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उठे पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल

२५ मई २०१६

बिहार पुलिस ने पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड से जुड़े पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. 13 मई के इस हत्याकांड ने भारत में पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की आजादी पर बड़ा सवाल खड़ा किया है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A.Naveed

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही इस मामले की सीबीआई जांच कराने की अनुमति दे चुके हैं. पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर ने 16 मई को बताया कि जब तक सीबीआई इस केस को नहीं लेती तब तक बिहार की राज्य पुलिस ही इस मामले की जांच को जारी रखेगी.

42 साल के पत्रकार राजदेव रंजन की 13 मई को सिवान रेलवे स्टेशन के पास कुछ अज्ञात हमलावरों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी. हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान के सिवान ब्यूरो चीफ रंजन के सिर और गले पर लगी दो गोलियों के कारण उनकी जान चली गई. वे इलाके के कई आपराधिक तत्वों के खिलाफ अखबार में रिपोर्ट कर रहे थे.

भारत में कई पत्रकारों पर हमले और हत्या की खबरें आ रही हैं. रंजन की हत्या के दो दिन के भीतर ही बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में भी एक 35 वर्षीय टीवी पत्रकार अखिलेश प्रताप सिंह की हत्या कर दी गई. बिहार में विपक्ष की भूमिका निभा रही बीजेपी ने राज्य में बढ़ते अपराधों और सरकार की नाकामी के खिलाफ कई जगहों पर धरने प्रदर्शन किये.

पैरिस स्थित रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक पत्रकारों के लिए खतरनाक देशों की सूची में भारत दुनिया में छठे नंबर पर आता है. इस साल नौ पत्रकारों की हत्या हुई थी, जिनमें से कम से कम पांच अपनी ड्यूटी करने के दौरान ही मार डाले गए.

नई दिल्ली में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक विशेष कानून लाए जाने और ऐसे मामलों का सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालतों में कराए जाने की मांग की. एक बयान जारी कर पीसीआई ने बताया कि बीते दो दशकों में पत्रकारों से जुड़े ऐसे 96 फीसदी मामलों में कभी कोई तर्कसंगत परिणाम तक मिला. काउंसिल ने संपादकों, प्रबंधकों और देश के सभी सक्रिय पत्रकारों से इस बारे में एक अभियान चलाने का आह्वान किया जिससे आम नागरिकों को पत्रकारों की हत्या करके खुलेआम घूम रहे अपराधियों के बारे में जागरूक किया जा सके.

यूनेस्को की महानिदेशक आइरीना बोकोवा ने इन हमलों पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय प्रशासन से पत्रकार हत्याकांड की पुख्ता जांच करवाने और दोषियों को दण्ड दिलवाने की मांग की. बोकोवा ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी पर मंडराते खतरे को "गहरी जड़ें बनाने" से रोकने के कदम उठाए जाने चाहिए. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने इन हत्याओं की निंदा करते हुए मामले के दोषियों को सजा दिलाने की बात कही थी.

रंजन हत्याकांड के तुरंत बाद हिरासत में लिए गए तीन लोगों में हिस्ट्री शीटर अपराधी उपेन्द्र सिंह था, जिसके तार आरजेडी सदस्य और सिवान से पूर्व लोकसभा सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन से जुड़ा माना जाता है. सिवान के केंद्रीय कारागार पर आई सुरक्षा ऑडिट की एक रिपोर्ट पर बिहार सरकार ने कार्रवाई की है. इस जेल में पिछले करीब दस सालों से बंद हत्या के दोषी पाये गए शहाबुद्दीन को सरकार ने भागलपुर की जेल में भेज दिया.

आरपी/वीके (पीटीआई, डीपीए)