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आतंकवाद

यूरोप में आतंकवादियों का शिकार करता मसूद

११ अगस्त २०१७

मसूद अकील को सीरिया में इस्लामिक स्टेट ने बंदी बना लिया था. करीब साल भर कैद रहने के बाद मसूद जर्मनी पहुंचा. अब वह यूरोप में छुपे इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों को सामने ला रहा है.

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Masoud Aqil im DW Interview
तस्वीर: DW/F. Hofmann

कुर्द पत्रकार मसूद अकील जब शरण लेने जर्मनी पहुंचे तो उन्हें पता चला कि जिस इस्लामिक स्टेट से भागकर वह यहां आए हैं, वो तो यहां भी मौजूद है. इसके बाद मसूद ने यूरोप में इस्लामिक स्टेट के नेटवर्क की जड़ें खोदनी शुरू कर दीं. कंप्यूटर के कीबोर्ड पर दौड़ती उनकी अंगुलियां लगातार व्यस्त रहती है. उनकी हार्ड ड्राइव में यूरोप में छुपे इस्लामिक स्टेट के संदिग्ध आतंकवादियों की लिस्ट है. मसूद ने इन्हें फेसबुक से निकाला है. यूरोप पहुंचने के बाद कई संदिग्ध आतंकियों ने फेसबुक पर कट्टरपंथी पोस्ट भी डालीं.

2016 की शुरुआत में बाल्कान के रास्ते से भागकर यूरोप आने वाले मसूद बड़ी यातना झेल चुके हैं. दिसंबर 2014 में रिपोर्टिंग के दौरान मसूद और उनके साथी फरहाद हामो को इस्लामिक स्टेट ने बंदी बना लिया. इस्लामिक स्टेट ने उन्हें यातनाएं भी दी. मसूद कहते हैं, "मुझे प्रताड़ित करते हुए वे सवाल कर रहे थे. वो मेरे पैरों और पीठ पर वार करते थे. चेहरे पर भी प्रहार करते थे, बाल खींचते थे और चिल्लाते हुए कहते थे कि मैं एक कुर्द काफिर हूं और सभी कुर्दों को खत्म कर देना चाहिए." मसूद के मुताबिक इस्लामिक स्टेट चाहता था कि उसके कब्जे वाले इलाके में रहने वाला हर शख्स आईएस वाले इस्लाम को माने.

Syrien Masoud Aqil in IS-Haft
आईएस के कैद के दौरान मसूदतस्वीर: Privat/M. Aqil

कैद के दौरान मसूद को इस्लामिक स्टेट के ढांचे के बारे में अच्छी खासी जानकारी हासिल हुई. उन्हें पता चला कि आईएस के भीतर कैसे अलग अलग पदों पर भर्ती होती है. वहां कई इराक की खत्म हो चुकी बाथ पार्टी के बड़े अधिकारी भी थे. मसूद के मुताबिक दूसरी जेल में ट्रांफसर करते हुए उसे एक पहचान पत्र सा भी दिया गया. मसूद कहते हैं, सीरिया के अल-शद्दादी शहर की जेल में, "ट्यूनीशिया के आईएस सदस्यों ने कागजी कार्रवाई की."

लेकिन इस दौरान इस्लामिक स्टेट ने एक बड़ी गलती भी की. मसूद कहते हैं, "अपने संगठन की ताकत दिखाने के लिए उन्होंने आईएस के मुखबिरों को मेरे पास भेजा. उन्होंने मुझे आईएस के बारे में पश्चिमी मीडिया संस्थानों के न्यूजपेपर आर्टिकल और वीडियोज भी दिखाये. वे गर्व महसूस करते थे." लेकिन दिखावे की इसी होड़ में आईएस के मुखबिरों ने मसूद से कहा कि वे कैसे हत्याएं करते हैं. उनके तार कहां कैसे कैसे फैले हैं. 24 साल के मसूद कहते हैं, "जेल में मैंने जो कुछ भी सुना, उससे मुझे कई सूचनाएं मिलीं. मुझे आईएस के सदस्यों और उन आम लोगों के बारे में पता चला जो आईएस के लड़ाकों को जानते थे. इन जानकारियों की मदद से मैं 2015 और 2016 में भागकर जर्मनी आने वाले संदिग्धों और आतंकवादियों को खोज सका."

280 दिन तक इस्लामिक स्टेट के टॉर्चर चैंबर में रहने के बाद मसूद को कैदियों की अदला बदली के दौरान रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद मसूद तुंरत जर्मनी आ गये पर अपने साथ इस्लामिक स्टेट की बेहद सटीक जानकारी भी लेकर आये. जानकारी इतनी सटीक है कि जर्मन मनोचिकित्सक भी उसे बेहद विश्वसनीय करार दे चुके हैं. तेज याददाश्त वाले मसूद ने इस्लामिक स्टेट के कई सदस्यों और उनसे सहानुभूति रखने वालों के नाम लिखे हैं. बर्लिन के पत्रकार पेटर कोफ के साथ मिलकर अब मसूद एक किताब भी लिख रहे हैं. मसूद ने अपना नाम नहीं बदला है, वह इस्लामिक स्टेट के छुपे आतंकवादियों को चुन चुनकर बाहर निकालना चाहते हैं. मसूद कहते हैं, "मैं नहीं चाहता कि ये राक्षस जर्मनी में भी जंगलराज फैलायें, इसीलिए मैं अपनी सारी जानकारी जर्मन प्रशासन को दे रहा हूं."

मसूद द्वारा दी गई जानकारी के चलते जर्मन पुलिस को जांच में काफी मदद मिल रही है. पहले जर्मनी की संघीय पुलिस ने रिफ्यूजियों से मिलने वाली जानकारी पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन अब इन टिप्स को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है.

फ्रांक होफमन/ओएसजे