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यातायात में सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र की पहल

३ जनवरी २०१५

महिलाओं की सुरक्षा पर पिछले साल लगातार चर्चा होती रही. पर तमाम सरकारी आश्वासनों के बावजूद यौन हिंसा के मामले रुके नहीं. नए साल में महाराष्ट्र ने महिलाओं की सुरक्षा को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल कर कुछ उम्मीद जगायी है.

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तस्वीर: imago

पिछले कुछ सालों में मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में वृद्धि ने जहां चिंता बढाई है वहीँ पुलिस और प्रशासन की नाकामी को भी उजागर किया है. विभिन्न सरकारों ने वायदे तो बहुत किए लेकिन कोई ठोस कदम उठाने में वे नाकाम रहीं. महाराष्ट्र परिवहन मंत्रालय महिला सुरक्षा को इस साल अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाते हुए एक नयी पहल के साथ सामने आया है.
महाराष्ट्र राज्य परिवहन विभाग ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों से निपटने के लिए एक नियामक व्यवस्था की घोषणा की है जिसके तहत सरकारी और गैर सरकारी सभी वाहनों को शामिल किया गया है. इसमें आरटीओ एवं यातायात से जुड़ी अन्य एजेंसियां भी शामिल होंगी.
टेक्नोलॉजी का प्रयोग
महिलाओं की सुरक्षा के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है. मोबाइल एप्लीकेशन के अलावा सभी वाहनों को जीपीएस से जोड़ा जाएगा. स्मार्टफोन पर चलने वाले ऐप के जरिए मुसीबत में फंसी कोई भी महिला नियंत्रण कक्ष से फौरन संपर्क कर सकेगा. इस ऐप की मदद से लोकेशन ट्रैक करके यात्री को त्वरित सहायता पहुंचाई जा सकती है.

महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रख कर ही इस पूरी व्यवस्था को अंजाम दिया जा रहा है. जरूरतमंद यात्रियों के लिए एक टोल फ्री नंबर होगा जो चौबीसों घंटे नियंत्रण कक्ष से जुड़ा रहेगा. इसके अलावा अवैध गाड़ियों और असामाजिक तत्वों की पहचान कर उन्हें प्रतिबंधित करने के लिए आरटीओ को इस नियामक व्यवस्था से जोड़ा गया है.
महिला ड्राइवरों को प्रोत्साहन
इसके अलावा सरकार महिलाओं को टैक्सी ड्राइवर बनने के लिए प्रोत्साहित करेगी. इसके लिए कुछ स्वयं सेवी संस्थाओं का सहयोग भी लिया जा रहा है. महिलाओं के लिए महिलाओं द्वारा चालित रेडियो टैक्सी बहुत जल्द ही मुंबई की सड़कों पर दौड़ने लगेगी. लगभग 200 ऐसी टैक्सी को शुरू करने की योजना बनाई गयी है. मार्च के अंत तक ऐसी 50 टैक्सियां महिला यात्रियों के लिए उपलब्ध हो जाएंगी.
मुंबई को महिलाओं के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित शहर माना जाता रहा है. देश और दुनिया भर से कई महिलाएं यहां आकर अपने सपनों को जीवन देती हैं. लेकिन पिछले एक दशक से मुंबई में भी महिलाओं के विरुद्ध अपराध में चिंताजनक वृद्धि हुई है. गैरसरकारी संगठन प्रजा फाउंडेशन ने आरटीआई से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर जो रिपोर्ट जारी की है उसके अनुसार पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध में जबरदस्त वृद्धि हुई है. साल 2013-14 में बलात्कार के मामले 47 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 294 से बढ़कर 432 हो गए. वहीं यौन शोषण के मामलों में 52 प्रतिशत (793 से बढ़कर 1,209) की वृद्धि हुई है.
उम्मीद की किरण
घर से काम के लिए निकलने वाली महिलाओं को यौन दुर्व्यवहार के अलावा कई दूसरी तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. चेन, मोबाइल, पर्स की झपटमारी के मामलों की तो अक्सर रिपोर्ट भी नहीं कराई जाती. झपटमारी और छेड़छाड़ के मामलों की असली संख्या पुलिस रिकॉर्ड से कहीं ज्यादा होती है.

इन मामलों की रोकथाम में प्रस्तावित नियामक व्यवस्था प्रभावी साबित हो सकती है. महाराष्ट्र सरकार अगर महिला सुरक्षा के मामले में शून्य-संवेदनशीलता अपनाने की दिशा में आगे बढ़ती है तो मुंबई फिर से महिलाओं के लिए सुरक्षित शहर बन सकता है. महाराष्ट्र सरकार की घोषणाएं निश्चित तौर पर उम्मीदों को पंख देती हैं.

ब्लॉग: विश्वरत्न श्रीवास्तव