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मौत की सजा देने वाले 10 प्रमुख देशों में भारत

१ अप्रैल २०१५

मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 2014 की उन देशों की सूची जारी की है जिन्हें इस साल लोगों को मौत की सजा दी गई. ऐसा करने वाले 55 में से 10 प्रमुख देशों में भारत भी शामिल है.

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तस्वीर: dapd

मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 2014 की उन देशों की सूची जारी की है जिन्हें इस साल लोगों को मौत की सजा दी गई. ऐसा करने वाले 55 में से 10 प्रमुख देशों में भारत भी शामिल है.

साल 2014 में भारतीय अदालतों ने 64 लोगों को मौत की सजा सुनाई. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक भारत उन सात देशों में शामिल है जिनमें 2013 में मौत की सजा का फैसला पाने वालों को फांसी दी गई थी, लेकिन 2014 में कोई फांसी नहीं हुई.

एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 के मुकाबले 2014 में दुनिया भर में करीब 500 ज्यादा लोगों को मौत की सजा सुनाई गई. इसका मुख्य कारण है मिस्र और नाइजीरिया में आंतरिक कलह और राजनीतिक अस्थिरता के चलते ढेरों लोगों को सुनाई गई मौत की सजा.

भारत में मौत की सजा दिए जाने का चलन 2013 के मुकाबले 2014 में बाकी दुनिया से मिलता जुलता ही है. रिपोर्ट के मुताबिक 2013 के मुकाबले 2014 में मौत की सजा सुनाने में 28 फीसदी बढ़ोतरी हुई, लेकिन सजा को अंजाम देने में 22 फीसदी की कमी पाई गई.

मौत की सजा देने वाले प्रमुख देश

दुनिया भर के देशों में कुल मिलाकर जितने लोगों को मौत की सजा दी गई, अकेले चीन में ही उससे ज्यादा को मौत की सजा दी गई. एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक वहां हर साल हजारों लोगों को मौत की सजा सुनाई और दी जाती है. लेकिन ठीक ठीक संख्या सरकार जाहिर नहीं होने देती इसलिए सही संख्या पता लगाना मुमकिन नहीं.

फांसी की सजा देने वाले अन्य देशों में प्रमुख हैं ईरान (289 की आधिकारिक घोषणा जबकि अनुमान है कि असल संख्या 454 है), सऊदी अरब (कम से कम 90), इराक (कम से कम 61) और अमेरिका (35).

चीन को अगर हटा दिया जाए तो बाकी देशों में साल 2014 में 607 लोगों को फांसी दी गई. जबकि 2013 में 778 लोगों को फांसी दी गई थी. फांसी को अंजाम देने में यह लगभग 20 फीसदी कमी है. 2014 में 2013 की ही तरह 22 देशों में फांसी दी गई. जबकि 20 साल पहले 1995 में एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक 42 देशों में फांसी की सजा दी जा रही थी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौत की सजा देने के रुझान में कमी आई है.

हालांकि पाकिस्तान में पेशावर के स्कूल पर आतंकी हमले के बाद फांसी की सजा पर पाबंदी हटा ली गई और इसके बाद दिसंबर में सात लोगों को फांसी दी गई. सरकार का कहना है कि आतंकवाद के अपराधी और लोगों को भी मौत की सजा दिया जाना जारी रखा जाएगा.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रिपोर्ट में मौत की सजा दिए जाने के अंतरराष्ट्रीय चलन की कड़ी निंदा की है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के महानिदेशक सलिल शेट्टी ने कहा, "वे सरकारें जो अपराध से लड़ने के लिए मौत की सजा का रास्ता अपना रही हैं वे भ्रम में हैं. इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिलते कि अपराध के लिए किसी और सजा के बदले मौत की सजा ज्यादा डराने वाली है."

समरा फातिमा/एमजे