1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

राजनीति का डंक झेलता नंदीग्राम

२० मार्च २०१३

सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलनों की गर्मी से ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में जगह बनाई. उन्होंने वामपंथी शासन को हरा और हटा दिया. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या नंदीग्राम आंदोलन ममता के लिए बस एक राजनीतिक मौका भर था.

https://p.dw.com/p/180e4
तस्वीर: DW/Prabhakar Mani Tewari

पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम आंदोलन की लहर पर सवार होकर सत्ता पाने के दो साल के भीतर ही तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने उस जगह और पुलिस की गोली से मारे गए 14 लोगों व उनके परिजनों को लगता है भुला दिया है. इस साल विधानसभा परिसर में बनी अस्थायी शहीद वेदी पर माला चढ़ा कर ही सरकार ने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली. पिछले साल तक ममता और उनकी पार्टी नंदीग्राम जाकर उन लोगों को याद करती थी. इस साल नंदीग्राम पुलिस फायरिंग की बरसी इतने चुपके से गुजर गई कि किसी को कुछ पता ही नहीं चला.

तृणमूल के हाथ में रेल मंत्रालय रहते नंदीग्राम में रेल के डिब्बों के पुर्जे बनाने वाली एक फैक्टरी लगाने का एलान हुआ था. पिछले महीने ममता ने नंदीग्राम इलाके के खेजुरी में आयोजित एक जनसभा में इलाके में विकास की नदी बहाने के दावे भी किए. उन्होंने इलाके में एक औद्योगिक केंद्र की स्थापना का एलान करते हुए दस हजार नए रोजगार पैदा करने का दावा किया था. लेकिन लगता है यह भी उनकी चुनावी कवायद का ही हिस्सा था. उसी सभा में मुख्यमंत्री ने कहा था कि पंचायतों को तृणमूल कांग्रेस को सौंपने के बाद विकास की गति तेज होगी. फिलहाल इलाके की ज्यादातर पंचायतों पर सीपीएम का कब्जा है. ममता ने कहा था, "मैं अपना नाम भूल सकती हैं, लेकिन नंदीग्राम को नहीं. यहां अब पूरी तरह शांति है और इलाके में विकास हो रहा है."

Indien Nandigram Denkmal Opfer der Polizeigewalt in 2007 Mamata Banerjee
तस्वीर: DW/Prabhakar Mani Tewari

लोगों में निराशा व नाराजगी

ममता बनर्जी की तमाम घोषणाएं अब तक कागजों पर ही हैं. पेयजल की कई परियोजनाओं के एलान और शिलान्यास के बावूद गर्मी का सीजन ठीक से शुरू नहीं होने के बावजूद इलाके में पीने के पानी की भारी किल्लत पैदा हो गई है. नंदीग्राम बस स्टैंड पर चाय-पकौड़े की दुकान चलाने वाले रहमत कहते हैं, "यहां हालात जस के तस हैं. हमारी जिंदगी में कुछ भी नहीं बदला है." उसी दुकान पर बैठे रफीकुल भी रहमत की बातों का समर्थन करते हैं, "नंदीग्राम के लोग सियासत की चक्की में पिस रहे हैं. आंदोलन के दौरान बलात्कार की शिकार ज्यादातर महिलाओं को अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला है." तृणमूल कांग्रेस की समर्थक फुलेश्वरी मंडल (बदला हुआ नाम) के साथ आंदोलन के दौरान कुछ लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया. राज्य सरकार ने बलात्कार की शिकार महिलाओं को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का एलान किया था. लेकिन हजार कोशिशों के बावजूद अब तक वह रकम नहीं मिली है. वह कहती हैं, "दीदी के आने पर स्थानीय नेता मुझे उसे मिलने ही नहीं देते." घायलों को मिलने वाला एक लाख का मुआवजा तो फुलेश्वरी को मिला है. लेकिन न तो उनके मन से बलात्कार के जख्म मिटे हैं और न ही उसका मुआवजा हाथों में आया है. जले पर नमक छिड़कने की तर्ज पर उसके बदले एक ऐसी महिला को मुआवजा मिल गया जो तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता की साली है. बाद में उस महिला को नौकरी भी मिल गई.

Prämierministerin Mamta Banerjee besucht das Dorf Nandigram, West Bengalen, Indien
तस्वीर: DW

मीडिया से नाराजगी

स्थानीय लोगों में मीडिया के प्रति भी काफी नाराजगी है. बस स्टैंड के पास खड़े लोग फोटो तक खींचने पर भी नाराज होते हैं. नंदीग्राम आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले मनोजीत मंडल कहते हैं, "पुलिस फायरिंग की बरसी पर ही मीडिया को नंदीग्राम का नाम याद आता है. लेकिन बाद में कोई पूछने नहीं आता." नंदीग्राम इलाके के प्रामाणिकपाड़ा गांव के 100 से ज्यादा घर तृणमूल कांग्रेस के कट्टर समर्थक हैं. 14 मार्च 2007 को पुलिस और सीपीएम काडरों का सबसे ज्यादा कहर इसी गांव पर बरपा था. लेकिन अपनी पार्टी के सत्ता में आने के पौने दो साल बाद भी इन लोगों को कुछ नहीं मिला है. गांव के आधे से ज्यादा लोगों के पास गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिए बना बीपीएल कार्ड तक नहीं है. सड़क की खस्ताहाली का आलम यह है कि गाड़ी तो दूर साइकिल चलाना भी खतरे से खाली नहीं है. लेकिन इलाके के कद्दावर तृणमूल नेता अबू सुफियान का दावा है कि नंदीग्राम प्रगति की राह पर तेजी से बढ़ रहा है. सूफियान के विशाल आलीशान मकान की हाल में रंगाई-पुताई हुई है, इसीलिए शायद उनका विकास का पैमाना अलग है.

कोलकाता में भी विरोध की आवाज

राजधानी कोलकाता में भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नंदीग्राम के पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग उठाई है. बंदी मुक्ति समिति के महासचिव छोटन दास कहते हैं, "सरकार को नंदीग्राम आंदोलन के दौरान यौन हिंसा की शिकार 25 महिलाओं को मुआवजा देना चाहिए. इसके अलावा जेलों में बंद निरपराध लोगों को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए." लेकिन सरकार का ध्यान इन बातों की ओर नहीं है. राज्य विधानसभा परिसर में बनी अस्थायी शहीद वेदी पर माला चढ़ाने के बाद उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, "तृणमूल कांग्रेस के लोग हमेशा नंदीग्राम के लोगों के साथ खड़ी है." कम से कम नंदीग्राम के आम लोगों को तो तृणमूल कांग्रेस के इस दावे पर यकीन नहीं है. लेकिन सियासी दावपेंच में उलझे नेताओं यह सोचने की फुर्सत ही कहां है कि नंदीग्राम के लोग क्या सोचते हैं.

रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें