयू इसे खत्म देखना चाहता है जबकि भारत इसमें अपने घरेलू उद्योग के लिए खतरा देखता है. फार्मेसी के क्षेत्र में बौद्धिक संपदा और पैटेंट सुरक्षा का मामला विवादों में है. एक कानून इस बात की अनुमति नहीं देता कि दवा के पैटंट सुरक्षा की अवधि बढ़ाई जा सके, भले ही निर्माताओं ने उसमें इस बीच सुधार क्यों न किया हो.

एमजे/एके (डीपीए)