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रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाई

२५ जनवरी २०११

महंगाई को काबू करने में भारत सरकार के हाथ पैर फूल रहे हैं. 12 महीनों में यह सातवीं बार है जब भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मूलभूत दरें बढ़ाई हैं. आर्थिक विकास के बूम का दावा करती सरकार को मंहगाई काबू में करने में मुश्किल.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

मंगलवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने दरें 0.25 फीसदी बढ़ा दी हैं. रेपो यानी बैंक लोन पर ब्याज दर बढ़ा कर 6.5 कर दी गई है जबकि रिवर्स रेपो 5.5 किया गया है. रेपो वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक व्यवसायिक बैंकों को कर्ज देते हैं. रिज़र्व बैंक के गवर्नर दुवुरी सुब्बाराव ने कहा कि मुद्रा स्फीति की दर बढ़ी हुई है और इस कारण महंगाई को कम करने के लिए कदम उठाना अनिवार्य हो गया है.

मुद्रा स्फीति के कारण खाद्य और कच्चे तेल की कीमतें तेज़ी से बढ़ जा रही है. दिसंबर में मुद्रा स्फीति की दर 8.43 आंकी गई जो कि उसके पहले के महीने से एक प्रतिशत ज्यादा रही. मार्च तक जारी वित्त वर्ष के लिए बैंक ने विकास की दर तो 8.5 फीसदी बताई है लेकिन मुद्रास्फीति 5.5 की जगह 7 प्रतिशत हो जाने की आशंका जताई है.

साल डेढ़ साल के अंदर भारत के नौ राज्यों में चुनाव होने हैं ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार पर महंगाई को काबू में करने का दबाव तेजी से बढ़ रहा है. भारी भ्रष्टाचार की खबरों के बाद बढ़ती मंहगाई ने लोगों का गुस्सा बढ़ा दिया है. हाल ही में प्याज की कीमतें 80 रूपए प्रति किलो हो गई थीं. एशिया के बाजारों में कीमतों का बढ़ना जारी है. हो सकता है कि चीन भी मुद्रा स्फीति और महंगाई को कम करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाए.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः एस गौड़

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