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यूपी घटतौली मामले में अदालत का हस्तक्षेप

२२ मई २०१७

उत्तर प्रदेश में प्रशासन ने घटतौली मामले को नजरअंदाज किया तो हाई कोर्ट ने पूछा कि पेट्रोल पंप मालिकों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं?

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Indien Tankstelle Archiv 2011
तस्वीर: Narinder Nanu/AFP/Getty Images

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि प्रदेश में पेट्रोल पंपों में चिप लगाकर आम जनता के साथ घटतौली करने के मामले में अबतक पेट्रोल पंप संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई क्यूं नहीं की जा रही है. न्यायालय ने मामले की जानकारी तलब करते हुए जानना चाहा है कि तेल कंपनियों की क्या भूमिका है.

न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार द्वितीय की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अशोक निगम की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज यह आदेश दिये. निगम ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि पेट्रोल पंप मालिकों ने इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाकर आम जनता के साथ घटतौली कर सरेआम बहुत बड़ी लूटपाट की है. पेट्रोल पंपों की जांच के दौरान चिप लगाकर कम पेट्रोल देने का मामला सामने आया लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई और किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई. निगम ने अदालत को बताया कि तेल कंपनियों समेत इस लूटपाट में बहुत बड़ा गैंग सक्रिय रहा जिसके जरिये आम जनता के साथ बहुत बड़ी ठगी की गई है.

इंडियन ऑयल कारपोरेशन की ओर से उनके वकील ने न्यायालय को बताया कि पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. याचिका में मांग की गई कि पेट्रोल पंप मालिकों एवं तेल कंपनियों के दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. याची की ओर से कहा गया कि यह आम जनता के साथ किया गया अपराध है, इसलिए यह बड़े अपराध की श्रेणी में आता है.

अदालत ने इस मामले में सभी पक्षकारों से जवाब मांगते हुए मामले की अगली सुनवाई 25 मई को नियत की है.

एमजे/एके (वार्ता)