इटली के नौसैनिकों की हिरासत मानवाधिकारों का हनन
१६ जनवरी २०१५भारत का कहना है कि मामला न्यायालय के विचाराधीन है इसलिए यूरोपीय संसद का इस तरह का प्रस्ताव पारित करना उचित नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 14 जनवरी को इतालवी नौसैनिक मासीमिलियानो लातोरे को स्वास्थ्य कारणों से और तीन महीने तक इटली में रहने की अनुमति दी है जबकि दूसरा नौसैनिक साल्वातोरे गिरोने जमानत की शर्तों के मुकाबिक दिल्ली के इतालवी दूतावास में रह रहा है. उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में यूरोपीय संसद के लिए यह उचित होता कि वह ऐसा प्रस्ताव पारित नहीं करती.
इटली के नौसैनिकों को फरवरी 2012 में भारतीय तट के करीब इटली के एक मालवाहक जहाज पर सुरक्षा ड्यूटी के दौरान दो भारतीय मछुआरों को गोली चलाकर मारने के आरोप में हिरासत में लिया गया था. उनके खिलाफ अब तक अदालत में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच संबंधों में तल्खी आ गई है. भारत का कहना है कि गोली चलाने की घटना भारतीय समुद्र सीमा में हुई जबकि इटली का दावा है कि घटना अंतरराष्ट्रीय जलसीमा में हुई और नौसैनिकों ने मछुआरों को समुद्री लुटेरा समझा.
यूरोपीय संसद ने गुरुवार शाम एक प्रस्ताव पारित कर दोनों इतालवी नौसैनिकों की हिरासत को मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया और कहा है कि उन्हें उनके देश जाने की अनुमति मिलनी चाहिए. प्रस्ताव में उम्मीद जताई गई है कि इतालवी नौसैनिकों पर मुकदमा इटली के क्षेत्राधिकार में या अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के जरिये सुलझाया जाएगा. यह इटली के नौसैनिकों पर यूरोपीय संसद का पहला प्रस्ताव था.
भारतीय अधिकारियों ने इटली के नौसैनिकों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाने में देरी का बचाव करते हुए कहा है कि आरोप पत्र तब तक दाखिल नहीं किए जा सकते जब तक दोनों आरोपी भारत में न हों. उन्होंने देरी के लिए मुकदमे संबंधी कानून पर असमंजस और इटली के मालवाहक जहाज पर सवार गवाहों के गवाही के लिए भारत न आने को भी जवाबदेह ठहराया है.
एमजे/ओएसजे (एपी, डीपीए)