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लॉकडाउन में कैसे काम कर रही हैं राजनीतिक पार्टियां

समीरात्मज मिश्र
३० अप्रैल २०२०

कोरोना संकट की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान जहां तमाम गतिविधियां लगभग रुक सी गई हैं, वहीं राजनीतिक दलों के लिए भी यह एक नई चुनौती है.

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Coronavirus Indien Videokonferenz
तस्वीर: Privat

डिजिटल युग में अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए ये राजनीतिक दल भी तकनीक का सहारा ले रहे हैं लेकिन सरकार का विरोध करने के लिए उनके पास इस समय 'हथियारों' की कमी पड़ गई है. राष्ट्रीय पार्टियां, मसलन भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर ट्विटर के माध्यम से अपनी बात रख रही हैं और समय-समय पर पार्टियों के प्रवक्ता और नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर रहे हैं लेकिन राज्य स्तर पर ज्यादातर काम सिर्फ ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ही हो रहा है. भारतीय जनता पार्टी जहां कोरोना संकट के दौरान पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के योगदान को लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया पर सक्रिय है, वहीं सरकारें भी इसका जमकर इस्तेमाल कर रही हैं.

उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेता पूरी तरह से लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं और मीडिया सेल के अलावा अन्य पदाधिकारी भी घर से ही काम कर रहे हैं. लखनऊ में पार्टी के मीडिया सेल के प्रभारी आशीष यादव ‘सोनू' बताते हैं, "सभी लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, इंटरनेट के माध्यम से. प्रेस नोट भी हम घर से ही बनाते हैं. व्हाट्सऐप पर मीटिंग कर लेते हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष भी नियमित तौर पर पार्टी पदाधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं. पार्टी के कार्यकर्ता जगह-जगह लोगों की मदद कर रहे हैं और उसकी पूरी मॉनीटरिंग की जाती है." उन्होंने बताया कि पार्टी दफ्तर में आना-जाना बंद है ताकि सोशल डिस्टैंसिंग बनी रहे और लॉकडाउन का पालन हो."

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव उन नेताओं में हैं जो ट्विटर पर अकसर सक्रिय रहते हैं. इसके अलावा कई बार महत्वपूर्ण मुद्दों पर राज्य मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करते रहते हैं. पार्टी के दूसरे नेता भी ट्विटर और फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं और इसी के जरिए लोगों से जुड़ते हैं. लॉकडाउन के चलते व्हाट्सऐप और ईमेल के जरिए पार्टी के प्रेस नोट पहले भी आते थे और अब भी आ रहे हैं.

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एक अन्य महत्वपूर्ण विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी की अधिकतर गतिविधियां लॉकडाउन से पहले भी ईमेल और सोशल मीडिया तक ही सीमित थीं. पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ही आमतौर पर मीडिया के सामने आती हैं और किसी मुद्दे पर बात रखती हैं. बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने लंबे समय से कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है. वे ट्विटर पर ही अपनी बात रख देती हैं और उनकी पार्टी का मीडिया सेल उसी को पत्रकारों तक पहुंचा देता है. बीएसपी के एक नेता नाम न बताने के शर्त पर कहते हैं, "पार्टी में मीडिया सेल समेत कुछ प्रकोष्ठ बने जरूर हैं लेकिन किसी भी मुद्दे पर कोई कुछ बोलता नहीं है. मीडिया में कुछ वही बोलेगा जो बहन जी कहेंगी."

बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता अन्य दलों के लोगों की तरह सड़क पर भी बहुत सक्रिय नहीं हैं और न ही इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. जो जन प्रतिनिधि और नेता अपने क्षेत्रों में लोगों की मदद कर भी रहे हैं, वे अपनी ओर से भले ही इसके बारे में लोगों को सूचना दे दें, पार्टी की ओर से ऐसी कोई सूचना नहीं दी जाती. जन प्रतिनिधियों या फिर पार्टी पदाधिकारियों के साथ नियमित स्तर पर बैठक बीएसपी में पहले भी नहीं होती थी, लॉकडाउन के बाद उसकी संभावना ही खत्म हो गई.

लेकिन भारतीय जनता पार्टी जिस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल तरीके से काम कर रही है, उसी तरह से राज्य इकाई भी कर रही है. लखनऊ में विधान सभा रोड पर बना पार्टी कार्यालय पहले की तरह भले ही गुलजार न रहता हो लेकिन बिल्कुल सूना रहता है, ऐसा भी नहीं है. पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही प्रचार-प्रसार के डिजिटल तरीके पर फोकस किया और उसके बाद यह सिलसिला आगे ही बढ़ता गया.

