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समाज

यहां पानी की गाड़ी का इंतजार करते हैं आम लोग

१४ जून २०१९

महाराष्ट्र समेत भारत के कई इलाके इन दिनों सूखे से जूझ रहे हैं. घटते भूजल ने लोगों की परेशानी और भी बढ़ा दी है. ऐसे में पानी पहुंचाने वाले सरकारी टैंकर लोगों की जीवनरेखा बन गए हैं.

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Indien Hitzewelle und Trockenheit
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe

महाराष्ट्र में रहने वाले गजानंद दुकरे इन दिनों शाहपुर गांव में रहने वाले लोगों के लिए किसी ईश्वरीय दूत से कम नहीं है. गजानंद का इंतजार सूखे प्रभावित शाहपुर के लोगों को बड़ी बेसब्री से रहता है. गजानंद शाहपुर और आसपास के गांवों में जाते हैं तो उनके साथ पानी का टैंकर होते हैं. जैसे ही वह गांव में अपने पानी का टैंकर खड़ा करते हैं गांव के दर्जनों लोग, खासकर साड़ी पहने हुए महिलाएं बर्तनों, डिब्बे समेत तेजी से पानी भरने के लिए भागती हैं.

करीब दो घंटे तक दुकरे गांव वालों के लिए टैंकर में भरे 12 हजार लीटर पानी को निकालते हैं. ये टैंकर सूखे प्रभावित गांवों के लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं है. 41 साल के दुकरे बताते हैं कि वह पानी पहुंचाने के लिए ओवरटाइम कर रहे हैं. शाहपुर के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए एक दिन में पानी डिलीवरी के चार चक्कर लगाए जाते हैं.

Indien Hitzewelle und Trockenheit
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe

दुकरे ऐसे 37 सरकारी ड्राइवरों में से एक हैं जो पानी के सरकारी टैंकरों को जरूरतमंदों तक ले जा रहे हैं. पानी के ये टैंकर मार्च से जून तक, हफ्तों के सातों दिन उन जगहों पर पानी पहुंचाते हैं जो पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं. शाहपुर भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई से 100 किमी के फासले पर स्थित है.

भीषण गर्मी ने महाराष्ट्र समेत देश भर में लोगों को बेहाल कर दिया है. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक करीब आधा भारत मतलब 50 करोड़ से अधिक लोग इन दिनों सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं. शाहपुर के अलावा महाराष्ट्र के शकर पाड़ा गांव में कुंओं का पानी काफी नीचे जा चुका है. शकर पाड़ा के लोग भी दुकरे को देखकर चैन की सांस लेते हैं और पानी को टैंकर से पानी भर-भर कर घरों में रखते हैं.

स्थानीय महिला प्रमिला शेवाले बताती हैं, "पिछले महीने से यहां पानी की कमी हो रही है." वे मानती हैं कि अगर टैंकर नहीं होते तो उन्हें पानी के लिए कुएं पर निर्भर रहना होता जो उनके लिए बहुत ही मुश्किल होता. शकर पाड़ा गांव में करीब 98 परिवार रहते हैं जिनमें से अधिकतर कृषि पर निर्भर करते हैं. ये परिवार चावल और सब्जियां उगाते हैं. सूखे के चलते कृषि और पशुओं के लिए पानी नहीं बचा है.

Indien Hitzewelle und Trockenheit
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe

मौसम विभाग ने इस साल सामान्य मॉनसून का अनुमान जताया है. गांव में कृषि कार्य करने वाले नरेश रेरा कहते हैं, "हर साल सूखा और भी भयंकर होता जा रहा है. हर साल मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि बस इस बार पर्याप्त पानी मिल जाए."

जब तक महाराष्ट्र में अच्छी तरह मॉनसून नहीं आ जाता दुकरे जैसे टैंकर ड्राइवर गांव-गांव में पानी को पहुंचाते रहेंगे.  हर रात दुरके और उनके साथी ड्राइवर नदी किनारे अपनी गाड़ियों में ही सोते हैं और टैंकर भरने की अपनी बारी का इंतजार करते हैं. ये लोग देर रात तीन-तीन बजे तक टैंकरों में पानी भरते हैं और सुबह होते ही गांवों में निकल पड़ते हैं. दुरके बताते हैं कि रात तीन बजे से शाम साढ़े सात तक उनका काम पूरा नहीं होता. दुरके कहते हैं, "यह मेहनत का काम है लेकिन मुझे अच्छा लगता है क्योंकि मैं लोगों की मदद कर रहा हूं." 

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एए/आरपी (एएफपी)

 

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