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यूरोप के बाहर शरण की तलाश

२९ फ़रवरी २०१६

यूरोप पहुंचने की कठिनाइयों से जूझ रहे शरणार्थी अब यू​रो​पीय यूनियन के बाहर गरीब देशों में भी शरण तलाश रहे हैं. इब्राहिम इशाक और फहीम मुदेई ऐसे ही शरणार्थी हैं जो यूरोप के देशों के बजाय सर्बिया में शरण पाना चाहते हैं.

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तस्वीर: picture alliance/ZUMA Press/G. Coronado

इब्राहिम इशाक ने सर्बिया के बारे में सिर्फ एक बार उस समय सुना था जब 2010 वर्ल्ड कप के दौरान सर्बिया की फुटबॉल टीम ने उनके देश घाना की टीम के खिलाफ मैच खेला था. सर्बिया पेनाल्टी में हुए फैसले के बाद मैच हार गया था. इसके बाद इशाक फिर से किसी दूसरे महाद्वीप में बसे इस अंजान देश के बारे में सब कुछ भूल गए.

अब 6 साल बाद इशाक इस अंजान देश सर्बिया को अपना नया घर बनाना चाहते हैं. इशाक एक खुशहाल जिंदगी की तलाश में दक्षिणी अफ्रीका में बसे अपने घर को तीन साल पहले ही छोड़ आए हैं. ये तलाश आखिर में उन्हें बाल्कान देश में ले आई जो कि यूरोप में पैदा हुए शरणार्थी संकट का सबसे बड़ा केंद्र है.

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सीरिया और मध्यपूर्व के कई और भी देशों से लाखों की संख्या में शरणार्थी यूरोप की तरफ आ रहे हैं.तस्वीर: Getty Images/J. Moore

लाखों शरणार्थियों ने पश्चिमी यूरोप पहुंचने की उम्मीद में जिस रास्ते को चुना है, सर्बिया भी इसी माइग्रेंट को​रिडोर में पड़ता है. अधिकतर शरण तलाश रहे लोग तुरंत ही जर्मनी, ऑस्ट्रिया, और स्वीडन जैसे अमीर देशों की ओर रूख कर रहे हैं. लेकिन इशाक उन आप्रवासियों में से हैं जिन्होंने अपनी किस्मत यूरोपीय संघ से बाहर सर्बिया जैसे औसतन गरीब देश में आजमाने का रास्ता चुना है.

19 साल के इशाक मुस्कुराते हुए कहते हैं, ''सर्बिया क्या है ये मुझे कभी नहीं मालूम था. मुझे ये भी नहीं मालूम था कि सर्बिया कहां है.'' वे कहते हैं, ''लेकिन यहां के लोगों का बर्ताव मेरे लिए अच्छा है. मैं यहीं रहना चाहता हूं और अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करना चाहता हूं. देखिए आगे क्या होता है.''

हालांकि इशाक की तरह के मामले बेहद कम हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोपीय संघ के देश जैसे-जैसे शरणार्थियों के प्रवेश के नियमों को सख्त ​बनाएंगे तो इस तरह के मामलों में भी काफी बढ़ोत्तरी हो सकती है. पहले ही सैकड़ों शरणार्थियों को सर्बिया से पहले मैसेडोनिया और फिर ग्रीस की ओर वापस भेजा जा चुका है. इनमें से कई गुस्साए हुए और निराश लोग तस्करों की मदद से वापस आने की कोशिश कर सकते हैं.

उत्तरी यूरोप ने पहले ही प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हुए हजारों फंसे हुए लोगों को बाल्कन में सीमा पर भटकने के लिए छोड़ दिया है. यहां से वो किसी तरह यूरोप में दाखिल होने की राह तलाश रहे हैं. शरण तलाश रहे लोगों को मुफ्त में कानूनी मदद कर रहे असाइलम प्रोटेक्शन सेंटर के रेडोस ड्जूरोविक कहते हैं कि विकल्पों के सीमित होते जाने के चलते प्रवासी वापस जाने के बजाय बाल्कान में रहना ही ज्यादा पसंद करेंगे. वे कहते हैं, ''वे लोग जिन्हें ये लगता है कि उन्हें पश्चिम में शरण नहीं मिल पाएगी वे अक्सर सर्बिया की ओर रुख करते हैं.''

