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रिम ने सुझाया भारत को ई-मेलों की निगरानी का हल

१३ जनवरी २०११

ब्लैकबैरी के केनैडियन निर्माता रिसर्च इन मोशन (रिम) ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि उसने भारत में सुरक्षा एजेंसियों के साथ स्मार्टफोन मैसेजिंग सर्विस के इस्तेमाल पर चल रहे गतिरोध का हल ढूंढ लिया है.

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तस्वीर: dpa

रिम ने भारत सरकार को आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए ईमेल की निगरानी का रास्ता तो सुझा दिया है लेकिन अपने इस हल में कॉर्पोरेट ई-मेल सर्विस की निगरानी को शामिल नहीं किया है.

इससे पहले भारत ने रिम को 31 जनवरी तक का समय देते हुए कहा था कि वह दिए गए समय में ऐसा रास्ता खोजे जिससे कि भारत की खुफिया एजेंसियां ब्लैकबैरी सर्विस के डाटा की निगरानी कर सकें. भारत को आशंका है कि आतंकवादी इस सर्विस का इस्तेमाल करके देश में आतंकी हमलों को अंजाम दे सकते हैं.

अपने बयान में रिम ने कहा कि हमने कुछ बदलाव करने के साथ यह भी ख्याल रखा है कि कंज्यूमर मैसेजिंग सर्विस के मानक प्रभावित न हों. रिम के सुझाए हल के मुताबिक भारत सरकार अब ब्लैकबैरी मैसेंजर सर्विस और पब्लिक ई-मेल की निगरानी कर सकती है. हालांकि वह कॉर्पोरेट ई-मेल सर्विस पर नजर नहीं रख सकेगी.

रिम के प्रतिनिधि गृहमंत्रालय और दूरसंचार मंत्रालय के अधिकारियों से पिछले तीन साल से इस मुद्दे पर चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए लगातार मिलते रहे हैं. भारत में ब्लैकबैरी के लगभग 11 लाख उपयोगकर्ता हैं, इसलिए यहां इस सेवा पर प्रतिबंध लगाना तर्कसंगत नहीं होगा.

मंत्रालय के अधिकारी रिम के इस ताजा प्रस्ताव पर टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हो सके. पिछले माह भारत के संचार राज्यमंत्री सचिन पायलट ने संसद में कहा था कि इस मामले पर जारी गतिरोध का कोई हल नहीं ढूंढा जा सका है. भारत सरकार ने ब्लैकबैरी के साथ गतिरोध सुलझाने के लिए तीसरी बार समय सीमा बढ़ाते हुए उसे 31 जनवरी तक का समय दिया है.

पिछले साल अक्तूबर में संयुक्त अरब अमीरात ने ब्लैकबैरी सर्विस पर प्रतिबंध लगाने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि गल्फ देशों का विनियामक ढांचा इस सर्विस की इजाजत देता है.

स्मार्टफोन सेक्टर में ब्लैकबैरी अपनी सर्विस के कारण ग्लोबल लीडर है. विश्लेषकों का कहना है कि भारत सरकार के साथ कोई समझौता करने से ब्लैकबैरी के हाई प्रोफ़ाइल ग्राहकों में इसकी लोकप्रियता को नुकसान हो सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एस खान

संपादनः महेश झा