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यमन संकट का प्रतीक बनी बच्ची ने दम तोड़ा

२ नवम्बर २०१८

यमन में जारी मानवीय संकट का प्रतीक बनी एक बच्ची अमल हुसैन ने सात साल की उम्र में दम तोड़ दिया है. अमल के परिवार का कहना है कि गुरुवार को एक रिफ्यूजी कैंप में उसने आखिरी सांस ली.

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Jemen Krieg | unterernährte Kinder
तस्वीर: Reuters/K. Abdullah

पिछले हफ्ते ही न्यूयॉर्क टाइम्स में इस बच्ची की तस्वीर छपी जिसमें उसकी पसलियों को गिना जा सकता था. फोटोग्राफर टेलर हिक्स की ली हुई यह तस्वीर छपने के बाद अमल यमन में जारी मानवीय संकट का एक प्रतीक बन गई.

उसकी मां मरियम अली ने गुरुवार को न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही. उन्होंने कहा, "मेरा दिल टूट गया है. अमल हमेशा मुस्कराती रहती थी. अब मैं अपने दूसरे बच्चों के लिए चिंतित हूं."

उधर पुलित्जर पुरस्कार जीतने वाले हिक्स ने पिछले दिनों 'द टेकअवे' नाम के एक रेडियो स्टेशन को बताया कि अमल का फोटो लेना कितना 'मुश्किल लेकिन महत्वपूर्ण' था. वह बताते हैं, "असल में उसे देख कर पता चलता है कि यमन में कुपोषण और भुखमरी से स्थिति कितनी त्रासदीपूर्ण और और बुरी है."

यमन अरब दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है. लगभग चार साल से वह सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन और यमनी हूथी बागियों की लड़ाई में पिस रहा है और इसकी सबसे ज्यादा मार आम लोगों पर पड़ रही है.

पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता प्रमुख मार्क लोवकॉक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि युद्ध से तबाह यह देश बड़े सूखे की चपेट में आने के कगार पर खड़ा है, जिससे 1.4 करोड़ लोग प्रभावित हो सकते हैं, जो पूरे देश की आबादी का लगभग 50 फीसदी हिस्सा है. लोवकॉक ने कहा कि यमन में इतने बड़े सूखे का संकट मंडरा रहा है जितना किसी ने सोचा भी नहीं होगा.

यमन की स्थिति के बारे में संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या फंड ने कहा है कि "खाने की कमी, विस्थापन, पोषण की कमी, बीमारियां फैलने और स्वस्थ्य सेवाएं ध्वस्त होने" से 11 लाख मांएं कुपोषण का शिकार हैं. उसका कहना है कि अगर हालात ऐसे ही खराब रहे तो लगभग 20 लाख मांओं पर मौत का खतरा मंडरा रहा है.

एके/आईबी (डीपीए)

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