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समाज

यूपी में क्यों नहीं रुक पा रहे हैं अपराध

समीरात्मज मिश्र
१० जून २०१९

उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से ताबड़तोड़ आपराधिक घटनाओं के चलते राज्य की योगी सरकार एक बार फिर न सिर्फ विपक्ष के निशाने पर आ गई है बल्कि कानून व्यवस्था को लेकर चौतरफा सवाल भी उठ रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/Prabhat Kumar Verma

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को लेकर उठ रहे सवालों के बारे में उच्चस्तरीय बैठकें करके अधिकारियों पर शिकंजा कसा है. राज्य में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के तबादले भी हुए हैं. बावजूद इसके हर दिन कोई न कोई गंभीर वारदात होने से नहीं रुक रही है. अलीगढ़ के टप्पल कस्बे में ढाई साल की मासूम की नृशंस हत्या, कुशीनगर में किशोरी से गैंगरेप, कानपुर मदरसे में छात्रा से दुष्कर्म, हमीरपुर और जालौन में मासूम लड़कियों की रेप के बाद हत्या जैसे संगीन अपराधों से राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं. यही नहीं, पुलिसकर्मियों पर हमले, लूट, हत्या और डकैती जैसे अपराधों में अचानक बढ़ोत्तरी से योगी सरकार के बार-बार किए जा रहे उन दावों की भी पोल खुल गई है कि "अपराधी डर कर या तो राज्य से बाहर चले गए हैं या फिर जमानत रद्द कराकर जेल में बंद हैं."

अलीगढ़ में मासूम लड़की की जघन्य हत्या से देश भर में उबाल है. राज्य में कई जगह इसे लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं और राज्य की कानून व्यवस्था पर चिंता जताई जा रही है. हालांकि इस मामले में पुलिस ने मुख्य अभियुक्त के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन एक के एक बाद कई जगहों पर हो रहीं ऐसी वारदातों से लोग सकते में हैं. एक दिन पहले जालौन में भी एक मासूम लड़की की कथित रेप के बाद हत्या कर दी गई और शव को खेत में फेंक दिया गया जबकि कुशीनगर में बारह साल की एक दलित लड़की को पड़ोस के ही कुछ लोग कथित तौर पर उसे उठा ले गए और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया.

अलीगढ़ और उसके बाद होने वाली ऐसी तमाम घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. लोग आरोपियों को सीधे मौत की सजा देने की मांग कर रहे हैं. अलीगढ़ में ही बजरंग दल के हजारों कार्यकर्ता रविवार को इकट्ठा होकर महापंचायत करने वाले थे हालांकि पुलिस ने बलप्रयोग करके ऐसा नहीं करने दिया. ये लोग महापंचायत के जरिए ऐसे अपराधियों को सीधे फांसी की सजा देने की मांग कर रहे थे. हालांकि पुलिस ने साध्वी प्राची और प्रज्ञा ठाकुर जैसे कई लोगों को अलीगढ़ जाने ही नहीं दिया जिससे पूरे कस्बे में छावनी जैसी स्थिति भले ही बनी रही लेकिन कोई घटना नहीं होने पाई.

वहीं ऐसी घटनाओं से लोगों में भी जमकर आक्रोश है. यूपी के कई इलाकों में पोस्टर लगाकर लोग सरकार से बेटियों को सुरक्षा देने की अपील कर रहे हैं. यहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी लोगों ने अपने घरों के बाहर पोस्टर लगाए हैं जिन पर लिखा है- "सरकार सुरक्षा दें... क्योंकि घर में बेटियां हैं." कानून व्यवस्था एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर भारतीय जनता पार्टी यूपी की पूर्ववर्ती सरकार पर जमकर हमला बोलती रहती थी लेकिन अपराध और अपराधियों पर तमाम तरह के अंकुश की कोशिशों और दावों के बावजूद, अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं. बड़ी संख्या में अपराधियों के एनकाउंटर को लेकर सरकार को कठघरे में भी खड़ा किया गया लेकिन वो इसे जायज ही ठहराती रही है. अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर एनकाउंटरों का डर दिखाकर भी सरकार अपराधियों में खौफ पैदा नहीं करने पा रही है और अपराध होने से नहीं रोक पा रही है. प्रदेश की कानून व्यवस्था पर यूपी के डीजीपी ओम प्रकाश सिंह का कहना है, "बच्चियों के खिलाफ अपराध बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिलेगी. पुलिस पूरी संवेदनशीलता से काम कर रही है और इन मामलों में अभियुक्तों को गिरफ्तार कर साक्ष्य इकट्ठा कर लिए गए हैं.”

