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विनाश और उम्मीदों के बीच यूरोपीय सुरक्षा

५ दिसम्बर २०१४

यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन के देशों के 50 विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में मुख्य मुद्दा है यूक्रेन के गृह युद्ध को सुलझाना. संगठन की 40वीं सालगिरह पर उसे भविष्य की जिम्मेदारियों के चुस्त दुरुस्त करने की भी चुनौती है.

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तस्वीर: Reuters

एक साल पहले यूक्रेन में तत्कालीन राष्ट्रपति और यूरोप के साथ सहयोग संधि करने से मना करने के खिलाफ लोगों का विद्रोह शुरू हुआ था. इस बीच देश के रूसी बहुल पूर्वी हिस्से में चल रही लड़ाई में 4300 लोग मारे गए हैं. शांति का कहीं नामोनिशान नहीं है और न ही यूरोपीय संघ के साथ निकट संबंधों का.

यूरोपीय सुरक्षा व सहयोग संगठन में स्विट्जरलैंड के राजदूत थोमस ग्रेमिंगर को सर्दियों में पूर्वी यूक्रेन में मानवीय त्रासदी का भय सता रहा है. युद्ध के चलते वहां मकान, उद्योग और संरचनाएं नष्ट हो गई हैं. बिजली, खाद्य पदार्थ और दवाओं का अभाव है. संगठन की 40वीं वर्षगांठ पर यूक्रेन का विवाद दिखाता है कि हेलसिंकी संधि में तय सीमाओं के अक्षुण्णता की आज क्या कीमत रह गई है. उस समय यह इस संधि का मुख्य तत्व था जिस पर 37 देशों ने हस्ताक्षर किए थे. इस बीच वैनकूवर से व्लादीवोस्टॉक तक 57 देशों ने इस संधि का अनुमोदन किया है.

SZE Helsinki
हेलसिंकी सम्मेलन 1974तस्वीर: picture alliance/ZB

हेलसिंकी संधि के मानवाधिकारों वाले हिस्से की वजह से तत्कालीन कम्युनिस्ट शासित पूर्वी यूरोप में बहुत से विपक्षी गुटों की गतिविधियां संभव हुईं और उसने यूरोप का विभाजन खत्म करने में योगदान दिया. सोवियत संघ के विघटन के बने उत्तराधिकारी देशों में एक रूस ने चेचन्या, जॉर्जिया और अब यूक्रेन में अपनी कार्रवाईयों से बार बार इस संधि को तोड़ा है. शीत युद्ध की समाप्ति के 25 साल बाद यूरोप पर फिर से युद्ध और संदेह के बादल मंडरा रहे हैं.

यूक्रेन के मुद्दे पर साफ हो गया है कि यूरोपीय देश रूस के संदेहों को मिटाने में नाकाम रहे हैं जबकि रूस यूरोपीय देशों को अपने इरादों पर भरोसा दिलाने में विफल रहा है. यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन पर अपनी सामयिकता साबित करने का दबाव है. हालांकि सम्मेलन से पहले उसे यूक्रेन में विवाद में फंसे दलों के बीच संघर्ष विराम कराने में सफलता मिली है लेकिन विवाद को सुलझाने में वह कोई भूमिका नहीं निभा पाया है. अब जर्मनी के राजनयिक वोल्फगांग इशिंगर के नेतृत्व में विशेषज्ञों का एक दल उसे भावी जिम्मेदारियों के अनुकूल ढालने के कदमों के सुझाव देगा.

Ukraine Gespräche in Minsk 05.09.2014 OSZE Vertreter
मिंस्क में यूक्रेन वार्तातस्वीर: picture alliance/AP Photo

यूक्रेन विवाद को सुलझाने में मध्यस्थता कर रहे जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने कहा है कि संगठन के सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. श्टाइनमायर का कहना है कि ऐसा विशेषज्ञ दल बनाया गया है जो यूक्रेन विवाद से परे सोचने की स्थिति में है. उन्होंने कहा कि संगठन अभी भी यूरोप की शांति व्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहा है. भविष्य में विवाद की स्थिति में मध्यस्थता की पेशकश के साथ उसकी कुशलता को बढ़ाए जाने की जरूरत है.

इस समय स्विट्जरलैंड यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन की अध्यक्षता कर रहा है. अगले साल यह जिम्मेदारी सर्बिया की होगी जबकि 2016 में जर्मनी संगठन का अध्यक्ष बनेगा. श्टाइनमायर ने बताया है कि जर्मनी, सर्बिया और स्विट्जरलैंड के प्रतिनिधियों ने आने वाले सालों के कार्यक्रम पर विचारों का आदान प्रदान किया है.

एमजे/एजेए (डीपीए, एएफपी)