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रासायनिक हथियारों का पता कैसे लगाती है ओपीसीडब्ल्यू?

२३ अप्रैल २०१८

नर्व गैस या ऐसी ही किसी और रासायनिक हथियार की चपेट में आ कर तड़पते बच्चों या बड़ों की तस्वीरें देख रासानयिक हथियारों पर निगाह रखने वाली संस्था के लैब और उपकरण केंद्र में हलचल तेज हो जाती है.

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Niederlande OPCW-Sondersitzung zu mutmaßlichem Giftgaseinsatz in Duma
तस्वीर: Getty Images/AFP/K. van Weel

माइकल बैरेट के पास एक पुराना फ्लिप फोन है. इसी फोन पर उनके हॉटलाइन की घंटी बजती है उनके पास सिर्फ तीन घंटे होते हैं जिसमें उन्हें रासायनिक हथियारों की जांच करने वाली टीम के लिए उपकरण तैयार करना होता है.

नीदरलैंड्स के रिसवुक उपनगर में औद्योगिक इलाके से दूर एक दो मंजिली इमारत में करीब 20 कर्मचारी हैं. बीते दो दशकों में ऑर्गनाइजेशन फॉर द प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल विपंस, ओपीसीडब्ल्यू दुनिया भर से रासायनिक हथियारों के जखीरे को खत्म करने में अहम भूमिका निभा रहा है और यही लोग इस संगठन के हाथ पैर हैं. 

सीरिया के डूमा में आम नागरिकों पर क्लोरीन या सारिन गैस के इस्तेमाल का पता लगाने वाली टीम ने अपना काम यहीं से शुरू किया. टीम जो भी नमूने जमा करेगी उसे सील कर कड़ी सुरक्षा और निगरानी के बीच आगे की विस्तृत जांच के लिए यहीं लाया जाएगा.

पहले सैनिक रह चुके बैरेट ओपीसीडब्ल्यू के साथ 21 साल से हैं. जो लोग दुनिया के सबसे जहरीले इलाके में जाना चाहते हैं उन्हें प्रशिक्षण और उपकरण यह संगठन देता है. बैरेट ने खुद को इसी काम में लगा लिया है. 61 साल के बैरेट ओपीसीडब्ल्यू के प्रिंसिपल लॉजिस्टिक टेक्नीशियन और इक्विपमेंट स्टोर के प्रमुख हैं. वो बताते हैं, "जब आप कुछ गलत देखते हैं तो निश्चित रूप से नर्वस होते हैं.

बैरेट का कहना है कि मिशन के लिए तैयारी का समय लगातार घटता जा रहा है. कार्बन के कवच वाले प्रोटेक्शन सूट से लेकर हाथियों के पैरों के आकार वाले रबर बूट, उन्नत डिटेक्टर, सैटेलाइट फोन और मेडिकल किट, यह सब तैयार करना होता है. सारे उपकरण एक नहीं कई कई बार चेक करने होते हैं. बैरेट कहते हैं, "क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आप के पास रिस्पाइरेटर या गैस मास्क हो और उसका वाल्व गलत तरीके से लगा हो."

UN OPCW Syrien Damaskus
तस्वीर: Reuters/A. Hashisho

सीरिया में रासायनिक हथियार के इस्तेमाल के दावों और प्रतिदावों के बीच ध्यान इस बात पर रहता है कि टीम को सुरक्षित रखने के साथ ही विज्ञान की पवित्रता को भी कैसे बचाया जा सके. छोटी से छोटी चीज भी नजरअंदाज नहीं की जा सकती. पिन के नोक के आकर की भी अगर दरार किसी ग्लोव में छूट जाए तो वह किसी के लिए घातक हो सकती है. इस रास्ते से रिसी गैस त्वचा के रास्ते इंसान के तंत्रिका तंत्र में जा सकती हैं.

