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फ्रांस ने रूस को युद्धपोत की डिलीवरी रोकी

४ सितम्बर २०१४

गुरुवार से वेल्स में नाटो की शिखर वार्ता शुरू हो रही है. बैठक में गठबंधन रूस के लिए नई नीति तलाश करेगा. फ्रांस ने भारी दबाव के बीच रूस को बेचे जाने वाले युद्धपोत की डिलीवरी रोक दी है.

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NATO Newport Wales
तस्वीर: DW/B.Riegert

2011 में फ्रांस का रूस के साथ करार हुआ था कि वह मिस्ट्रल क्लास के दो युद्धपोत बेचेगा. कुल 1.2 अरब यूरो की कीमत वाले ये जहाज हेलिकॉप्टर कैरियर के तौर पर जाने जाते हैं. पहली डिलीवरी अक्टूबर में और दूसरी 2015 में होनी थी. फ्रांस ने बिक्री को रद्द करने से इनकार करते हुए दलील दी कि ये सौदा देश की लचर आर्थिक स्थिति के लिए जरूरी है. राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया, "देश के राष्ट्रपति ने घोषणा की है कि संघर्ष विराम की संभावना के बावजूद पहले युद्धपोत की डिलीवरी के लिए यह सही समय नहीं है.

मुख्य मुद्दा

शिखर वार्ता का मुख्य मुद्दा यूक्रेन संकट रहेगा और पूर्वी यूरोप में सुरक्षा बढ़ाने पर बातचीत होगी. द टाइम्स अखबार में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने साझा टिप्पणी के हवाले से लिखा है, "क्रीमिया को रूस में शामिल करना और यूक्रेनी सीमा में अपनी सेना भेज कर रूस ने नियमों की धज्जियां उड़ा दी हैं. और एक संप्रभु देश की एकता को नजरअंदाज करते हुए उसे धमकाया. अपने लोकतांतत्रिक भविष्य के बारे में खुद फैसला करने के यूक्रेन के अधिकार का हमें समर्थन करना चाहिए. साथ ही यूक्रेन की क्षमता को बढ़ाने की हमारी कोशिशें जारी रखी चाहिए."

पोरोशेंको का संबोधन

नाटो यू्क्रेन परिषद को यूक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको संबोधित करेंगे. नाटो ने कहा है कि यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई करने की उसकी कोई योजना नहीं है. यूक्रेन नाटो गठबंधन का सदस्य नहीं है.

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मिस्ट्राल युद्धपोततस्वीर: F.Perry/AFP/Getty Images

पोरोशेंको रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई बातचीत की जानकारी नाटो को देंगें. दोनों ही धड़ों ने टेलिफोन पर हुई बातचीत में शांति और संघर्ष विराम के कदमों पर बात की. नाटो की बातचीत से पहले पुतिन यूक्रेन में शांति के लिए सात बिंदुओं वाला एक प्लान पेश किया था लेकिन यूक्रेन के प्रधानमंत्री आर्सेनी यात्सेनयुक ने इसे ठुकराते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आंखों पर पर्दा डालने का तरीका बताया.

संप्रभुता का ध्यान जरूरी

जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने हालांकि पूर्वी यूक्रेन में नाटो सैनिकों की हमेशा तैनाती का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि नाटो बाल्टिक देशों, लात्विया, लिथुएनिया और इस्टोनिया की सुरक्षा करेगा लेकिन रूस के साथ संधि की शर्तों का भी ध्यान रखा जाएगा. मैर्केल ने कहा, "जब बाल्टिक देशों की रक्षा की बात आती है तो मेरे लिये यह स्वाभाविक है कि इन देशों की संप्रभुता का ध्यान रखा जाएगा." 1997 में नाटो रूस फाउंडिंग एक्ट पर हस्ताक्षर हुए थे. इसके मुताबिक पूर्वी यूक्रेन में नाटो अपने सैनिक बड़ी संख्या में नहीं रख सकता.

यूक्रेन संकट के अलावा नाटो शिखर वार्ता में सीरिया और इराक में पैदा हुए इस्लामिक आतंकवाद और आईएस के बारे में भी बातचीत होगी. इसके अलावा अफगानिस्तान से अंतरराष्ट्रीय सेना की वापसी भी एक मुद्दा होगी.

एएम/ओएसजे (एएफपी, रॉयटर्स, डीपीए)