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राख से उबरता हनोवर मेला

२१ अप्रैल २०१०

हनोवर मेला शुरू हो चुका है. एक ऐसे समय में जब हवाई क्षेत्र बंद होने से बहुतेरे मेहमान नहीं आ पा रहे हैं, विश्वव्यापी संकट से आर्थिक जगत त्रस्त है. लेकिन फ़ीनिक्स पक्षी की तरह हनोवर इनसे उबर रहा है.

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मेले में रोबोट से छेड़खानीतस्वीर: picture alliance/dpa

मेले की शुरुआत के मौके पर ही स्पष्ट हो गया कि उम्मीद की किरणें दिख रही हैं. जर्मन उद्योग महासंघ के अध्यक्ष हांस पेटर काइटेल का कहना था कि मंदी के पिछले दौरों की तरह इस बार भी आर्थिक वृद्धि निर्यात के बल पर ही आगे बढ़ेगी.

Tag der Deutschen Industrie - Keitel
हांस पेटर काइटेलतस्वीर: dpa

बिजली, इस्पात और मशीन निर्माण के उद्योग में व्यापार में तेज़ी आई है, लेकिन ख़ुशी से हाथ मलने का मौक़ा अभी नहीं आया है. इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के संगठन त्स्वाई के अध्यक्ष फ़्रीडहेल्म लोह एक तस्वीर खींचते हुए इसे स्पष्ट करते हैं. ''तेज़ी के साथ लिफ़्ट से हम नीचे उतरे हैं, अब सीढ़ी से उपर चढ़ने का दौर है, ज़ाहिर है कि पसीना बहाना पड़ेगा.'' वह कहते हैं. लेकिन साथ ही उनका मानना है कि इस साल उनकी शाखा में व्यापार में पांच फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी होगी.

हर शाखा से ऐसी ख़बरें मिल रही हैं. इस्पात उद्योग के संघ के अध्यक्ष हांस युर्गेन केर्कहोफ़ कहते हैं, बाज़ार में तेज़ी चल रही है. सन 2010 में जर्मनी में इस्पात का उत्पादन 15 फ़ीसदी बढ़ेगा. पहले अनुमान था कि यह दस से पंद्रह फ़ीसदी के बीच रहेगा. ग्राहक वापस लौट रहे हैं. उद्योग में निवेश हो रहा है.

वित्तीय संकट के गुबार से उभरकर जर्मन उद्योग जगत आगे बढ़ रहा है. उसे भरोसा है तकनीक के क्षेत्र में अपनी अगुआ भूमिका पर. लेकिन चिंता के बादल अभी भी छाए हुए हैं. आर्थिक वृद्धि लाने के लिए सरकारी कार्यक्रम ख़त्म होने वाला है, सरकारी बजट में भारी घाटा है, वित्तीय बाज़ार अभी भी ढुलमुल हालत में है. इसके अलावा कच्चे माल की क़ीमत में बेतहाशा तेज़ी देखी जा रही है. इसके अलावा चीन बाज़ार में अपनी ताकत दिखा रहा है. इन सारी चुनौतियों से निपटना पड़ेगा.

मेले के आरंभ में अपने परंपरागत दौरे के तहत चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा था कि मेले में व्यापार जगत की भारी उपस्थिति से संकट से उबरने की उम्मीद जगी है. बहुतेरे मेहमान आइसलैंड की ज्वालामुखी से उठे गुबार के बाद हवाई क्षेत्र बंद होने की वजह से अभी तक नहीं आ पाए हैं. अनेक ज्वालामुखियां अभी ठंडी हैं, कभी न कभी फ़ट पड़ सकती हैं. लेकिन फ़िलहाल उम्मीद की किरणें दिख रही हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: ओ सिंह