सबसे खतरनाक नर्व एजेंट वीएक्स का रिसाव 20 मिनट में किसी की जान ले सकता है. ओपीसीडब्ल्यू के 7000 आधिकारिक अभियान में अगर ट्रेनिंग को भी मिला दें तो यह करीब 10000 अभियान हो जाते हैं. 21 सालों में ओपीसीडब्ल्यू के 400 कर्मचारियों ने दुनिया भर से रासायनिक हथियारों के 96 फीसदी जखीरे को खत्म किया लेकिन किसी टीम सदस्य को कोई नुकसान नहीं हुआ. इस काम ने इस संगठन को 2013 में नोबेल शांति पुरस्कार दिलाया.

ओपीसीडब्ल्यू के पास 400 कर्मचारी हैं. बैरेट बताते हैं, "ओपीसीडब्ल्यू में सबसे खतरनाक काम है एनालिटिकल केमिस्ट का, क्योंकि उन्हीं को नमूने लेने होते हैं." बहुत से लोग हैं जिन्होंने कभी गैस मास्क भी नहीं पहना लेकिन अब वो ओपीसीडब्ल्यू के साथ जंग वाले इलाकों में काम कर रहे हैं. 2012 में इन लोगों के उपकरणों के बोझ में एक खास तरह के सिंथेटिक फाइबर से बने पूरे शरीर के सुरक्षा कवच को भी शामिल कर दिया गया. यह उनकी आग से बचने में मदद करता है.

हमले वाली जगह पर पहुंचने के बाद टीम के एक्सपर्ट पूरे इलाके को फ्लेम फोटोमेट्रिक डिटेक्टर या फिर इयॉन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमीटर से स्कैन कर जहरीली गैस का पता लगाते हैं. लिटमस टेस्ट के जैसे पेपर टेस्ट से नर्व एजेंट की मौजूदगी की चेतावनी मिल जाती है.

टीम में आमतौर पर दो से 25 तक सदस्य होते हैं और उनके पास बहुत ज्यादा वक्त नहीं होता. कई बार तो महज 20 मिनट में ही वे वातावरण से नमूने जमा कर लेते हैं जैसे कि पौधे या मिट्टी या पिर खिड़कियों पर लगे रबर सील जो कई हफ्तों तक जहरीले कणों को जमा रख सकते हैं.

UK Salisbury Untersuchung Nervengasanschlag Skripal
तस्वीर: picture-alliance/PA Wire/B. Birchall

पीड़ितों से लिए गए बायोमेडिकल सैम्पल जैसे कि खून या पेशाब के नमूने भी काफी काम आते हैं. कुछ मामलों में तो मरे हुए लोगों के ऊतक भी जमा किए जाते हैं. ओपीसीडब्ल्यू की लैबोरेट्री के प्रमुख मार्क मिषाएल ब्लूम बताते हैं, "हम जिंदा बचे लोगों से नमूने लेने की कोशिश करते हैं क्योंकि उनसे पूछताछ की जा सकती है, वो अपनी कहानी बता सकते हैं, जिसकी सत्यता दूसरे लोगों से जांची जा सकती है."

खून के नमूने काफी अच्छे साबित होते हैं. लोगों के शरीर में नर्व एजेंट के कण कई हफ्ते बल्कि कई बार तो तीन महीने तक रहते हैं.

एक बार नमूने रिसविक आ जाएं तो फिर वे इसे बांट कर 20 स्वतंत्र लेबोरेट्री में जांच के लिए भेजते हैं. ये लैब पूरी दुनिया में हैं और ओपीसीडब्ल्यू ने उन्हें सर्टिफिकेट दिया है. बिल्कुल गोपनीयता के साथ लैब स्वतंत्र रिपोर्ट तैयार करते हैं और फिर उसे ओपीसीडब्ल्यू तक भेजा जाता है. इस पूरी कवायद का मकसद सिर्फ यही है कि नतीजों की सत्यता पर कोई सवाल ना उठा सके.

एनआर/एमजे (एएफपी)