1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
अपराधएशिया

यूपी में अफसर क्यों पीटने लगते हैं लोगों को?

समीरात्मज मिश्र
२१ अगस्त २०२०

यूपी के बलिया जिले में एक एसडीएम को लोगों का मास्क न पहनना इतना नागवार गुजरा कि पुलिस वालों के साथ उन्होंने खुद हाथ में डंडा लेकर मारना-पीटना शुरू कर दिया. आखिर क्यों करते हैं अधिकारी लोगों के साथ बर्बर व्यवहार?

https://p.dw.com/p/3hIoI
Indien Symbolbild Polizeigewalt
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Kiran

लॉकडाउन के दौरान यूपी समेत कई अन्य जगहों से भी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के ऐसे तमाम वीडियो सामने आए जिनमें वो बिना किसी बात के गरीब और असहाय लोगों पर कुछ इसी अंदाज में टूट पड़े. हालांकि लॉकडाउन के पहले भी ऐसे तमाम वीडियो सामने आते रहे हैं लेकिन इस दौरान ऐसे वीडियो कुछ ज्यादा दिखे या यों कहें कि वीडियो बन गए और सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंच गए. पुलिस विभाग वालों के लिए तो खैर ये सामान्य बात है.

गुरुवार को बलिया जिले में उपजिलाधिकारी अशोक चौधरी पुलिस बल के साथ तहसील परिसर का मुआयना करने निकले थे. कुछ दुकानदार अपनी दुकानों पर बिना मास्क के बैठे दिखे तो एसडीएम साहब का पारा अचानक चढ़ गया. उन्होंने एक पुलिस वाले का डंडा अपने हाथ में लिया और लगे उसे भांजने. उस जद में सिर्फ गैर मास्क वाले लोग ही नहीं आए बल्कि मास्क लगाए हुए भी कई लोग चोटिल हो गए. एसडीएम साहब के साथ पुलिस वाले भी दुकानदारों और वहां खड़े लोगों पर डंडे बरसाने लगे.

सोशल मीडिया की वजह से मिली जानकारी

यह पूरी घटना लोगों के मोबाइल में कैद हो गई और सोशल मीडिया के जरिए बलिया की सीमा तोड़ते हुए हर उस मोबाइल सेट तक पहुंच गई जिसका संपर्क इंटरनेट से था. रही सही कसर टीवी चैनलों ने पूरी कर दी. एसडीएम अशोक चौधरी सिर्फ दुकानदारों तक ही नहीं रुके बल्कि उनका डंडा जब चलने लगा तो तहसील परिसर के भीतर भी कहर बरपाने लगा. कई लोग तो इतने चोटिल हुए कि अपने हाथों और पैरों से निकल रहे खून को भी वो वीडियो में दिखाते मिले. यह घटना भी मोबाइल कैमरों में कैद होकर लोगों तक पहुंच गई.

बहरहाल, शाम तक ये सभी वीडियो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक भी पहुंच चुके थे. अशोक चौधरी ने अपनी समझ में भले ही बहादुरी, समझदारी और कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया हो लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनका यह कृत्य कतई बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने तत्काल एसडीएम अशोक चौधरी को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए. इस बीच, शुक्रवार सुबह उनके खिलाफ उसी बलिया जिले के एक थाने में एफआईआर भी दर्ज करा दी गई जहां उन्होंने डंडे बरसाए थे. घटना के जो वीडियो सामने आए हैं उनमें साफ दिख रहा है कि कई लोगों ने मास्क लगा रखा है और वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कर रहे हैं, फिर भी एसडीएम अशोक चौधरी ने बुजुर्गों तक को नहीं बख्शा. तहसील के बाहर स्थित दुकानों पर मौजूद कारोबारियों को दुकानों से निकाल-निकाल कर पीटा गया.

अभी कुछ ही दिन बीते हैं जब अलीगढ़ में बीजेपी के एक विधायक राजकुमार सहयोगी को कथित तौर पर थाने में एसएचओ और अन्य पुलिसकर्मियों ने जमकर पीटा. विधायक स्थानीय लोगों की कोई शिकायत लेकर थाने पर गए थे. राजकुमार सहयोगी ने अपने फटे कपड़े मीडिया वालों को दिखाए और सीधे तौर पर आरोप लगाया कि थानेदार और पुलिस वालों ने उन्हें मारा-पीटा है. गोरखपुर के बीजेपी विधायक राधामोहन अग्रवाल ने ट्वीट किया है कि स्थानीय पुलिस वाले या अन्य विभागों के अफसर आम या खास किसी की बात नहीं सुनते और लखनऊ में बैठे बड़े अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं. लगभग ऐसी ही शिकायत यूपी बीजेपी के दर्जनों विधायक कर चुके हैं और विपक्षी विधायकों की तो कोई गिनती ही नहीं.

