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यूक्रेन: आसान हल नहीं

मियोद्राग सोरिच३ फ़रवरी २०१५

अमेरिका यूक्रेन की हथियारों से मदद करना चाहता है ताकि वह रूस समर्थक अलगाववादियों का सामना कर सके. बराक ओबामा पर दबाव है. डॉयचे वेले के मियोद्राग सोरिच का कहना है कि इसका नतीजा मॉस्को के साथ शस्त्र होड़ की शुरुआत होगा.

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तस्वीर: Anatolii Stepanov/AFP/Getty Images

बेसब्री बढ़ रही है. पूर्वी यूक्रेन में तकलीफदेह युद्ध को समाप्त करने की बेसब्री. अब तक कुछ भी काम नहीं आया है. अमेरिकियों ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ बातचीत की. बेनतीजा. उन्होंने यूरोपीय देशों के साथ मिलकर मॉस्को के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाए. इसके साथ उन्होंने रूसी अर्थव्यवस्था को अरबों का नुकसान पहुंचाया लेकिन क्रेमलिन प्रमुख ने अपनी आक्रामक यूक्रेन नीति नहीं छोड़ी. पिछले महीनों में रूस समर्थक अलगाववादियों को जमीन जीतने में कामयाबी मिली है.

"ऐसा और नहीं चल सकता," वाशिंगटन में यह भावना है. ऐसे आसान समाधान की तलाश है जो अमेरिका को ताकतवर दिखाएं और यूक्रेन में फौरी असर दिखाएं. यह हस्तक्षेप का समर्थन करने वालों की घड़ी है. वे यूक्रेन को आधुनिक हथियार देने की वकालत कर रहे हैं. उनका कहना है कि इन हथियारों की मदद से रूसी टुकड़ियों को पीछे धकेला जा सकेगा. वे राष्ट्रपति ओबामा पर दवाब डाल रहे हैं, लेकिन वे हिचक रहे हैं. इसके लिए राजनीतिक विरोधी उन्हें "डरपोक" बता रहे हैं. यह बेवकूफी है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति अतीत की गलतियों से सीखने की कोशिश कर रहे हैं.

Miodrag Soric
मियोद्राग सोरिचतस्वीर: privat

शस्त्र होड़ का खतरा

एक सबक है: हर विवाद का निबटारा सैन्य तरीके से नहीं हो सकता. यदि अमेरिका यूक्रेन को आधुनिक हथियार देता है तो पुतिन भी अपने लड़ाकों को बेहतर हथियार देंगे. शस्त्र होड़ शुरू हो जाएगा जिसका फायदा सिर्फ हथियार बेचने वाली कंपनियों को होगा. इस तरह के युद्ध में ज्यादा हथियार का मतलब ज्यादा हिंसा है. गंभीरता से यह कोई नहीं चाहेगा. इसीलिए ज्यादातर यूरोपीय देश, और सबसे बढ़कर जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल हथियारों की आपूर्ति के खिलाफ हैं.

एक और सबक है: जो हथियार देता है वह इस बात के लिए भी जिम्मेदार है कि उन हथियारों से क्या किया जाता है. क्या होगा यदि अमेरिका के हथियार यूक्रेन की नियमित सेना के पास रहकर पारा मिलिटरी के पास चले जाएं. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यूक्रेन की मिलिशिया द्वारा मानवाधिकारों के हनन के सबूत दिए हैं. इनमें सैकड़ों लोग मारे गए हैं. इसलिए अमेरिका द्वारा हथियारों की सप्लाई को तभी उचित ठहराया जा सकता है जब यूक्रेन इस बात की गारंटी दे कि वे गलत हाथों में नहीं जाएंगे.

और हथियारों की आपूर्ति करने से पहले ओबामा राय मशविरा करना चाहते हैं. मसलन अपने विदेश मंत्री से जो इस हफ्ते कीव जा रहे हैं. या फिर जर्मन चांसलर मैर्केल के साथ , जो अगले हफ्ते अमेरिका दौरे पर उनसे मिलेंगी. उनके पास भी समस्या का कोई हल नहीं होगा.