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यूरोप के आसमान का जारी राख का कोहराम

१७ अप्रैल २०१०

ज्वालामुखी की राख ने अब भी यूरोप के हवाई यातायात को ठप कर रखा है. शनिवार को स्विट्ज़रलैंड, इटली, बॉस्निया, चेक गणराज्य, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया ब्रिटेन, जर्मनी और डेनमार्क जैसे देशों में 17 हजार उड़ाने रद्द की गईं.

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तस्वीर: AP

आइसलैंड की राजधानी पर हवाओं की वजह से ज्वालामुखी की राख का कोई असर नहीं पड़ा है. ग्लेशियर के आसपास रह रहे लोगों को कोई चेतावनी नहीं दी गई. एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "बहुत सारी राख नीचे आई. यहां सबकुछ ढका हुआ है, परतें कई मिलीमीटर मोटी हैं. हमें कुछ नहीं दिखाई दे रहा था और पिछले दिनों के मुकाबले अब राख के कण बहुत मोटे हैं."

दिलचस्प बात यह है कि लिस्बन से रोम के दौरे पर गईं जर्मन चांसलर का विमान भी उड़ान नहीं भर पाया और अब वह बस के जरिए जर्मनी लौट रही हैं. वहीं हवाई यातायात में आई बाधा के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा समेत कई दूसरे बड़े नेताओं का पौलेंड के राष्ट्रपति लेख काचिंस्की के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेना भी पक्का नहीं है. पोलैंड ने भी अपने हवाई अड्डों को बंद कर दिया है. पिछले दिनों एक हवाई हादसे में मारे गए काचिंस्की का अंतिम संस्कार रविवार को किया जाएगा. यूरोपीय हवाई सुरक्षा यूरोकंट्रोल का मानना है कि अब भी स्थिति में ज़्यादा बदलाव नहीं आया है.

उधर ज्वालामुखी की राख का असर ईरान की तरफ से परमाणु निरस्त्रीकरण पर बुलाई गई बैठक पर भी दिखा. इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों समेत कई देशों के विदेश मंत्रियों को भी हिस्सा लेना है लेकिन कई देशों के प्रतिनिधि ईरान नहीं पहुंच पाए हैं. ईरान के विदेश उप मंत्री मोहम्मद मेहदी ओखोंदज़ादेह ने कहा है कि सेनेगल, क्यूबा, एक्वाडोर और इंडोनेशिया के प्रतिनिधि शनिवार को पहुंचने वाले थे लेकिन वे अब रविवार को ही पहुंच सकेंगे. सम्मेलन का उद्घाटन ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेज़ाद ने किया. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए के प्रतिनिधि भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादनः ए कुमार