क्या दबाव और गुस्से में रहते हैं अधिकारी

सवाल उठता है कि अधिकारी या पुलिस वाले आखिर आम जनता से ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं? यूपी के डीजीपी रह चुके रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी वीएन राय कहते हैं, "परिस्थितियां कब और कैसी हैं बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करता है. पुलिस वालों को कई बार विशेष परिस्थितियों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए लाठी डंडे चलाने पड़ जाते हैं लेकिन ये दूसरे अधिकारी जो किसी को भी बिलावजह मारे जा रहे हैं इसमें तो उनके मनोवैज्ञानिक परीक्षण की जरूरत है. ऐसा तभी होता है जब या तो कोई व्यक्ति पहले से ही झल्लाया हो और किसी बात पर अचानक गुस्सा हो जाए और उसे अपने अधीनस्थों या कमजोर लोगों पर उतारने लगे. यह कतई बर्दाश्त करने लायक नहीं है और ऐसे अफसरों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए नहीं तो यह परंपरा सी बन जाएगी.”

वीएन राय कहते हैं कि इस बारे में अफसरों की ट्रेनिंग भी ठीक से नहीं होती कि कैसे स्थितियों से उन्हें निपटना है. उनके मुताबिक, "प्रशासनिक सेवाओं में चयन के बाद तो प्रशिक्षण की व्यवस्था है लेकिन समय-समय पर और ट्रेनिंग दिए जाने की जरूरत है ताकि अफसर विपरीत परिस्थितियों से निपटने में सक्षम हों और किसी तरह के मानसिक दबाव में न आएं. ऐसे प्रशिक्षण का अभाव भी है और अधिकारी सर्विस के दौरान प्रशिक्षण में बहुत दिलचस्पी लेते भी नहीं हैं.”

Polizei in aller Welt setzt Coronavirus-Sperren durch
तस्वीर: Reuters/P. Ravikumar

अधिकारी समझते हैं लोगों को गुलाम

वहीं वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्र इसकी दूसरी वजह बताते हैं. ब्रजेश मिश्र कहते हैं कि ब्यूरोक्रेसी में अभी भी ब्रिटिश परंपरा हावी है और अधिकारी आम लोगों को अपना गुलाम ही समझते हैं. ब्रजेश मिश्र कहते हैं, "ज्यादातर अधिकारी आम लोगों के ही बीच में से आते हैं लेकिन और कोई ट्रेनिंग उनकी भले ही न हो ये जरूर हो जाती है कि उन्हें आम लोगों से एक सेवक की भांति नहीं बल्कि स्वामी की भांति पेश आना है. ये तो कुछ वीडियो हैं जो सामने आ रहे हैं तो पता चल रहा है कि इनकी सोच कैसी है. बाकी आम लोगों में तो इनका यह व्यवहार बहुत सामान्य है. गरीब आदमी तो इनके पास तक पहुंच ही नहीं पाता है. यही वजह है कि सरकार चाहे जितनी योजनाएं बनाए, ये अधिकारी उन लोगों तक उसे पहुंचने ही नहीं देने देते हैं जहां उसे पहुंचना चाहिए.”

राज्य सरकार के एक बड़े अधिकारी इसकी एक अन्य वजह भी बताते हैं. वो कहते हैं, "महत्वपूर्ण जगहों पर, खासकर जहां कानून व्वयवस्था का सवाल हो और तुरंत निर्णय लेने हों वहां युवा और सीधी भर्ती वाले अफसरों को नियुक्त करना चाहिए. लेकिन इन पदों पर अक्सर ऐसे प्रोन्नत अधिकारी बैठा दिए जाते हैं जो सिर्फ अपने रिटायरमेंट के दिन गिन रहे होते हैं. उनके भीतर कुछ खास करने का उत्साह भी नहीं रहता है और छोटी-मोटी बातों में ही आपा खोने लगते हैं. लेकिन यदि ऐसे अफसरों को दंडित करना शुरू किया गया तो इस पर जरूर लगाम लगेगी.”

इसी साल मई की बात है जब यूपी के प्रतापगढ़ जिले में यूपी रोडवेज की बस में चढ़ रहे कुछ लोगों को रोडवेज का एक अधिकारी अचानक पैर से मारने लगा. कानपुर में रोडवेज के अधिकारी को तो चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था लेकिन एसडीएम अशोक चौधरी को निलंबित करके सरकार ने शायद यही संदेश देने का काम किया है कि ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं होंगी. लेकिन यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि अशोक चौधरी का वीडियो इतना वायरल हो गया तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो गई, अन्यथा किसी को कुछ पता भी नहीं चलता.

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore