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विद्रोहियों के गढ़ में छापेमारी

२३ दिसम्बर २०१३

दुनिया के सबसे युवा देश दक्षिण सूडान की सेना विद्रोहियों के गढ़ पर धावा बोलने की तैयारी कर रही है, जबकि वहां तैनात भारतीय कर्मचारियों को हटा लिया गया है. इलाके में दो भारतीय शांति सैनिकों की मौत हो चुकी है.

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तस्वीर: Camille Lepage/AFP/Getty Images

दुनिया के 193वें देश के राष्ट्रपति सल्वा कीर का दावा है कि उनके पूर्व उप राष्ट्रपति रीक मशार की वजह से देश बुरी हालत में पहुंच गया है. मशार को जुलाई में पद से हटा दिया गया. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि देश में लाखों नागरिकों की जान खतरे में है. दक्षिण सूडान में गृह युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं.

मशार ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है लेकिन उनकी भरोसेमंद सैनिक टुकड़ी ने बोर शहर पर कब्जा कर लिया है, जो राजधानी जूबा से सिर्फ 200 किलोमीटर की दूरी पर है. इसके अलावा तेल के खान वाले शहर बेनतिऊ पर भी विद्रोहियों का कब्जा हो चुका है.

कूच करेगी सेना

राष्ट्रपति कीर ने संसद में बताया, "सेना अब बोर की तरफ कूच करने को तैयार है." उन्होंने कहा कि अमेरिका वहां से नागरिकों को निकाल रहा था, जिसकी वजह से वहां हमले में देरी की गई. सेना के प्रवक्ता फिलिप आग्वेर ने बताया कि सेना आक्रमण के लिए तैयार है, "मशार की सेना अभी भी शहर पर कब्जा बनाए हुए है. लेकिन हम नियंत्रण वापस लेने के लिए तैयार हैं." अफ्रीकी देशों, संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटेन जैसे देशों ने बीच बचाव की कोशिश की है लेकिन हिंसा रुकती नहीं दिख रही है.

Südsudan Flüchtlinge 18.12.2013 UNMISS Flüchtlingslager
कैंपों में रहने को मजबूर लोगतस्वीर: Reuters

इस बीच दक्षिण सूडान में तैनात भारतीयों को वहां से हटाया जा रहा है. वहां तेल के कुओं में काम बंद कर दिया गया है. ग्रेटर नील परियोजना में काम कर रहे 11 अधिकारियों को हटा दिया गया है. भारत से जुड़े सूत्र ने बताया, "दो चरणों में उन्हें वहां से हटा दिया गया है. अब सभी अधिकारी भारत पहुंच चुके हैं." लेकिन देश छोड़ने से पहले उन्होंने ऑयलफील्ड बंद कर दिया. भारत के ओएनजीसी ने ग्रेटर नील परियोजना और ब्लॉक 5ए नाम के दो प्रोजेक्टों में 11 अधिकारियों को तैनात किया था. ओएनजीसी के पास ग्रेटर नील परियोजना में एक चौथाई शेयर है, जहां हर रोज 40,000 बैरल तेल निकलता है. इसमें चीनी कंपनी भी साझीदार है.

भारतीयों की मौत

15 दिसंबर से शुरू हुए संघर्ष में भारत के दो शांति सैनिकों को भी जान गंवानी पड़ी है, जो संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा थे. हिंसा में करीब 500 लोगों के मारे जाने की सूचना है. फिलहाल विद्रोहियों ने किसी तेल भंडार पर कब्जा नहीं किया है लेकिन एहतियात के तौर पर उन्हें बंद कर दिया गया है. दक्षिण सूडान की अर्थव्यवस्था का करीब 95 फीसदी हिस्सा तेल उत्पादन पर निर्भर है. लेकिन संघर्ष भड़कने के बाद तेल कंपनियां अपने कर्मचारियों को हटा रही हैं.

Sudan - Regierungstruppen in Juba
विद्रोहियों के गढ़ पर छापे की तैयारीतस्वीर: Reuters

दो साल पहले 2011 में आजाद हुए दक्षिण सूडान में बहुत से लोग जान बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के कैंपों में चले गए हैं. सूडान में लंबे गृह युद्ध के बाद यह देश अलग हुआ है लेकिन यहां भी राजनीतिक और कबायली संघर्ष है. राष्ट्रपति कीर डिनका कबीले के हैं, जबकि विद्रोही मशार नॉयर कबीले के. नॉयर बंदूकधारियों पर ही भारतीय शांतिरक्षकों की हत्या का आरोप है. इस संघर्ष के दौरान डिनका कबीले के 20 लोगों को भी मार दिया गया.

संयुक्त राष्ट्र में सूडान के लिए मानवीय सहायता अभियान के संयोजक टोबी लांजेर का कहना है कि बोर शहर में संयुक्त राष्ट्र अपने राहत शिविरों को सुरक्षा मुहैया करा रही है, "लेकिन अकोबो में 2000 लड़ाके हैं और शांतिरक्षकों की संख्या बहुत कम है, हम वहां बहुत ज्यादा नहीं कर सकते हैं." कीर बार बार बातचीत की अपील कर चुके हैं, लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया है.

एजेए/एमजे (पीटीआई, एएफपी)

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