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रूस हथियार नियंत्रण को तैयार

१६ नवम्बर २०१२

रूस नाटो के साथ यूरोप में पारंपरिक हथियारों की कटौती पर बातचीत के लिए तैयार है पर उसने कहा है कि अगर बीच में राजनीति नहीं आई तभी वह इसमें सहयोग करेगा.

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रूसी विदेश मंत्री सरगेई लावरोवतस्वीर: picture-alliance/dpa

पश्चिमी देशों के सैन्य गठबंधन नाटो के लिए रूस के नए राजदूत अलेक्सांद्र ग्रुश्कोव ने गुरुवार को इस बात के संकेत दिए कि रूस बातचीत की मेज पर लौटने को तैयार है. रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने पांच साल पहले कंवेन्शनल फोर्सेज इन यूरोप ट्रीटी (सीएफई) में गैरपरमाणु ताकत घटाने पर बातचीत से खुद को अलग कर लिया था. हालांकि इसके साथ ही रूसी राजदूत ने यह चेतावनी भी दी कि वह अलग हुए दो जॉर्जियाई क्षेत्रों और मोल्दोवा में मौजूद उसकी सेनाओं की वैधता पर सवाल नहीं सुनेगा. जॉर्जिया क्षेत्रों ने 2008 की जंग के बाद खुद को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था.

समाचार एजेंसी इंटरफैक्स से ग्रुश्कोव ने कहा, "असल बात यह है कि हमें राजनीतिक मुद्दों से जोड़े बगैर बातचीत करनी चाहिए. अगर बातचीत के केंद्र में कुछ राजनीतिक मुद्दों की बजाय हथियारों पर नियंत्रण है तो यह संभव है कि आज किस तरह के नियंत्रण की जरूरत है, इस पर सार्थक बातचीत हो सके." रूसी राजदूत ने यह भी कहा कि मामला अब यूरोप के हाथ में है और उनका देश यूरोपीय सहयोगियों के संकेत का इंतजार करेगा. उनका यह भी कहना है कि इन संकेतों से ही उनकी दिलचस्पी का पता चलेगा.

रूस ने इस एलान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दोबारा चुनाव के तुरंत बाद का समय चुना है और मुमकिन है कि इसका मकसद अमेरिका और नाटो को बताना है कि रूस हथियारों के नियंत्रण पर बातचीत के लिए तैयार है लेकिन वह अपनी जमीन आसानी से नहीं छोड़ेगा.

नाटो के सदस्य देशों के राजी होने और वारसा संधि में 1990 में सोवियत संघ के टूटने के एक साल पहले एक समझौता हुआ कि पारंपरिक हथियारों का एक संतुलन कायम किया जाए. इनमें सेना के टैंक, भारी तोपें और लड़ाकू जहाजों की संख्या कम करने की बात रखी गई. नवंबर 1999 में इस समझौते को संशोधित किया गया और इस्तांबुल में जमा हुए 30 देशों के नेताओं में अटलांटिक से लेकर उराल पर्वतों के बीच हथियारों की संख्या राष्ट्रीय आधार पर न रख कर क्षेत्रीय आधार पर रखने पर सहमति हुई. हथियारों की संख्या 1990 में तय हुई संख्या के आधार पर ही रखने की बात कही गई.

2007 में रूस ने इस बातचीत से खुद को अलग कर लिया. उसने नाटो देशों पर नए संस्करण की पुष्टि न करने का आरोप लगाया. साथ ही रूस ने यह भी कहा कि वारसा की संधि पुरानी हो चुकी है क्योंकि इसमें शामिल कई देश नाटो से जुड़ चुके हैं. नाटो देशों का नई संधि के पुष्टि न करने को जॉर्जिया और मोल्दोवा में रूसी फौजों की मौजूदगी के विवाद से जोड़ा गया.

अमेरिका ने पिछले साल कहा कि वह रूस को संधि के लिए हथियारों के सालाना आंकड़े नहीं देगा. हालांकि इसके साथ ही उसने यह उम्मीद भी जताई कि रूस इस समझौते में लौट आएगा.

एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)

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