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जादुई बायोनिक हाथ

६ फ़रवरी २०१४

यूरोपीय शोधकर्ताओं ने कहा है कि पहली बार एक बायोनिक हाथ के जरिए एक व्यक्ति मुट्ठी में पकड़ी गई चीज की बनावट और आकार समझने में कामयाब रहा है. यानी कृत्रिम हाथ भी अब महसूस करने में मदद कर सकेगा.

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Roboter Medizintechnik
तस्वीर: Getty Images/AFP

इटली में बायोनिक हाथ पर एक महीने तक ट्रायल चला. इस कामयाबी ने शोधकर्ताओं में नया जोश भर दिया है. अब तक कृत्रिम हाथ का इस्तेमाल करने वाले को वस्तु के पकड़े जाने का कोई एहसास नहीं होता था. साथ ही कृत्रिम हाथ को नियंत्रित करना मुश्किल होता है, मतलब यह कि कृत्रिम हाथ का इस्तेमाल करने वाला वस्तु को पकड़ने की कोशिश में उसे नुकसान पहुंचा सकता है. शोध में शामिल सिलवेस्ट्रो मिचेरा के मुताबिक, "जब हमने ये कृत्रिम हाथ सेंसर की मदद से उस व्यक्ति के हाथ पर लगाया तो हम उस हाथ में अहसास उसी समय बहाल कर सके और वह अपने बायोनिक हाथ को नियंत्रित भी कर पा रहा था." इस शोध का नेतृत्व मिचेरा और स्टानिसा रास्पोविच ने किया है. डेनमार्क के 36 वर्षीय डेनिस आबो सोरेंसन पर इसका ट्रायल किया गया, सोरेंसन पटाखे से जुड़ी एक दुर्घटना में अपना बायां हाथ खो चुके हैं. सोरेंसन के मुताबिक, "जब मैंने वस्तु पकड़ी, मैं यह महसूस कर सकता था कि वह मुलायम है या कठोर, गोल है या चौकोर. पिछले 9 सालों में जिन चीजों को मैं महसूस नहीं कर पाया था उसे अब मैंने महसूस किया."

समझदार कृत्रिम हाथ

सोरेंसन की बाजू पर भारी मैकेनिकल हाथ लगाया गया है, जिसकी उंगलियों में बहुत सारे एडवांस सेंसर लगे हुए हैं. हाथ के ऊपरी हिस्से में सर्जरी के जरिए कई तार लगाए गए हैं जो सेंसर के जरिए वहां तक सिगनल पहुंचाते हैं. पिछले एक दशक में सोरेंसन की नसों का इस्तेमाल नहीं हुआ था इसके बावजूद वैज्ञानिक सोरेंसन के छूने की भावना को दोबारा सक्रिय करने में कामयाब रहे. रोम के जमेली अस्पताल में पिछले साल इसका ट्रायल किया गया. इस दौरान सोरेंसन की आंखों में पट्टी बांधी गई और कानों में इयरप्लग्स लगाए गए. ट्रायल के दौरान सोरेंसन नारंगी और बेसबॉल के बीच फर्क बता पाए. वह यह भी बताने के लायक थे कि वह मुलायम चीज पकड़े हुए हैं या कोई कठोर वस्तु या फिर प्लास्टिक की कोई चीज. सोरेंसन मजाक करते हैं कि जब उनके बच्चों ने उन्हें बहुत सारे वायरों के साथ देखा तो उन्हें "द केबल गाय" कहकर बुलाने लगे. सुरक्षा कारणों की वजह से सोरेंसन में किया गया प्रत्यारोपण 30 दिन के बाद हटा लिया गया. लेकिन जानकारों का मानना है कि इलेक्ट्रोड्स बिना किसी परेशानी के कई साल शरीर में रह सकते हैं. इस मामले में और अधिक परीक्षण चल रहे हैं. शोधकर्ता कृत्रिम हाथ की संवेदी क्षमताओं को बढ़ाने और उसे पोर्टेबल बनाने के लिए काम कर रहे हैं. इस बीच सोरेंसन अपना पुराना कृत्रिम हाथ का इस्तेमाल करने लगे हैं. बांह की मांसपेशियों को खींचने या फिर छोड़ने पर कृत्रिम हाथ हरकत करता है लेकिन वह चीजों को महसूस करने की इजाजत नहीं देता. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि बायोनिक हाथ पर और शोध करने से लाभकारी परिणाम मिल सकते हैं और कृत्रिम हाथ इस्तेमाल करने के लिए मजबूर लोगों के लिए नई उम्मीद जगेगी.

एए/एएम (एएफपी)

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