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वीडियो कॉलिंग करते स्वतंत्रदेव सिंह तस्वीर: Privat

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह खुद भी पार्टी पदाधिकारियों के साथ नियमित वीडियो कॉलिंग के जरिए जुड़ते हैं और दूसरे पदाधिकारी और नेता भी इसका अनुसरण करते हैं. इसके अलावा प्रचार और संपर्क के जितने भी डिजिटल माध्यम हैं, पार्टी सबका भरपूर इस्तेमाल कर रही है. पार्टी के मीडिया सेल के प्रभारी मनीष दीक्षित बताते हैं, "डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल हो रहा है. सोशल मीडिया टीम के लोग घर से अपना काम कर रहे हैं. कोरोना संकट के दौर में सरकार की उपलब्धियों और दिक्कतों का निपटारा डिजिटल तरीके से हो रहा है. प्रदेश अध्यक्ष के अलावा हमारे महामंत्री सुनील बंसल इसकी लगातार देखरेख कर रहे हैं. ऐसे तरीकों से कार्यकर्ताओं से भी संवाद बनाया जा रहा है."

बीजेपी के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दफ्तर भी सोशल मीडिया के जरिए अपनी उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचा रहा है. मुख्यमंत्री दफ्तर यानी लोकभवन में भी चुनिंदा कर्मचारी ही रोज पहुंच रहे हैं लेकिन डिजिटल तरीके से सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं. बीजेपी के सोशल मीडिया विंग से जुड़े एक नेता बताते हैं, "हमसे करीब चालीस लाख लोग डिजिटल तरीके से हर वक्त संपर्क में रहते हैं. ये सभी लोग दर्जनों व्हाट्सऐप ग्रुपों से जुड़े हैं और किसी भी बात को कुछ मिनटों के भीतर आम लोगों तक पहुंचा देते हैं. इसके अलावा हर पदाधिकारी, जन प्रतिनिधि और मंत्रियों की सोशल मीडिया में अच्छी खासी फॉलोविंग है.”

डिजिटल तरीके से कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं से संपर्क साधने में कांग्रेस पार्टी भी पीछे नहीं है. केंद्रीय स्तर पर नियमित तौर पर पार्टी के नेता मसलन- मनीष तिवारी और रणदीप सुरजेवाला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीडिया से संपर्क करते हैं और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी मीडिया को संबोधित कर चुके हैं. इसके अलावा प्रियंका गांधी समेत अन्य नेता ट्विटर और दूसरे सोशल प्लेटफॉर्म पर भी सक्रिय रहते हैं.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू नियमित तौर पर पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से लॉकडाउन के दौरान संवाद कर रहे हैं और ट्विटर पर सरकार को आईना भी दिखाते रहते हैं. पार्टी के मीडिया सेल के प्रभारी रह चुके वरिष्ठ नेता वीरेंद्र मदान कहते हैं, "दफ्तर में सीमित लोगों का ही आना-जाना है. सोशल डिस्टैंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है. वैसे भी इस समय मुख्य मुद्दा जरूरतमंद लोगों तक आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराना है. राजधानी लखनऊ के अलावा विभिन्न जिलों में भी हमारी टीमें अपना काम कर रही हैं. जिला कार्यालय के अलावा प्रदेश स्तर पर भी हम लोग इसकी मॉनीटरिंग करते हैं.”

वीरेंद्र मदान कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी इस संकट में सरकार का पूरा सहयोग कर रही है और तमाम समस्याओं को चिह्नित करके उसे नियमित तौर पर मुख्यमंत्री तक पहुंचाती भी है. उनका कहना है कि सरकार के कार्यों से नाखुश होते हुए भी धरना-प्रदर्शन तो कर नहीं सकते हैं, इसलिए सोशल मीडिया और पत्र के जरिए ही सरकार और आम लोगों तक भी अपनी बातों को पहुंचा रहे हैं. वे कहते हैं, "जैसे आज हम लोगों ने डॉक्टरों का मानदेय बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है. इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष किसानों की समस्याओं, ओलावृष्टि और बरसात से किसानों को हुए नुकसान और उनके लिए सरकारी स्तर पर कुछ राहत पहुंचाने की अपील करते हुए पत्र लिखा है. इसके अलावा हम मुख्यमंत्री को कानून-व्यवस्था पर भी लिख रहे हैं क्योंकि पिछले एक महीने के भीतर सौ हत्याएं हो चुकी हैं.”

वीरेंद्र मदान बताते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू हर हफ्ते प्रदेश पदाधिकारियों से बात करते हैं और जिलों के अध्यक्ष भी अपने पदाधिकारियों से बातचीत करके जानकारी लेते रहते हैं. ये सारी बातें ट्विटर और व्हाट्सऐप ग्रुपों के जरिए एक-दूसरे से शेयर की जाती हैं. वीरेंद्र मदान दावा करते हैं कि राज्य भर में उनकी पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता सोशल मीडिया के जरिए कई लाख लोगों तक पहुंच बनाए हुए हैं.

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