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शरण तलाशने यूरोप की तरफ आ रहे लोगों को सीमाओं पर अस्थाई ​शिविरों में ठह​राया गया है.तस्वीर: Reuters/Y. Behrakis
ड्जूरोविक कहते हैं, "2015 में बाल्कान देशों में आए 6 लाख आप्रवासियों के हिसाब से हर साल औसतन 150 में से 100 लोग सर्बिया में शरण के लिए औपचारिक तौर पर अनुरोध करते हैं." वे ​शरणार्थियों के लिए सर्बिया की लंबी और जटिल प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहते हैं, "यह लोगों को आकर्षित करने के ​बजाय दूर रखने के लिए बनाई गई है." 1990 में हुए युद्ध के बाद से सर्बिया अब भी भारी बेरोजगारी और अन्य समस्याओं से जूझ रहा है. ड्जूरोविक कहते हैं ''शरणार्थियों के लिहाज से सर्बिया में असल अर्थों में अभी शुरूआत ही हुई है. कुछ ही शरणा​र्थी अब तक इन सारी चुनौतियों को पार कर सके हैं.''

इस बीच स​र्बिया की पुलिस का कहना है कि इस साल अब तक 24 शरणार्थियों के अनुरोध आ चुके हैं. और ये लगातार जारी है. इसी तरह के आंकड़े क्रोएशिया और स्लोवानिया से भी आ रहे हैं. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इन आंकड़ों के बढ़ने की उम्मीद नहीं थी.

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यूरोप के कई देशों में शरणार्थियों का स्वागत किए जाने का कई स्थानीय समूह विरोध भी कर रहे हैं.तस्वीर: Reuters/D. W. Cerny

इधर सर्बिया में शरण दिए जाने को लेकर किए गए अपने अनुरोध पर फैसले का इंतजार कर रहे इशाक अभी सर्बिया की राजधानी बेलग्रैड के बाहरी इलाके में एक खस्ताहाल शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं. वक्त काटने के लिए वे दूसरे आप्रवासियों की मदद करते हैं और एक स्थानीय क्लब के साथ फुटबॉल खेलते हैं. उनके फुटबॉल खेलने के हुनर के लिए साथियों से उन्हें मैरेडोना का नया नाम मिला है.

यहां कैंप में इशाक ने बुनियादी सर्बियन भाषा सीख ली है और लोगों की मदद कर रहे हैं. वे लोकल सिलिब्रिटी बन गए हैं. वे कहते हैं, ''​एक ऐसे देश में होना जिसके पास पैसा नहीं है ​इसका मतलब ये नहीं है कि आपकी जिंदगी अच्छी नहीं है. जिंदगी उन लोगों से बनती है जो आपके इर्द गिर्द हों.''

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यूरोप में ठंड भी शरण तलाश रहे लोगों के लिए एक बड़ी मुश्किल है.तस्वीर: Reuters/Y. Behrakis

सोमालिया के फहीम मुदेई भी सर्बिया में शरणा​र्थी हैं. वे इशाक की बातों से पूरी तरह सहमत हैं. 8 महीने पहले उन्होंने यूरोपीय संघ की तरफ जाने की कोशिश की ​थी लेकिन उन्हें बेहद बुरे मौसम में सीमा पर फंसने के साथ ही और भी कई सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा. 20 साल के मुदेई भी लगभग इशाक के हमउम्र हैं. उन्होंने धीरे धीरे जिम जाकर या भाषा सीखकर अपनी जिंदगी की फिर से शुरूआत की है. वे कहते हैं ''अब ये बेहतर है, मैं सर्बिया में हूं.''

मुदेई को एक साल के लिए अ​स्थाई संरक्षण अ​वधि दी गई है. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि वे यहीं रहने में कामयाब होंगे और यहां वे राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करेंगे. वे कहते हैं कि शायद एक दिन वे सोमालिया वापस जाएंगे या फिर कहीं और. सोमालिया में हिंसा में शामिल लोगों को मुदेई एक संदेश देना चाहते हैं, ''मैं कहना चाहता हूं कि बंदूकें छोड़ दो और उसकी जगह कलम पकड़ो.'' वे कहते हैं, ''मैं लोगों के खयालात बदल देना चाहता हूं. मैं अपने देश के लोंगों का हीरो बनना चाहता हूं.''

आरजे, एमजे / एपी