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विदेश व्यापार में फायदे का चैंपियन जर्मनी, लेकिन आलोचना भी

१३ सितम्बर २०१९

जर्मनी में आर्थिक मंदी के संकेत दिख रहे हैं, निर्यात में भी कमी आ रही है. इसके बावजूद लगातार चौथे साल व्यापार संतुलन में रिकॉर्ड फायदा होने की संभावना है.

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Freihandelsabkommen EU - Japan JEFTA
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Mayama

इफो इंस्टीट्यूट के आकलन के अनुसार जर्मनी को लगातार चौथे साल आयात निर्यात के खाते में रिकॉर्ड फायदा होने जा रहा है. इफो संस्थान के अर्थशास्त्री क्रिस्टियान ग्रिमे के अनुसार 2019 में जर्मनी का व्यापार संतुलन लाभ 276 अरब डॉलर का होगा. इसके बाद दूसरा नंबर जापान का है जो विदेश व्यापार में 188 अरब डॉलर का मुनाफा कमाएगा और तीसरे स्थान पर 182 अरब डॉलर के साथ चीन होगा.

जर्मनी का यह फायदा इसलिए हुआ है कि उसने विदेशों में जितनी खरीदारी की है, उससे कहीं ज्यादा उन्हें अपना सामान बेचा है. इफो संस्थान के अनुसार 2019 के पहले सात महीनों में जर्मन मालों के निर्यात में 1 प्रतिशत की कमी हुई है, इसके बावजूद विश्व व्यापार में जुलाई के अंत तक 139 अरब डॉलर का मुनाफा हुआ है.

विदेश व्यापार में इतने बड़े असंतुलन के लिए जर्मनी की सालों से आलोचना होती रही है. यूरोपीय आयोग, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप जर्मनी की कारोबारी रणनीति के सबसे बड़े आलोचक हैं. ट्रंप को तो लगता है कि उनके देश को व्यापार में नुकसान हो रहा है और इसलिए उन्होंने यूरोपीय कारों पर दंडात्मक कर लगाने की धमकी दे रखी है.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Tsuno

इफो संस्थान का कहना है कि अमेरिका को इस साल 480 अरब डॉलर का दुनिया भर में सबसे ज्यादा व्यापार घाटा होगा. हालांकि डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका हर देश के साथ अपने व्यापार की समीक्षा कर रहा है और लगभग सभी प्रमुख व्यापारिक साझेदारों को दंडात्मक कर लगाने की धमकी दे रहा है. चीन पर उसने भारी शुल्क लगाए भी हैं. फिर भी अमेरिका के भारी घाटे की वजह के बारे में ग्रिमे का कहना है, "इसकी वजह यह है कि व्यापार विवाद में आयात और निर्यात दोनों प्रभावित हुआ है जिसकी वजह से व्यापार संतुलन पर इस साल कम असर होगा."

सबसे बड़ा निर्यातक

सकल राष्ट्रीय उत्पाद को देखते हुए जर्मनी का व्यापारिक लाभ इस साल 7.1 प्रतिशत रहेगा. 2015 में यह रिकॉर्ड 8.5 प्रतिशत था. यूरोपीय संघ का कहना है दूरगामी तौर पर सिर्फ 6 प्रतिशत का फायदा टिकाऊ है. किसी देश को विदेश व्यापार में फायदा होने का मतलब किसी दूसरे देश को नुकसान भी है. यूरोपीय संघ का कहना है कि बड़े मुनाफे की वजह से होने वाले नुकसान व्यापार घाटे वाले देशों में बड़े कर्ज का कारण बन सकता है.

बहुत से अर्थशास्त्री भी जर्मनी की इस कारोबारी प्रक्रिया का समर्थन नहीं करते. ग्रिमे कहते हैं, "इस तरह जर्मनी विदेशों में उससे ज्यादा देनदारी पैदा कर रहा है जितना वे देश जर्मनी में कर रहे हैं." जर्मनी उन देशों को सिर्फ कार, मशीनरी और रसायन ही नहीं बेचता, उन्हें खरीदने के लिए कर्ज भी देता है. कर्ज देने में भी जर्मनी विश्व चैंपियन है. यदि कोई देश कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं रहेगा, तो भुगतान की समस्या पैदा हो जाएगी.

भारत और जर्मनी के व्यापार में भी व्यापारिक संतुलन जर्मनी के पक्ष में है. हालांकि दोनों देशों के बीच व्यापार का पैमाना बहुत ज्यादा नहीं है. यह सिर्फ करीब 18 अरब यूरो है. जनवरी से अक्टूबर 2018 तक दोनों देशों के बीच करीब 18 अरब यूरो का कारोबार हुआ जिसमें भारत की खरीदारी 10.5 अरब और जर्मनी की खरीदारी 8.5 अरब यूरो थी. व्यापार में जर्मनी का फायदा करीब 2 अरब का था. भारत का सालाना विदेश व्यापार करीब 900 अरब यूरो का है. 2018 में उसे करीब 80 अरब यूरो का व्यापार घाटा हुआ.

एमजे/आईबी (रॉयटर्स)

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