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यूरोप, रूस, यूरोपीय संघ, ब्रसेल्स, विदेश नीति

२० दिसम्बर २०१४

यूरोपीय संघ के नेताओं ने रूस को चेतावनी दी है कि अगर राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन से बाहर निकलने का फैसला नहीं करते हैं, तो संघ के देश रूस के साथ लंबे तकरार को तैयार हैं. रूस पर आर्थिक पाबंदियां लगाई गई हैं.

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EU-Gipfel in Brüssel 18.12.2014 Tusk
तस्वीर: AFP/Getty Images/T. Charlier

ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं की एक बैठक के बाद यूरोप परिषद के नए अध्यक्ष डोनाल्ड टुस्क ने कहा, "हम बिना प्रतिक्रियावादी और बिना रक्षात्मक हुए आगे बढ़ेंगे. यूरोपीय की तरह हमें अपना आत्मविश्वास पाना है और अपनी ताकत पर भरोसा करना है." उनकी टिप्पणी का पुट रूस को धमकी देने के अंदाज में सामने आया. रूस फिलहाल लगातार गिरती अर्थव्यवस्था और पेट्रोल के गिरते दामों से परेशान है. हालांकि यूरोप का एक धड़ा इससे परेशान भी दिख रहा है लेकिन टुस्क का कहना है कि इस घड़ी में सबका साथ रहना जरूरी है.

उन्होंने कहा, "यह तय बात है कि हम रूस के प्रति एक संयुक्त यूरोपीय रणनीति के बगैर यूक्रेन को लेकर एक दीर्घकालीन योजना नहीं बना सकते हैं. हो सकता है कि आज हम बहुत आशावादी नहीं हैं लेकिन हमें यथार्थवादी होने की जरूरत है, आशावादी होने की नहीं."

Treffen der GUS-Führer in Minsk
मिंस्क में हुई बैठकतस्वीर: picture-alliance/Itar-Tass

यह बैठक ऐसे दिन हुई, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने यूक्रेन और अर्थव्यवस्था के मामले में शब्दबाण छोड़े. इसके बाद 28 देशों के समूह यूरोपीय संघ ने इस बात पर चर्चा की कि वे अपने पूर्वी पड़ोसी के साथ किस तरह लंबे समय की रणनीति बना सकते हैं. उन्होंने शीत युद्ध की वापसी की भी चेतावनी दी.

संघ के कुछ सदस्यों ने सलाह दी कि उन्हें मॉस्को के साथ भिड़ंत को नजरअंदाज करने के लिए यूक्रेन से फोकस हटाना चाहिए. उनका कहना था कि इससे लंबे समय में उद्योग जगत को फायदा पहुंच सकता है, जिसमें रूसी वित्तीय संकट की वजह से गहरा नुकसान हुआ है.

लेकिन जहां तक रूस के प्रति रवैये की बात है, नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि उन्हें पहले की ही तरह एकजुट रहने की जरूरत है और रूस को एक तरफ सख्त कार्रवाई की धमकी भी देनी है और दूसरी तरफ बेहतर औद्योगिक रिश्ते का लालच भी देना है. वे इस बात पर राजी हो गए कि यूक्रेन को वित्तीय मदद दी जाती रहेगी, ताकि वह सोवियत काल के बाद के अपने आर्थिक तंत्र को मजबूत कर सके.

EU-Gipfel in Brüssel 18.12.2014 Merkel
रूस से नाराज मैर्केलतस्वीर: AFP/Getty Images/T. Charlier

रूस का विरोधी समझे जाने वाले पूर्व पोलिश प्रधानमंत्री टुस्क ने कहा, "आज हमारी रणनीतिक समस्या रूस है, यूक्रेन नहीं. आज की सबसे बड़ी चुनौती रूसी रवैया है - सिर्फ यूक्रेन के प्रति नहीं, बल्कि यूरोपीय संघ के प्रति भी."

गुरुवार को कुछ ऐसे प्रतिबंधों को अमली जामा पहना दिया गया, जिन पर पहले ही बात हो चुकी थी. इसके अलावा रूस के खिलाफ किसी नए प्रतिबंध की बात नहीं हुई. उन्होंने इस बात के संकेत भी दिए कि अमेरिका की तरह वे भी इनमें नरमी बरत सकते हैं, बशर्ते पुतिन इस बात का भरोसा दें कि सितंबर में उन्होंने यूक्रेन को लेकर मिंस्क में जो शांति वार्ता की थी, उस पर अमल कर रहे हैं.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा, "अगर रूस अपना रुख बदलता है, तो दरवाजे हमेशा खुले हैं. अगर रूस अपनी फौजों को यूक्रेन से हटा लेता है और मिंस्क समझौते की संरचना का पालन करता है, तो ये प्रतिबंध हट जाएंगे." लेकिन जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा, "प्रतिबंध तभी हटेंगे, जब इन्हें लगाने की वजहें बदल जाएंगी."

लक्जमबर्ग के पूर्व प्रधानमंत्री और यूरोपीय कमीशन के अध्यक्ष जाँ क्लोद युंकर ने टुस्क के साथ प्रेस वार्ता में कहा कि बातचीत अभी भी जरूरी है, "हमें संवाद के चैनलों को खुला रखना है. मैं बरसों से श्री पुतिन को जानता हूं और मैं इन चैनलों में तैरते हुए उस संवाद का फायदा उठाना चाहता हूं."

एजेए/एमजे (रॉयटर्स)