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जर्मन राष्ट्रपति यहूदी नरंसहार से बचे लोगों से मिले

२३ जनवरी २०२०

जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने येरुशलम में यहूदी नरसंहार में जीवित बचे लोगों से मुलाकात की और दुनिया भर में यहूदी विरोध से लड़ने पर जोर दिया है.

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Bundespräsident Steinmeier in Israel
तस्वीर: Reuters/A. Awad

जर्मन राष्ट्र्पति आउशवित्स यातना शिविर को आजाद कराए जाने की 75वीं वर्षगांठ पर होने वाली वर्ल्ड होलोकॉस्ट फोरम में हिस्सा लेने येरुशलम गए हुए हैं. यह आयोजन गुरुवार को इस्राएल के याद वाशेम वर्ल्ड होलोकॉस्ट रेमेंबरेंस सेंटर में हो रहा है.

27 जनवरी 1945 को सोवियत सैनिकों ने आउशवित्स यातना शिविर को आजाद कराया था. लेकिन इससे पहले वहां अनुमानित दस लाख लोगों की हत्याएं हुईं, उनमें से ज्यादातर यदूदी थे. कैंप को आजाद कराए जाने के दिन वहां सोवियत सैनिकों को सात हजार लोग मिले थे. इनमें से ज्यादातर कुछ समय बाद ही भूख, बीमारी और थकान से मर गए.

आउशवित्स को आजाद कराने की 75वीं वर्षगांठ पर दुनिया भर में कई कार्यक्रम हो रहे हैं. इनकी शुरुआत याद वाशेम से हो रही है. इस कार्यक्रम में 50 से ज्यादा देशों के राष्ट्र और सरकार प्रमुख मौजूद हैं. इनमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस भी शामिल हैं. इस्राएल के इतिहास में यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में विश्व नेता किसी एक कार्यक्रम भाग लेने के लिए जुटे हैं.

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इस कार्यक्रम से पहले जर्मन राष्ट्रपति श्याइनमायर ने यहूदी नरसंहार में जीवित बचे लोगों और उनके परिवारों की मनोवैज्ञानिक देखभाल के लिए बने अमचा थेरेपी सेंटर में जाकर लगभग दो दर्जन लोगों से मुलाकात की. श्टाइनमायर उनके साथ बैठे, उन्होंने उनकी भयानक कहानियां सुनीं, जो आज भी रोंगटे खड़े कर देती हैं. उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा कि यह "एक जर्मन राष्ट्रपति के लिए बहुत सम्मान की बात है कि वह आपकी जिंदगी और आपके बचने की कहानियों को सुन रहा है."

92 साल की गिजेले साइकोवित्स ने मौजूदा पोलैंड में स्थित आउशवित्स यातना शिविर में गुजारे गए अपने दिनों के भयानक अनुभव को साझा किया. उन्होंने बताया, "मैं हर दिन सवेरे उन भयानक हालात को याद करती हूं." वह बताती है कि उन्हें आउशवित्स के लेबर कैंप में नंगे पैर बर्फ पर चलने को मजबूर किया जाता था. उनके मुताबिक, "बहुत ज्यादा सर्दी थी, बहुत ही ज्यादा. मुझे कभी गर्मी नहीं मिली, आज तक नहीं मिली."

यहूदी नरसंहार के जीवित बचे लोगों में से एक 102 साल के एलियास फाइनसिल्बर ने श्टाइनमायर को बताया, "मैं पीछे मुड़कर मुश्किल जिंदगी को देखता हूं." लेकिन उनके मुताबिक इस्राएल में वह अपनी जिंदगी से खुश हैं और आज उनके 20 से ज्यादा नाती पोते और परपोते हैं.

नरसंहार के पीड़ितों से मुलाकात में जर्मन राष्ट्रपति ने कहा, "अपनी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए हमें हर एक व्यक्ति से बात करनी होगी- एक ऐसी जिम्मेदारी जो कभी पूरी नहीं होगी. इसे नई पीढ़ी को देना होगा." श्टाइनमायर पहले जर्मन राष्ट्रपति हैं जो याद वाशेम में होने वाली वर्ल्ड होलोकॉस्ट फोरम को संबोधित कर रहे हैं. येरुशलम में पहुंचने के बाद उन्होंने इस्राएल के राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन से भी मुलाकात की. 

अगले हफ्ते जर्मन राष्ट्रपति पोलैंड में होने वाले स्मृति समारोह में भी हिस्सा लेंगे, जहां नाजी जर्मनी की सेना ने आउशवित्स यातना शिविर बनाया और व्यवस्थित तरीके से लाखों यहूदियों को कत्ल किया.

एके/एमजे (एएफपी, डीपी, केएनए)

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