1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मोदी लहर की हकीकत

१६ अप्रैल २०१४

बीजेपी कह रही है कि देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही है. वहीं विपक्ष इस दावे को नकार कर अपने समर्थकों को साथ रखने की कोशिश कर रहा है. क्या है मोदी लहर की हकीकत.

https://p.dw.com/p/1BjCG
तस्वीर: Reuters

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार चुने जाने के बाद से बीजेपी के केंद्र में हैं और मोदी लहर का केंद्र भी गुजरात है. टीवी चैनलों और अखबारों की चर्चा से भाजपा के दावे को मजबूती मिलती है. बड़े और मझोले शहरों में भी इस बार राजनीतिक चर्चा के केंद्र में मोदी ही हैं, तो पहली नजर में बीजेपी का दावा बेजान नहीं लगता.

दूसरे शहरों जैसा वड़ोदरा

इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे वड़ोदरा निवासी राहुल पंडित राज्य में हुए विकास से सहमत तो हैं, पर उन्हें यह बताने में ज्यादा गर्व होता है कि यह राज्य आजादी के पहले से ही देश के विकसित राज्यों में शुमार रहा है. भुवनेश एक कलाकार हैं और भारत के कई शहरों को देख चुके हैं. पिछले तीन सालों से वड़ोदरा में रह रहे भुवनेश का कहना है कि यह शहर भी देश के अन्य शहरों जैसा ही है, लेकिन बिजली की समस्या यहां उतनी नहीं है, जितनी देश के दूसरे शहरों में.

चुनाव प्रचार में गुजरात को विकास का मॉडल और नरेंद्र मोदी को विकास पुरुष बताया जा रहा है, लेकिन मोदी के अपने राज्य में भी ऐसे लोग हैं जो इस दावे से इनकार करते हैं. एक सीनियर बिजनेस एग्जीक्यूटिव अपना नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि कामकाज या प्रशासनिक दक्षता के मामले में नरेंद्र मोदी न किसी से उन्नीस हैं और न ही बीस. वे नरेंद्र मोदी को विकास पुरुष मानने से इनकार करते हैं. चिमन भाई पटेल के बाद आयी सभी सरकारों को करीब से देखने वाले व्यापारी का कहना है कि पिछले 22 सालों में प्रांत में भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आयी है.

वड़ोदरा से नरेंद्र मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सुनील कुलकर्णी को नहीं लगता कि विकास और मोदी के बीच कोई संबंध स्थापित किया जा सकता है. उनका कहना है इस शहर में पीने के पानी का संकट है, बिजली भी आने जाने का खेल खेलती है. सुनील कुलकर्णी कहते हैं कि जिन सड़कों की मीडिया या मोदी बात करते हैं, ग्रामीण इलाकों में वह बदसूरत हो जाती है.

उद्योग जगत का समर्थन

“वाइब्रेंट गुजरात” कार्यक्रम के जरिये नरेंद्र मोदी ने उद्योग जगत की तमाम बड़ी हस्तियों का दिल जीतने में कामयाबी पायी है. अंबानी और अडानी समूह ही नहीं बल्कि रतन टाटा, कुमार मंगलम बिरला, आदि गोदरेज, आनंद महिंद्रा, अजीत गुलाबचंद और राहुल बजाज जैसे बड़े उद्योगपतियों ने समय समय पर बयान देकर नरेंद्र मोदी के लिए माहौल बनाया है. खासतौर से गुजरात से संबंध रखने वाले उद्योगपति पूरी निष्ठा से मोदी का गुणगान कर रहे हैं.

उद्योगपतियों के अलावा आर्थिक प्रबंधन से जुड़े लोग भी मोदी की तारीफों के पुल बांधते नजर आते हैं. यह भी एक वजह है कि मीडिया में मोदी लहर की चर्चा होने लगती है. दरअसल पहले भाजपा में और फिर देश की मीडिया में छा जाने वाले मोदी की छवि इन्हीं तारीफों की बुनियाद पर गढ़ी गई है. लेकिन तारीफों के निहितार्थ की पड़ताल न हो तो लहर को यथार्थ से बार बार टकराना होगा.

गुजरात के निर्विवाद हीरो

कंप्यूटर हार्डवेयर का काम करने वाले मुकेश भाई मोदी के कट्टर समर्थक हैं. उनका कहना है कि मोदी ने गुजरातियों का सम्मान देश और दुनिया में बढ़ा दिया है. वे विकास के नाम पर सड़क, बिजली और औद्योगिकीकरण का श्रेय अपने नेता को देते हैं. ऐसे मोदी समर्थक पूरे राज्य में हैं.

नरेंद्र मोदी की देशव्यापी लोकप्रियता पर सवाल उठाया जा सकता है लेकिन गुजरात में उनके कद के नेता को ढूंढ पाना असंभव है. 2002 के गुजरात दंगों के बाद मोदी की राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर जितनी आलोचना हुई, राज्य में उनका कद बढ़ता गया. मोदी की छवि यहां एक हिन्दू राष्ट्रवादी नेता के रूप में है. बहुसंख्यक वर्ग में वे आत्म-सम्मान का प्रतीक बन चुके हैं. राज्य में मोदी की चुनावी सफलता का यही राज है.

विकास बनाम गुजराती अस्मिता

गुजरात के विकास की चर्चा सुनने से पूरा राज्य सुख-समृद्धि में डूबा हुआ नजर आएगा. लेकिन, यह पूरा सच नहीं है, क्योंकि राज्य में विकास कोई मुद्दा ही नहीं है. स्वयं नरेंद्र मोदी मुद्दा जरूर हैं. अमूमन हर दूसरा गुजराती अपने राजनीतिक विचारों से परे मोदी को प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहता है. नरेंद्र मोदी और उनके सलाहकारों ने अपने राजनीतिक कौशल का प्रयोग करते हुए मोदी को गुजरात के सम्मान से जोड़ दिया है. और खूबी यह है कि इसमें क्षेत्रवाद की बू भी नहीं आती.

वड़ोदरा शहर के भूजल में पेस्टीसाइड प्रदूषण की गंभीर समस्या है. भूजल के नमूनों में एल-बीएचसी बीटा—बीएचसी, डेल्टा-बीएचसी, ऐल्ड्रन एल-एंडोसल्फान तथा मेथोक्सि-क्लोर की मात्राएं निर्धारित सीमा से कहीं ज्यादा हैं. लेकिन इस मुद्दे का चुनाव पर कोई असर पड़ेगा, इसकी संभावना न के बराबर है. क्योंकि, वडोदरा सहित पूरे गुजरात में चुनाव नेतृत्व के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है. एक गढ़े हुए नायक को राज्य के सम्मान से जोड़ दिया गया है.

रिपोर्ट: विश्वरत्न श्रीवास्तव

संपादन: महेश झा