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यूरोप में आलोचना तो ट्रंप की बधाई

१८ अप्रैल २०१७

तुर्की में राष्ट्रपति व्यवस्था लागू करने पर हुआ रेफरेंडम विवादों में है. यूरोपीय नेताओं ने संयमित प्रतिक्रिया दी है लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से बधाई मिली है.

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Türkei Recep Tayyip Erdogan in Ankara
तस्वीर: picture alliance/abaca/B. Ege Gurun

तुर्की में विवादित जनमत संग्रह में मामूली अंतर से जीत के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने एर्दोवान को फोन कर बधाई दी. राष्ट्रपति को व्यापक अधिकार देने वाले इस जनमत संग्रह के नतीजों ने देश में कटु विभाजन को स्पष्ट कर दिया है. ट्रंप और एर्दोवान की बातचीत के बाद व्हाइट हाउस ने कहा कि दोनों नेताओं ने सीरिया पर अमेरिकी मिसाइल हमले और कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट के खिलाफ संघर्ष पर भी चर्चा की.

ट्रंप की बधाई यूरोपीय नेताओं की प्रतिक्रियाओं के विपरीत थी जिन्होंने मामूली अंतर से जीत पर प्रतिक्रिया में संयम दिखाया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया में अंतरराष्ट्रीय चुनाव पर्यवेक्षकों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं पर जोर दिया था.

अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने जनमत संग्रह से पहले प्रचार के दौरान सभी पक्षों को समान माहौल नहीं मिलने का आरोप लगाया था. ऑस्ट्रिया के सांसद अलेव कोरुन ने कहा कि अनियमितताओं ने रविवार को हुए रेफरेंडम के नतीजे बदल दिए होंगे जिसका अंत "हां" पक्ष की अत्यंत मामूली जीत के साथ हुआ. अलेव कोरुन ने कहा, "संदेह है कि 25 लाख तक वोटों की धांधली हुई हो सकती है." उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार सिर्फ सरकारी वोटिंग लिफाफों की अनुमति है. "लेकिन उच्चतम चुनाव अधिकारी ने कहा कि बिना सरकारी मुहर वाले लिफाफों को भी मान्य माना जायेगा."

रेफरेंडम में जर्मन तुर्कों के मतदान पर जर्मनी के लिए सबक 

जीत के बाद वापस राष्ट्रपति महल में पहुंचे एर्दोवान ने आक्रोश में सारी आलोचनाओं को ठुकरा दिया और पर्यवेक्षक दल के सदस्य से कहा, "अपनी जगह पहचानो." एर्दोवान ने कहा, "देश ने सर्वाधिक लोकतांत्रिक चुनाव कराये हैं जैसा पश्चिम के किसी दूसरे देश में कभी नहीं देखा गया है." जनमत संग्रह के तुरंत बाद सामान्य मोड में जाते हुए एर्दोवान की सरकार ने देश में पिछले साल जुलाई के विफल विद्रोह के बाद से लागू इमरजेंसी को और तीन महीनों के लिए बढ़ा दिया है.

जनमत संग्रह को न सिर्फ तुर्की के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा था बल्कि इससे 1952 से पश्चिमी सैनिक सहबंध नाटो के सदस्य और यूरोपीय संघ में सदस्यता के इच्छुक तुर्की की भावी सामरिक नीतियों का संकेत भी मिलता है. ईयू के प्रति सख्त रवैया अपना रहे एर्दोवान ने जीत के बाद ईयू की सदस्यता और फिर से मौत की सजा को लागू करने पर भी रेफरेंडम करवाने की धमकी दी है.

चुनाव आयोग की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार रविवार को हुए जनमत संग्रह में हां पक्ष को 51.41 प्रतिशत मत मिले. विपक्ष ने इसके फौरन बाद धांधली का आरोप लगाया और कहा निष्पक्ष मतदान में उन्हें कई अंकों की बढ़त मिली होती. मुख्य विपक्षी पार्टी सीएचपी और कुर्द समर्थक पार्टी एचडीपी ने ज्यादातर मतदान पेटियों के नतीजों को चुनौती देने की घोषणा की है. इस्तांबुल और दूसरे शहरों में एर्दोवान विरोधियों ने प्रदर्शन किये हैं.

एमजे/एके (एएफपी, रॉयटर्स)