1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मोदी ने उठाया मीडिया की विश्वसनीयता का मुद्दा

५ जनवरी २०१५

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि मीडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है अपनी विश्वसनीयता को बनाए रखना. उन्होंने आरोपों के बदले आलोचना पर जोर दिया. प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर सोशल मीडिया में बहस छिड़ी है.

https://p.dw.com/p/1EF3W
तस्वीर: Reuters

प्रधानमंत्री ने कहा कि आलोचना करना किसी भी लोकतंत्र के लिए जरूरी है लेकिन मीडिया को आरोप लगाने की आदत से बचना चाहिए, "यदि आलोचना नहीं की जाएगी, तो लोकतंत्र धरा रह जाएगा. पानी जब तक बहता है, साफ रहता है, पर जब रुका रह जाता है तो गंदा हो जाता है." मोदी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र के "शुद्धिकरण" के लिए आलोचना बेहद जरूरी है. वे महाराष्ट्र में एक अखबार की 75वीं वर्षगांठ पर बोल रहे थे.

उन्होंने कहा, "आलोचना से सत्य को अच्छी तरह परखने का मौका मिलता है और गलत राह पर न भटकने की संभावना पैदा होती है. मीडिया के माध्यम से यह सेवा सर्वोत्तम हो सकती है. पर दुख की बात है कि सही तरह से आलोचना नहीं होती, जिस कारण सत्ता में बैठे लोग बर्बाद हो रहे हैं." मोदी ने इसे "लोकतंत्र का दुर्भाग्य" बताया कि मीडिया केवल आरोप लगाने में ही विश्वास करती है.

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा, "इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र का दमन देखा गया. अखबारों के दफ्तरों पर ताले लग गए. जिस किसी ने सरकार के खिलाफ लिखना चाहा, उन अखबारों के मालिकों को जेल में डाल दिया गया. सिर्फ वही छपा, जो सरकार चाहती थी और जब लोगों को इस बात का एहसास हुआ, तो उन्होंने अखबार पढ़ना ही छोड़ दिया." प्रधानमंत्री ने कहा कि मीडिया को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह आरोप नहीं लगाएगी, बल्कि संजीदा आलोचना करेगी, "आलोचना जितनी कड़ी होगी, सरकार उतनी ही सक्षम बनेगी."

मोदी की इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. लोग लिख रहे हैं कि यह तय कौन करेगा कि क्या आरोप है और क्या आलोचना. वहीं इसे मीडिया में अमित शाह की कड़ी आलोचना से भी जोड़ कर देखा जा रहा है.

कुछ समीक्षकों का कहना है कि प्रधानमंत्री खुद मीडिया पर काबू करने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ लोगों ने तो ऐसा भी लिखा है कि मोदी मीडिया को इशारा कर रहे हैं कि वह खुद पर लगे आरोपों को बर्दाश्त नहीं करेंगे. वहीं कुछ लोग इसमें मीडिया की स्वतंत्रता पर लगाम कसने की कोशिश भी देख रहे हैं.

आईबी/एमजे (पीटीआई)