यूरोप में शरणार्थियों पर कहीं हां कहीं ना
यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर ने कहा है कि यूरोप को हर हाल में 1,60,000 और शरणार्थियों के लिए जगह बनानी होगी. जानिए शरणार्थी संकट पर यूरोप के किस देश की क्या प्रतिक्रिया है.
जर्मनी
इस साल के अंत तक 8,00,000 शरणार्थियों को लेने का जर्मनी का दावा है. पिछले साल की तुलना में यह चार गुना है. उपचांसलर जिगमार गाब्रिएल ने घोषणा की है कि इसके बाद जर्मनी सालाना पांच लाख शरणार्थियों के लिए जगह बना सकता है. चांसलर मैर्केल ने शरणार्थियों के समेकन पर जोर दिया है.
हंगरी
सर्बिया से लगी सीमा पर हंगरी ने 175 किलोमीटर लंबी और 3.5 मीटर ऊंची बाड़ लगाई है ताकि शरणार्थी वहां से देश में प्रवेश ना कर सकें. फ्रांस और जर्मनी जैसे पश्चिम यूरोपीय देशों ने हंगरी के इस कदम की कड़ी आलोचना की है. दक्षिणपंथी विचारधारा वाले हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा है कि यूरोप की पहचान और ईसाई मूल्यों के लिए मुस्लिम शरणार्थी एक खतरा हैं.
ऑस्ट्रिया
शरणार्थियों का रास्ता छोटा नहीं है. सीरिया से तुर्की, वहां से बुल्गारिया, फिर सर्बिया, हंगरी और फिर ऑस्ट्रिया से होते हुए वे जर्मनी पहुंचते हैं. ऑस्ट्रिया में हंगरी से आने वाली ट्रेनों को रोक दिया गया है ताकि और शरणार्थियों को सीमा पार करने से रोका जा सके. पिछले हफ्ते वहां 1,500 लोग पहुंचे.
डेनमार्क
जर्मनी से भी आगे है डेनमार्क और फिर स्वीडन. यहां भी ट्रेनों को रोक दिया गया था. लेकिन अब सरकार ने आदेश दिए हैं कि जर्मनी के रास्ते आने वाले शरणार्थियों को रोका ना जाए, उन्हें रजिस्ट्रेशन का विकल्प दिया जाए और इच्छानुसार आगे स्वीडन भी जाने दिया जाए.
स्वीडन
हालांकि डेनमार्क के इस फैसले से स्वीडन परेशान दिख रहा है. स्वीडन के प्रधानमंत्री श्टेफान लोएवेन ने कहा है कि हर देश के लिए ईयू के नियमों का पालन करना अनिवार्य है, जिनके तहत डेनमार्क पर रजिस्ट्रेशन करने की जिम्मेदारी है.
पोलैंड
जुलाई में पोलैंड ने सीरिया और उत्तरी अफ्रीका के 2,000 शरणार्थियों को जगह देने की बात कही. लेकिन अब जाँ क्लोद युंकर चाहते हैं कि पोलैंड इस संख्या को 10,000 कर दे. पोलैंड की प्रधानमंत्री एवा कोपाच ने कहा है कि लोगों की जान बचाना उनके देश का कर्तव्य है लेकिन वे झूठे वायदे नहीं करना चाहतीं.
स्लोवाकिया
युंकर की कोटा योजना के सबसे बड़े विरोधी के रूप में नजर आ रहे हैं स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फीको. उनका कहना है कि उनका देश जर्मनी और फ्रांस के दबाव के कारण नहीं झुकेगा. उनके शब्दों में, "मैं नहीं चाहता कि एक सुबह मैं जगूं और देखूं कि मेरे देश में 50,000 ऐसे लोग हैं जिनके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते."
चेक गणराज्य
पोलैंड और स्लोवाकिया की तरह पूर्व यूरोपीय देश चेक गणराज्य भी शरणार्थियों को स्वीकारने से इंकार कर रहा है. प्रधानमंत्री बोहुस्लाव सोबोटका का कहना है कि कोटा कोई समाधान नहीं है. उन्होंने साफ कहा है कि उनकी सरकार अनिवार्य कोटा को लागू नहीं करेगी. पूर्व यूरोपीय देशों की कमजोर आर्थिक स्थिति उनके इस रुख का कारण है.