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रोमानिया का भूरा भालू: इंसान का दोस्त या दुश्मन?

३१ मार्च २०१७

रोमानिया में सरकार ने भूरे भालू का शिकार बैन कर दिया है, जो अरबों रूपए की इंडस्ट्री थी. कुछ स्थानीय और शिकार जहां बैन का विरोध कर रहे हैं, वहीं पर्यावरणविद् इसके हक में हैं.

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Brown bears drinking in sanctuary, Pristina, Kosovo
तस्वीर: Elian Hadj-Hamdi

रोमानिया के ट्रांससिलवेनिया इलाके के जंगल में रहने वाले भूरे भालू की खाल बहुत महंगी बिकती है. एक भालू के 7000 यूरो तक मिल जाते हैं. इसलिए शिकारी उसके शिकार पर लगे बैन से निराश हैं. शिकारी अटिला चिस्की कहते हैं, "हमारे लिये ये बड़ा नुकसान है क्योंकि इतने बड़े शिकारी जीव को हम नहीं मार सकते. इससे हमारी कमाई पर असर पड़ता है. कइयों को डर है कि उनका दीवाला निकल जाएगा."

यूरोपीय संघ में भालू समेत कई वन्य जीवों को सुरक्षा की दी गई है. लेकिन कानून में कुछ तकनीकी खामियां भी हैं. इन कमियों के चलते ही रोमानिया में शिकार का कारोबार फल फूलकर करोड़ों यूरो का हो गया.

2016 के अंत में रोमानिया की सरकार ने ट्रॉफी हटिंग पर रोक लगा दी. शिकारियों का आरोप है कि रोक के बाद से भालुओं की संख्या बढ़ रही है. जंगल के बाहर भी भालुओं के निशान मिल रहे हैं. शिकारी सानडोर फेरेंस कहते हैं "उनकी आबादी बहुत ज्यादा है, यहां बहुत से रह रहे हैं. वे फैल रहे हैं, यहां तक कि गांवों में भी."

बड़े शहरों में लोग शिकार पर लगाए गए प्रतिबंध से खुश हैं. लेकिन देश के ग्रामीण इलाकों में भालू, इंसान और मवेशियों के लिए खतरा बन रहे हैं. कुछ ही हफ्ते पहले एक भालू ने एक किसान फेरेंक बिरो के कई मवेशी मार दिये. वह कहते हैं, "पहले उसने खिड़की से घुसने की कोशिश की. यहां पर आप उसके पंजों के निशान देख सकते हैं. इसमें सफलता न मिलने पर उसने दरवाजा तोड़ दिया और मेरी गायों पर हमला किया."

ऐसे टकराव के लिए इंसान भी जिम्मेदार हैं. ज्यादातर गांव जंगल के पास बसे हैं. ग्रामीण अक्सर अपना कचरा बाहर डालते हैं. कचरे की गंध से भालू आकर्षित होते हैं और इंसानी बस्ती में दस्तक देने लगते हैं.

शिकारियों का दावा है कि भालुओं के शिकार पर लगी पाबंदी से खतरा और बढ़ेगा. रोमानिया शिकारी संघ के जोसेफ बेंके कहते हैं, "इसका असर यह है कि भालू इंसान से डर ही नहीं रहे हैं, क्योंकि उनका शिकार नहीं किया जा रहा है. इसके खराब नतीजे हो सकते हैं."

लेकिन पर्यावरणविद् मानते हैं कि भालुओं के बारे में बातें बढ़ा चढ़ा पेश की जा रही हैं. ज्यादातर शिकारी लियोनार्डो बेरेकस्की से नाराज हैं जो पशु अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ता हैं. उन्होंने ही इस प्रतिबंध को लागू करवाने में मदद की. उनका दावा है कि शिकारी बेवजह डर का माहौल बना रहे हैं.

हारघिटा बीयर रेस्क्यू सेंटर चलाने वाले लियोनार्डो बेरेकस्की भालुओं के बारे में कहते हैं, "वे बहुत ही ज्यादा शांत और संतुलित जीव हैं, कई मायनों में. यह साबित भी हो चुका है रोमानिया में कई जगहों पर वे जब शहरों में आए तो कूड़े वाली जगहों पर ही गए. इंसान पर हमला करने वाले मामले तो दुलर्भ हैं. उसने बड़ा खतरा तो कार है जो हर दिन हमारे एक मीटर बगल से गुजरती है."

लियोनार्डो का मानना है कि शिकारी करोड़ों यूरो का कारोबार ठप होने से परेशान हैं. दुनिया भर के लोग भालुओं का शिकार करना चाहते हैं. ऐसे लोगों से रोमानिया की हटिंग एसोसिएशन तीन से आठ हजार यूरो वसूलती थी.

शिकारी प्रतिबंध को हटाने की मांग करते हैं. उनके मुताबिक इसके चलते गैरकानूनी कारोबार चल पड़ा है. शिकारी भले ही जो तर्क दें, लेकिन एक बात तो साफ है कि लंबे वक्त के बाद रोमानिया के जंगलों में गोलियों की गूंज बहुत कम सुनाई पड़ रही है.