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लोक सभा में दंतेवाड़ा हत्याकांड पर हंगामा

१५ अप्रैल २०१०

लोक सभा में दंतेवाड़ा पर हुई बहस में विपक्षी और सरकारी सांसदों ने एक दूसरे पर माओवादियों के साथ संपर्क के आरोप लगाए. हंगामे के बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों की कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी.

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तस्वीर: AP

भारतीय जनता पार्टी के यशवंत सिन्हा ने बहस के शुरू में आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी आंध्र प्रदेश चुनाव नक्सलियों के साथ हाथ मिलाकर जीती है. उनकी बातों पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने गहरी आपत्ति की. संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल और अन्य कांग्रेसी सांसदों ने जवाब में भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया कि कुछ प्रांतों में उसकी सरकारों के नक्सलियों से संबंध हैं.

जब यशवंत सिंहा की टिप्पणी का विरोध करने के लिए बहुत से कांग्रेसी सांसद उठकर खड़े होगए तो लोकसभा की स्पीकर मीरा कुमार को कहना पड़ा, "सदन बहुत गंभीर मुद्दे पर चर्चा कर रहा है. यह आरोप लगाने का समय नहीं है बल्कि सभी पार्टियों द्वारा मिलकर इस पर विचार करने का कि हम इन्हें कैसे मिटा सकते हैं."

संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल ने लोक सभा में आश्वासन दिया कि गृहमंत्री चिदम्बरम दंतेवाड़ा के मुद्दे पर बयान देंगे. उसके बाद सांसद इस पर बहस कर सकते हैं. पृथ्वी राज चह्वाण ने ऐसा ही बयान राज्य सभा में दिया कि सदस्य गृहमंत्री के बयान के बाद उनसे स्पष्टीकरण मांग सकते हैं या बहस कर सकते हैं.

इसके पहले यशवंत सिन्हा ने लोकसभा में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा गृहमंत्री पी. चिदम्बरम की आलोचना का मुद्दा उठाया. उन्होंने सवाल किया, "नक्सलियों के ख़िलाफ़ संघर्ष में विपक्ष तो सरकार के साथ है, लेकिन क्या कांग्रेस और यूपीए सरकार के साथ हैं?"

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक अखबार में छपे लेख में नक्सली समस्या पर गृह मंत्री चिदम्बरम की आलोचना की है और कहा है कि वे इसे केवल कानून और व्यवस्था का मुद्दा समझते हैं. दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने घात लगाकर सीआरपीएफ़ के एक जत्थे पर हमला किया था जिसमें 76 जवान मारे गए थे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: राम यादव