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यूएन विवादों की सूची से कश्मीर हटा, पाक भड़का

१६ नवम्बर २०१०

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के दुनिया भर के विवादों की सूची से कश्मीर को बाहर किए जाने पर सख्त नाराजगी जताई है. संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के शीर्ष अधिकारी के भाषण में इस लिस्ट का जिक्र आया.

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तस्वीर: UN Photo/Eric Kanalstein

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के कार्यवाहक राजदूत अमजद हुसैन बी सियाल ने कहा, "जम्मू कश्मीर का विवाद लंबे समय से चले आ रहे अनसुलझे विवादों की सूची में नहीं है, हम समझते हैं कि ये गलती से छूटा होगा क्योंकि जम्मू कश्मीर सुरक्षा परिषद के एजेंडे में शामिल सबसे पुराने विवादों में से एक है."

पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र से इस विवाद को हल कराने में दखल देने की मांग कर रहा है लेकिन भारत ने हमेशा से ये माना है कि इस विवाद का हल दोनों देशों की आपसी बातचीत के जरिए ही हो सकता है.

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की आमसभा में ब्रिटेन के राजदूत मार्क लायल ग्रांट ने कहा,"लंबे समय से कुछ विवाद अनसुलझे रहे हैं इनमें मध्य पूर्व, साइप्रस, पश्चिमी सहारा प्रमुख हैं. हालांकि नेपाल, गिनी बिसाउ जैसे कुछ विवादों के निपटारे में संयुक्त राष्ट्र शामिल हुआ है.संयुक्त राष्ट्र के लिए सूडान, सोमालिया और सूडान और डीआरसी अभी भी बड़ी चुनौती बने हुए हैं."

उधर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून कह चुके हैं कि संयुक्त राष्ट्र कश्मीर के मामले में तब तक दखल नहीं देगा जब तक कि भारत और पाकिस्तान दोनों मिलकर इसे सुलझाने की मांग नहीं करते. आमसभा में बहस के दौरान ब्रिटेन ने एक बार फिर दोहराया कि वो संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सदस्यता को अपना समर्थन देना जारी रखेगा.

संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के उप राजदूत फिलिप पारहम ने कहा, "काउंसिल में ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान के लिए स्थायी सदस्यता और अफ्रीका के स्थायी प्रतिनिधित्व को हम समर्थन देते रहेंगे." फिलिप ने ये भी कहा कि वो इनमें से कई देशों के साथ काम करने का इंतजार कर रहे हैं.

जर्मनी और भारत अगले साल सुरक्षा परिषद में दो साल के लिए अस्थायी सदस्यों के रूप में शामिल हो रहे हैं. इस बीच जापान 2011 में सुरक्षा परिषद से बाहर हो जाएगा जबकि ब्राजील एक साल और सुरक्षा परिषद में बना रहेगा.

ब्रिटेन के राजदूत ने एक बीच का रास्ता निकालने की भी बात कही है जिसमें स्थायी सदस्यों को और लंबे समय के लिए सुरक्षा परिषद में शामिल करने की बात है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः एस गौड़