वहीं कानून व्यवस्था को लेकर कांग्रेस, बीएसपी और समाजवादी पार्टी ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. सपा नेता अखिलेश यादव ने सवाल उठाया है, "भाजपा राज में यूपी अपराध प्रदेश बनता जा रहा है. भाजपा ने देश ही नहीं दुनिया में प्रदेश की बदनामी करा दी है. राज्य सरकार अपराधों पर नियंत्रण करने में पूरी तरह विफल रही है. न तो प्रदेश से अपराधी बाहर गए हैं और न ही जेल जाने का उन्हें कोई भय है.” बच्चियों और महिलाओं पर हो रहे अपराध के बाद एंटी रोमियो स्क्वैड भी एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. राज्य सरकार ने सत्ता में आते ही महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध रोकने के लिए एंटी रोमियो स्क्वैड का गठन किया था, लेकिन इनकी भूमिका पर शुरू से ही सवाल उठते रहे और फिर देखते ही देखते ये लगभग निष्क्रिय हो गए.

इन वारदातों के अलावा कई ऐसी घटनाएं भी हो रही हैं जो राज्य में कानून व्यवस्था के दावों पर सवाल खड़े करे रह ही हैं और ऐसी घटनाओं के शिकार खुद पुलिसकर्मी भी हो रहे हैं. वाराणसी में एक पुलिस इंस्पेक्टर पर कुछ लोगों ने उस वक्त हमला बोल दिया जब वो अवैध बिजली कनेक्शन को चेक करने वाली टीम के साथ वहां गए थे. घायल इंस्पेक्टर बड़ी मुश्किल से जान बचाकर वहां से भागे. वहीं प्रयागराज में अपराधियों के घर दबिश देने गई पुलिस टीम पर ग्रामीणों ने न सिर्फ पत्थर और लाठी-डंडों से हमला किया बल्कि फायरिंग भी की. पुलिस वालों को मजबूरन वहां से वापस लौटना पड़ा. इसके अलावा डकैती, अपहरण और हत्या की तो एक-एक दिन में कई-कई वारदातें सुनने में आ रही हैं. यूपी में डीजीपी के पद से रिटायर होने वाले आईपीएस अधिकारी सुब्रत त्रिपाठी कहते हैं, "इतने बड़े राज्य में थोड़ी-बहुत घटनाएं तो होती रहती हैं लेकिन जिस तरीके से पिछले कुछ दिनों से लगातार घटनाएं बढ़ रही हैं, उससे ये साफ है कि अपराधियों में पुलिस और सरकार का भय नहीं है. यदि ऐसा होता तो ऐसे जघन्य अपराध न होते. ये जरूर है कि कुछ अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है लेकिन कानून व्यवस्था दुरुस्त है, ये नहीं कहा जा सकता.”

हालांकि राज्य सरकार और भारतीय जनता पार्टी की निगाह में राज्य में सब कुछ ठीक-ठाक है, कानून व्यवस्था भी. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय ने मीडिया के एक सवाल में रविवार को कहा, "प्रदेश की कानून व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त है. अपराध पर पूरा नियंत्रण है. व्यक्तिगत रंजिश व विकृत मानसिकता के मामले में कभी-कभी दुर्भाग्यपूर्ण घटना घट जा रही हैं जिसे देखने का नजरिया यह है कि इस पर सरकार कार्यवाही क्या करती है. इसके पहले की सरकारें ऐसी घटनाओं पर अपना वोट बैंक या अपना पराया देखती थीं जबकि योगी आदित्यनाथ की सरकार में कानून व्यवस्था सबके लिए बराबर है.”

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