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लेखक की गिरफ्तारी के बाद तुर्की जर्मन तनाव बढ़ा

२१ अगस्त २०१७

स्पेन में गिरफ्तार तुर्क-जर्मन लेखक रिहा लेकिन जर्मनी ने तुर्की पर इंटरपोल जैसी संस्था का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. तुर्की राष्ट्रपति एर्दोवान दिखाना चाहते हैं कि उनके आलोचक कहीं भी सुरक्षित नहीं.

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Deutschland Dogan Akhanli bei der lit.Cologne in Köln
तस्वीर: picture-alliance/Geisler-Fotopress/C. Hardt

जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने इंटरपोल के गिरफ्तारी तुर्की के वारंट पर स्पेन में एक जर्मन नागरिक को हिरासत में लिये जाने की आलोचना की है. जर्मन नागरिकता वाले लेखक दोगान अखानली तुर्की में पैदा हुए थे. स्पेन में छुट्टियां मना रहे लेखक के खिलाफ अंकारा ने इंटरपोल का "रेड कॉर्नर" नोटिस निकाला था जिसकी वजह से उन्हें हिरासत में लिया गया. हालांकि अगले दिन कोर्ट ने उन्हें शर्तों के साथ रिहा कर दिया. जब तक स्पेन अखानली को तुर्की को सौंपे जाने के निवेदन पर कोई फैसला लेता है, उन्हें मैड्रिड में ही रहना होगा.

अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि अखानली पर क्या आरोप लगाये गये हैं. वे पहले उन विषयों पर लिखते रहे हैं जिन्हें लेकर तुर्की बहुत संवेदनशील है. जैसे कि अखानली ने सन 1915 में तुर्की में हुई अर्मेनियाई लोगों की सामूहिक हत्या के बारे में लिखा है. तुर्की नहीं मानता कि वहां जनसंहार हुआ था, जबकि इसी साल जून में जर्मन संसद बुंडेसटाग ने एक अर्मेनिया प्रस्ताव पास कर माना था कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वहां तुर्क सैनिकों ने अर्मेनियाई लोगों का जनसंहार किया.

अखानली सन 1991 में जर्मनी पहुंचे. तुर्की में 1984 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद उसी सिलसिले में उन्हें तुर्की में जेल भी जाना पड़ा था. उनकी गिरफ्तारी को लेखकों का संगठन 'पेन' राजनीतिक मंशा से प्रेरित बताता है. वहीं स्पेन में एक और तुर्क-स्वीडिश पत्रकार और लेखक हमजा यालचिन को 3 अगस्त से गिरफ्तार कर रखा गया है. उन्हें भी तुर्की के ही अरेस्ट वारंट पर पकड़ा गया था और उन पर आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया गया है. पेन और 'रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर' जैसे संगठन लेखक को रिहा किये जाने की मांग कर रहे हैं. इस तरह की गिरफ्तारियों से एर्दोवान यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वे तुर्की के बाहर भी अपने आलोचकों तक कैसे पहुंच सकते हैं.

Deutschland | Solidaritätsveranstaltung für den in der Türkei inhaftierten Journalisten Deniz Yücel
तुर्की में गिरफ्तार पत्रकार डेनिस यूचेलतस्वीर: DW/T. Yildirim

जर्मन विदेश मंत्री जिग्मार गाब्रिएल ने एक बयान जारी कर कहा है कि "बहुत बुरा होगा अगर एर्दोवान के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को तुर्की यूरोप के दूसरे तरफ भी गिरफ्तार करवाये." गाब्रिएल ने कहा, "मुझे स्पेन के न्यायिक तंत्र पर पूरा भरोसा है और मैं जानता हूं कि स्पेनी सरकार में हमारे मित्र और साझेदार यह समझेंगे कि यहां क्या कुछ दांव पर लगा है."

एर्दोवान ने इस्तांबुल में एक रैली में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा है कि अगले महीने होने वाले जर्मन चुनाव में जर्मनी को तुर्की के साथ संबंध खराब करने का फल मिलेगा. चेतावनी देते हुए एर्दोवान ने बर्लिन को "अपने काम से काम रखने" की नसीहत भी दी. दोनों देशों के बीच चले आ रहे तनाव को और बढ़ाते हुए हाल ही में एर्दोवान ने यह भी कहा था कि जर्मनी के सभी प्रमुख राजनीतिक दल तुर्की के दुश्मन हैं और उन्होंने तुर्क मूल के जर्मन नागरिकों से सितंबर के आम चुनावों में चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू, एसपीडी और ग्रीन पार्टी के लिए मतदान ना करने की अपील की.

तुर्की में जुलाई के असफल तख्तापलट के बाद गिरफ्तार हुए 17 पत्रकारों पर "आतंकवादी संगठनों" का समर्थन करने के आरोप तय हो चुके हैं. ऐसे संगठनों में धार्मिक नेता फैतुल्लाह गुलेन के संगठन और प्रतिबंधित कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) के नाम बताये जाते हैं. इसके अलावा जर्मन सरकार तुर्की से कई बार जर्मन-तुर्क पत्रकार डेनिस यूचेल को मुक्त किए जाने की मांग कर चुकी है. जर्मन चांसलर ने इन जर्मन नागरिकों को तुर्की जेलों से बाहर निकलवाने के लिए हर संभव कोशिश करने का आश्वासन दिया है.

जर्मन दैनिक डी वेल्ट के तुर्की में संवाददाता रहे यूचेल को पीकेके के समर्थन में आतंकी प्रोपेगैंडा करने और घृणा फैलाने के आरोप में पकड़ा गया है. उन पर प्रतिबंधित इस्लामिक मौलवी फेतुल्ला गुलेन से भी जुड़े होने का आरोप है, जिन्हें एर्दोवान जुलाई 2016 में उनका तख्तापलट करने की साजिश रचने वाला मास्टरमाइंड मानते हैं. उस असफल तख्तापलट के बाद से एर्दोवान ने देश में यूचेल समेत करीब 150 पत्रकारों को जेल में डाल दिया.

आरपी/एमजे (एपी)