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रूस पहुंचे मोदी, रिश्तों में लौटेगी गर्मजोशी?

१ जून २०१७

जर्मनी और स्पेन के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के दौरे पर सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचे हैं. राष्ट्रपति पुतिन के साथ उनकी बैठक में जोर दोतरफा रिश्तों को मजबूत करने पर है.

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Russland Indien Präsident Wladimir Putin und Premierminister Narendra Modi
Russland Indien Präsident Wladimir Putin und Premierminister Narendra Modi
Russland Indien Präsident Wladimir Putin und Premierminister Narendra Modi
Russland Indien Präsident Wladimir Putin und Premierminister Narendra Modi
Russland Indien Präsident Wladimir Putin und Premierminister Narendra Modi
तस्वीर: Picture-Alliance/AP Photo/M. Swarup

भारत और रूस दशकों तक नजदीकी सहयोगी रहे हैं, लेकिन हाल के सालों में उनके बीच न सिर्फ व्यापार घटा है बल्कि दोतरफा रिश्तों की गर्मजोशी में भी कमी देखने को मिली है. जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान के साथ रूस के बढ़ते रिश्तों को लेकर भारत असहज है.

तीन दिन तक चलने वाले सेंट पीटर्सबर्ग इकॉनोमिक फोरम में प्रधानमंत्री मोदी मुख्य अतिथि हैं. स्विट्जरलैंड के दावोस में होने वाली वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम के जबाव में रूस ने यह आयोजन शुरू किया है.

सेंट पीटर्सबर्ग इकॉनोमिक फोरम के उद्घाटन पर पुतिन ने उम्मीद जताई कि पश्चिम में रूस को लेकर डर का माहौल जल्दी खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा, "पश्चिमी में रूसोफोबिया ज्यादा देर नहीं चलेगा, हमेशा के लिए बिल्कुल नहीं. यह समझना होगा कि उसके उल्टे नतीजे निकल रहे हैं जिससे सबको नुकसान हो रहा है."

रूस और भारत के बीच शीत युद्ध के दौरान दशकों तक गहरा आपसी सहयोग रहा है. सोवियत संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार, कूटनीतिक सहयोगी और हथियारों का आपूर्तिकर्ता रहा है. टैंक से लेकर लड़ाकू विमान तक भारत सब कुछ वहीं से खरीदता रहा है.

लेकिन सोवियत संघ के विघटन के बाद संबंध ढलान पर जाने लगे. भारत में भी आर्थिक सुधार हुए हैं और उसने पश्चिमी देशों से व्यापारिक संबंध कायम करने शुरू किये. भारत के संबंध जहां अमेरिका के साथ मजबूत होते चले गए, वहीं रूस के रिश्ते भारत के क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान और चीन के साथ परवान चढ़ने लगे.

मोदी और पुतिन के बीच कई समझौतों को लेकर बातचीत होगी. दोनों पक्ष दक्षिण भारत में एक परमाणु संयंत्र के लिए रूसी रिएक्टरों की आपूर्ति के बारे में भी बात करेंगे. भारत कोयले पर अपनी निर्भरता खत्म करने के लिए परमाणु ऊर्जा पर ध्यान दे रहा है.

दोनों देशों के बीच घटते दोतरफा व्यापार को बढ़ाना भी उनकी प्राथमिकता है. 2015 में दोनों के बीच सालाना व्यापार आठ अरब डॉलर के आंकड़े को भी नहीं छू सका जबकि 2030 तक इसे बढ़ाकर 30 अरब डॉलर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

रूस के बाद मोदी अपने इस दौरे के आखिरी पड़ाव में फ्रांस जायेंगे. इससे पहले उन्होंने स्पेन और जर्मनी का दौरा किया. बर्लिन में उनके दो दिन के प्रवास के दौरान जर्मनी-भारत अंतर सरकारी परामर्शी बैठक हुई जिसमें दोनों देशों के बीच आठ अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.

एके/एमजे (एएफपी)