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राष्ट्रपति पद को और ताकतवर बनाना चाहते हैं एर्दोवान

९ जनवरी २०१७

तुर्की में प्रधानमंत्री से राष्ट्रपति बने रेचेप तय्यप एर्दोवान अब पूरी ताकत अपने हाथों में चाहते हैं. वह संवैधानिक संशोधन के जरिये प्रधानमंत्री का पद खत्म करना चाहते हैं. तुर्की की संसद नए संशोधनों पर बहस कर रही है.

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Türkei Präsident Erdogan in seinem Palast
तस्वीर: AFP/Getty Images

राष्ट्रपति एर्दोवान के समर्थन से सत्ताधारी एकेपी पार्टी देश में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहती है. देश की संसद अंकारा में संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा कर रही है जो राष्ट्रपति की ताकत को मजबूत करेगा लेकिन संसद को और कमजोर बना देगा. इस राह में एकमात्र बाधा यह है कि एर्दोवान की एकेपी के पास संविधान में संशोधन के लिए जरूरी 60 प्रतिशत सीटें नहीं हैं. इसके लिए उसे दूसरी पार्टियों की मदद की जरूरत होगी. अगर यह समर्थन मिल जाता है और प्रस्ताव को संसद में 60 प्रतिशत समर्थन मिल जाता है तो उसके 60 दिन बाद पहले रविवार को इस प्रस्ताव पर जनमत संग्रह कराया जाएगा.

विधेयक के महत्वपूर्ण संशोधन

संविधान संशोधन के मसौदे को संसद के संवैधानिक आयोग ने पहले ही स्वीकार कर लिया है. इस संशोधन की महत्वपूर्ण बात यह है कि तुर्की का राष्ट्रपति राज्य प्रमुख के साथ साथ सरकार प्रमुख भी हो जाएगा. सरकार प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री का पद समाप्त कर दिया जाएगा. भविष्य में राष्ट्रपति किसी राजनीतिक पार्टी का सदस्य हो पाएगा. राष्ट्रपति का प्रतिनिधित्व तब वर्तमान के संसद प्रमुख के बदले उसके द्वारा नियुक्त उपराष्ट्रपति करेंगे.

राष्ट्रपति को खुद तय की जाने वाली संख्या में उपराष्ट्रपतियों और मंत्रियों की नियुक्ति करने और उन्हें हटाने का अधिकार होगा. राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकेगा, लेकिन बाद में उसके लिए मौजूदा नियमों के विपरीत संसद से अनुमोदन कराने की जरूरत नहीं होगी. अध्यादेशों के जरिये राष्ट्रपति मंत्रालय बना पाएगा और उसे खत्म कर पाएगा.

एक साथ पांच साल के लिए चुनाव

राष्ट्रपति और संसद का चुनाव एक ही दिन पांच साल की अवधि के लिए होगा. बदली संरचना में तुर्की में पहला चुनाव 3 नवंबर 2019 में होगा. एक साथ चुनाव कराने से यह संभावना बढ़ेगी कि राष्ट्रपति को संसद में भी बहुमत मिले. राष्ट्रपति का पद दो कार्यकालों के लिए सीमित रहेगा. संसद के सदस्यों की संख्या 550 से बढ़ाकर 600 की जा रही है. संसदीय सवाल सिर्फ लिखित में पूछे जा सकेंगे.

नए संशोधनों के बाद राष्ट्रपति को न्यायिक मामलों में ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे. जजों और सरकारी वकीलों की परिषद के 13 सदस्यों में चार का फैसला राष्ट्रपति करेगा जबकि संसद तीन अन्य सदस्यों का फसैला करेगी. इस समय इस परिषद में 22 सदस्य हैं और उनमें बहुमत का फैसला जज और सरकारी वकील खुद करते हैं. यह संस्था जजों और सरकारी वकीलों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए जिम्मेदार है.

एमजे/वीके (डीपीए)