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साहेल में हो रहे संघर्ष का असर बच्चों पर अधिक

२८ जनवरी २०२०

संयुक्त राष्ट्र संस्था यूनिसेफ का कहना है कि साहेल के इलाके में बच्चों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 50 लाख बच्चों को मानवीय सहायता की जरूरत है क्योंकि संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है.

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Frankreich l Macron wirbt für Sahel-Initiative - Soldaten in Mali
तस्वीर: picture alliance/dpa/K. Palitza

संयुक्त राष्ट्र बाल संस्था यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि साहेल में 2019 में सैकड़ों बच्चे मारे गए, घायल हुए या फिर जबरन अपने माता-पिता से अलग कर दिए गए. पश्चिमी अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में लड़ाई रुकी नहीं है और यूनिसेफ ने पुष्टि की है कि माली में पिछले साल के शुरुआती नौ महीनों में 277 बच्चे या तो मारे गए या अपाहिज हो गए. साहेल का बड़ा इलाका रेगिस्तान है.

साहेल इलाके में बुर्किना फासो, कैमरून, चाड, गाम्बिया, माली, मौरितानिया, नाइजर, नाइजीरिया और सेनेगल जैसे देश हैं. पश्चिमी अफ्रीकी देश इस्लामी चरमपंथियों से निपटने की कोशिश कर रहे है. पिछले आठ साल से जारी संघर्ष में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. संघर्ष बुर्किना फासो और नाइजर तक फैल चुका है. इस प्रक्रिया के कारण साहेल में जातीय तनाव बढ़ा है.

Frankreich G5-Sahel Gipfel in Pau
फ्रांस की पहलतस्वीर: DW/F. Tiassou

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे क्षेत्र में बच्चों के खिलाफ हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई है. संघर्ष के चलते सैकड़ों युवाओं को जबरन उनके परिवार से अलग होना पड़ा है. युद्ध के कारण 20 लाख लोग अपने घर को मजबूरन छोड़कर चले गए गए हैं जिनमें आधे से अधिक बच्चे हैं. यह संख्या पिछले साल के मुकाबले दोगुनी है. इसके अलावा इस क्षेत्र में मौजूदा हालत में 50 लाख बच्चों को मानवीय सहायता की जरूरत है. साथ ही रिपोर्ट कहती है कि माली, बुर्किना फासो और नाइजर में सात लाख बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं.

यूनिसेफ के पश्चिम और मध्य अफ्रीका के क्षेत्रीय निदेशक मारी-पियरे पोइयर के मुताबिक, "हम मदद नहीं कर सकते हैं लेकिन जिस तरह की हिंसा का सामना बच्चे कर रहे हैं उससे हम प्रभावित हैं. सैकड़ों-हजारों बच्चे मानसिक सदमे से गुजर रहे हैं." फ्रांस और जी5 साहेल देश- माली, बुर्किना फासो, नाइजर, चाड और मौरितानिया ने हाल ही में आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और अधिक तेज करने की घोषणा की है. लेकिन विशेषज्ञों ने इस संकल्प पर संदेह जताते हुए कहा है कि यह साहेल को सुरक्षित बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा.

एए/एमजे (एएफपी)

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