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अहम हैं म्यांमार के संसदीय चुनाव

६ नवम्बर २०१५

म्यांमार में रविवार को होने वाले संसदीय चुनाव में ऑन्ग सान सू ची की लोकतंत्र समर्थक पार्टी के जीतने की संभावना है. पश्चिमी देशों ने म्यांमार से निष्पक्ष चुनाव कराने और लोकतंत्र का रास्ता साफ करने की अपील की है.

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तस्वीर: DW/R. Ebbighausen

सू ची की नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रैसी 1990 के बाद पहली बार चुनाव लड़ रही है और उसे बहुमत पाने की उम्मीद है. लेकिन बहुमत पाने की राह में मुख्य बाधा सेना समर्थित सत्ताधारी यूनियन एंड सोलिडैरिटी डेवलपमेंट पार्टी है. पिछले चुनावों के बाद से यह पार्टी सत्ता में है जबकि सू ची की पार्टी ने पिछले चुनाव का बहिष्कार किया था.

देश पर पिछले 50 साल से बर्बर और अलग थलग रहने वाले सैनिक नेतृत्व का शासन रहा है जिसने लोकतांत्रिक आंदोलन का दबाया है. 2011 में सेना ने अप्रत्याशित तौर पर चुनाव कराकर पूर्व जनरल थेन सेन की नागरिक सरकार को सत्ता सौंप दी. उसके बाद से किए गए सुधारों के कारण देश पर सेना का शिकंजा ढीला हुआ है. उसके बाद से म्यांमार में आजाद प्रेस का विकास हुआ है, अधिकांश राजनीतिक बंदियों को रिहा कर दिया गया है और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के उठाए जाने के साथ अर्थव्यवस्था की हालत सुधरी है.

Myanmar Wahlen U Aye Thein
तस्वीर: DW/R. Ebbighausen

शुक्रवार को चुनाव प्रचार समाप्त हो गया. लोगों ने सारे पोस्टर और कारों पर चिपके स्टिकर हटा लिए. सालों के सैनिक शासन के बाद चुनावों से पहले माहौल में एक तरह की अधीरता है. लेकिन सू ची के समर्थक जोश में हैं. 39 वर्षीय टुन टुन नाइंग लोकतंत्र के समर्थन के कारण सालों तक कैद रही सू ची की पार्टी के लिए अपने समर्थन के बारे में कहते हैं, "एमएलडी अकेली पार्टी है जो हमारे सपनों को साकार कर सकती है." देश भर में चुनाव प्रचार के दौरान लाल कपड़ा पहले समर्थकों ने मदर सू को रॉक स्टारों वाला स्वागत दिया है. उनके आलोचकों का कहना है कि मानवाधिकारों के हीरो की उनकी छवि पिछले सालों में धूमिल हुई है और उन्हें आदर्शों के बदले व्यावहारिकता का दामन थाम लिया है.

Myanmar Parlamentswahl - National League for Democracy
तस्वीर: Reuters/S. Zeya Tun

लेकिन 70 वर्षीय सू ची का देश का लोकतंत्र समर्थक कैंप आदर करता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनके लंबे स्वार्थहीन संघर्ष के लिए उनका सम्मान करता है. वे सैनिक शासन के दौरान पंद्रह साल तक नजरबंद रही हैं और उन्होंने नियमित दमन के बीच पार्टी को नेतृत्व दिया है. फिलहाल सेना द्वारा तैयार संविधान में सू ची को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा है कि यदि उनकी पार्टी जीतती है तो वे सरकार चलाएंगी. चुनाव प्रचार खत्म होने पर अपनी अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस में सू ची ने कहा कि एनएलडी की जीत लोकतंत्र की ओर लंबी छलांग होगी.

Myanmar Parlamentswahl - Aung San Suu Kyi
तस्वीर: Reuters/J. Silva

संविधान के अनुसार संसद की 25 प्रतिशत सीटें सेना के प्रतिनिधियों को मिलेंगी. इसलिए बहुमत पाने के लिए सू ची की एनएलडी पार्टी को बाकी सीटों में 67 प्रतिशत सीटें जीतनी होंगी. चुनाव में 91 पार्टियां भाग ले रही हैं और एनएलडी पार्टी के लिए जीत आसान नहीं है. दूसरी तरफ सेना उसके आड़े आती रही है. 1990 में उसकी बारी विजय को सेना ने नजरअंदाज कर दिया था और उसे सत्ता सैौंपने के बदले देश पर शिकंजे को और सख्त कर दिया था. सू ची ने इस बात पर चिंता भी जताई है कि कुछ हिस्सों से धोखाधड़ी और अनियमितताओं की खबरें आ रही हैं. सू ची ने सेना के साथ टकराव की नीति भी अपनाई है और कहा है कि एनएलडी के बहुमत की स्थित में वह राष्ट्रपति के ऊपर की भूमिका निभाएगी. संविधान में विदेशी पति और बच्चों वाले व्यक्ति के राष्ट्रपति बनने पर रोक है. सू ची के पति ब्रिटिश नागरिक थे और उनके दो बच्चों के पास ब्रिटिश पासपोर्ट है.

Myanmar Parlamentswahl
तस्वीर: Reuters/O. Harris

चुनाव परिणाम मतदान खत्म होने के 48 घंटे के बीतर जारी कर दिए जाएंगे. किसी की भी जीत हो नई सरकार अगले साल फरवरी से पहले नहीं बनेगी. यदि किसी को बहुमत नहीं मिलता है तो गठबंधन बनाने के लिे लंबी बातचीत की भी संभावना है. टेम्पेडिया इंस्टीट्यूट के किन जाव विन का कहना है कि एमएलडी अकेले सरकार नहीं बना पाएगी, उसे सहयोगियों की जरूरत होगी. कुछ विश्लेषकों को ये आशंका भी है कि यदि लोकतंत्र का सपना पूरा नहीं होता है तो उसका नतीजा विरोध और हिंसक प्रदर्शनों के रूप में सामने आ सकता है. 2012 से धार्मिक हिंसा मे बहुत से लोग मारे गए हैं जिनमें ज्यादातर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के हैं. पश्चिमी देशों ने निष्पक्ष चुनावों और अधिक लोकतंत्र तथा रोहिंग्या समुदाय को नागरिकता का रास्ता साफ करने की मांग की है.

एमजे/ओएसजे (एएफपी))